डॉक्टर के साथ मारपीट मामले में पुलिस खाली हाथ, आक्रोश
देवघर में एक बच्चे की मौत के बाद परिजनों ने डॉक्टर कुंदन कुमार पर हमला किया। 20 अप्रैल को बच्चे की मौत के बाद परिजन उग्र हो गए और क्लीनिक में तोड़फोड़ की। डॉक्टर गंभीर रूप से घायल हुए हैं, जबकि पुलिस...

देवघर, प्रतिनिधि। 20 अप्रैल को नगर थाना क्षेत्र के कास्टर टाउन चंपारण कोठी स्थित शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. कुंदन कुमार के नीजि क्लीनिक में बच्चे की मौत होने के बाद उग्र बच्चे के परिजनों ने डॉक्टर के साथ मारपीट व तोड़ फोड़ करने मामले में प्राथमिकी दर्ज के 40 घंटे बीत जाने के बाद भी आरोपियों को पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पायी है। जिससे डॉक्टर में आक्रोश देखी जा रही है। आईएमए के अध्यक्ष समेत अन्य पदाधिकारियों ने डीसी, एसपी को आवेदन देकर कार्य बहिष्कार करने का घोषणा किया है। वहीं पुलिस अधीक्षक के आदेश पर नगर थाना की पुलिस ने कई टीम गठन कर छापेमारी करा रहे हैं। लेकिन सभी आरोपी घर छोड़ कर फरार हो गए हैं। वहीं नगर थाना की पुलिस ने रिखिया थाना की मदद से आरोपियों को जल्द गिरफ्तार करने की बात कहा है। बता दें कि 19 अप्रैल को दिन के करीब 2 बजे रिखिया थाना क्षेत्र के गौरीगंज गांव निवासी एक दंपती अपने 10 माह के बीमार बच्चे को इलाज के लिए लाई थी। दवा लेकर उसी दिन वह घर चले गए। अचानक रात में बच्चे की तबीयत फिर बीगड़ने पर अस्पताल लेकर आए थे। इसी दौरान रविवार की सुबह उसकी मौत हो गई थी। इसकी जानकारी डॉक्टर ने परिजनों को दी। इस परिजन आक्राशित हो गए थे। इसके बाद नीजि क्लीनिक में हंगामा करने लगा। इसकी जानकारी होने पर डॉक्टर अपने कक्ष से बाहर आए और लोगों से पूछताछ करने का प्रयास कर रहे थे। इसी बीच आक्रोशित भीड़ ने डॉक्टर पर हमला कर दिया था। इससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए हैं।
वहीं डॉ. कुंदन कुमार द्वारा दर्ज कराए गए आवेदन के अनुसार, 19 अप्रैल को दिन के करीब 2 बजे रिखिया थाना क्षेत्र के गौरीगंज गांव निवासी एक दंपती अपने 10 माह के बीमार बच्चे को इलाज के लिए उनके क्लीनिक लाए थे। डॉक्टर ने प्रारंभिक जांच के बाद कुछ दवाएं दी थी और बच्चे की स्थिति को देखते हुए क्लीनिक में कुछ समय रुकने की सलाह दी थी। हालांकि, परिजन डॉक्टर की सलाह को नजरअंदाज कर बच्चे को लेकर घर चले गए थे। रात लगभग 10 बजे बच्चे की तबीयत फिर बिगड़ने पर वे उसे वापस क्लीनिक लाए थे। डॉक्टर ने पुनः इलाज करते हुए आवश्यक दवाएं दीं और सलाह दी की दवा खिलाकर थोड़ी देर क्लीनिक में रुकें। उन्होंने यह भी कहा कि अगर तबीयत में सुधार नहीं होता है तो बच्चे को भर्ती किया जाएगा। परंतु, परिजनों ने न डॉक्टर की सलाह मानी और न ही डॉक्टर द्वारा लिखी गई जरूरी सुई लगवाई। 20 अप्रैल की अहले सुबह लगभग 3:30 बजे परिजन बच्चे को फिर से लेकर क्लीनिक पहुंचे, जहां डॉक्टर ने बच्चे की जांच कर बताया कि उसकी मृत्यु हो चुकी थी। इस सूचना के मिलते ही परिजन उत्तेजित हो उठे और गाली-गलौज शुरू कर दी थी। डॉक्टर ने समझा-बुझाकर मामले को शांत करने की कोशिश की और परिजनों से घर लौटने की अपील की थी। लेकिन कुछ ही देर बाद कई मोटरसाइकिलों पर सवार होकर लगभग 20 लोग वहां पहुंचे थे। और गेट बंद होने के बावजूद चारदीवारी फांदकर अंदर घुस आए थे। उग्र भीड़ ने डॉक्टर पर लाठी-डंडों और लोहे के रॉड से जानलेवा हमला कर दिया । जिससे डॉक्टर का माथा फट गया है। दोनों हाथ कट गए हैं। वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे ।
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