7 लाख रुपए बिल का केस हार गया पूर्वी सिंहभूम प्रशासन, अब महिला को देना होगा 2 करोड़; पूरा मामला
पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन को मात्र 7.13 लाख रुपये का बिल काटना महंगा साबित हो रहा है। लग रहा कि उसके एवज में महिला को कम से कम दो करोड़ रुपये चुकाने पड़ेंगे। आइए जानते हैं पूरा मामला क्या है।

पूर्वी सिंहभूम जिला प्रशासन को मात्र 7.13 लाख रुपये का बिल काटना महंगा साबित हो रहा है। लग रहा कि उसके एवज में कम से कम दो करोड़ रुपये चुकाने पड़ेंगे। मध्यस्थता में इस रकम की मांग जिला प्रशासन से की गई थी। हालांकि केस के अनुसार यदि राशि देनी पड़ी तो यह रकम दो करोड़ से काफी अधिक होगी। यह मामला फिलहाल जिला प्रशासन के लिए गले की फांस बन चुका है। और मामला इसलिए इतना पेचीदा हो गया, क्योंकि इस केस में प्रशासन की ओर से कोर्ट में कभी गंभीरता से पैरवी ही नहीं की गई।
यह मामला 1993 में नौ लाख रुपये एक टेंडर के साथ शुरू हुआ। फॉर्म छपाई का यह टेंडर चाईबासा की प्रिटिंग प्रेस संचालिका पुष्पलता पसारी के नाम से लिया गया था। उनके पति श्यामल कुमार पसारी उनके एवज में सारे कागजी काम कर रहे थे। तब के डीडीसी ने छपाई की गुणवत्ता खराब होने के आधार पर मात्र दो लाख रुपये देकर 7.13 लाख रुपये काट दिये थे। पसारी ने इसके खिलाफ जमशेदपुर कोर्ट में केस कर दिया। इसका फैसला पसारी के पक्ष में आया, क्योंकि जिला प्रशासन की ओर से ठीक से पैरवी नहीं हुई। फिर पसारी ने इसमें मनी शूट दायर किया। इसका फैसला भी जिला प्रशासन के खिलाफ गया। और कोर्ट ने 2012 में 26.3 प्रतिशत सूद की दर से तीन करोड़ 18 लाख 64 हजार रुपये की डिग्री पसारी के पक्ष में दे दी।
इस बात को अब 13 साल बीत चुके हैं। गणना हो तो अब यह रकम काफी अधिक हो चुकी है। 2018 में तत्कालीन डीआरडीए निदेशक उमा महतो ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में कैविएट दायर की थी। हालांकि पैरवी नहीं होने से केस निरस्त हो गया। 2024 में तत्कालीन डीआरडीए निदेशक अजय कुमार ने हाईकोर्ट में रिट व आईए दायर किया, परंतु उसे स्वीकार नहीं किया गया है। जो अधिवक्ता सरकार ने दिया, उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इस मामले में डीआरडीए से वसूली के लिए दो-दो बार उसके ऑफिस को सील किया गया है। इसकी वजह से दूसरे तल के तीन कमरे फिलहाल बंद हैं। वित्तीय मामला होने के कारण अधिकारी पसारी को पैसा देने से बचना चाह रहे, क्योंकि बाद में वे न इसमें फंस जाएं। हालांकि इससे मामला सुलझ नहीं पा रहा है।