फर्जी अधिकारी बन ठगी में चार गिरफ्तार, जेल
देवघर में साइबर थाना पुलिस ने घोरलास गांव के जंगल में छापेमारी कर चार साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों के पास से चार मोबाइल फोन और आठ सिमकार्ड बरामद हुए हैं। ये ठग पीएम किसान योजना के...

देवघर। साइबर थाना पुलिस ने जसीडीह थाना क्षेत्र के घोरलास गांव के जंगल में छापेमारी कर 4 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया गया है। गिरफ्तार साइबर अपराधियों में करौं थाना के जगाडीह गांव निवासी 27 वर्षीय रोहित मंडल, पिता- सहदेव मंडल, सारवां थाना के बरमतरा गांव निवासी 30 वर्षीय बाबर अंसारी, पिता- पीर अली मियां, मोहनपुर थाना के चितरपोका गांव निवासी 25 वर्षीय चंद्रशेखर यादव, पिता- हरिमोहन यादव, सोनारायठाढ़ी थाना के बियाही गांव निवासी 19 वर्षीय विवेक कुमार, पिता- दशरथ यादव शामिल है। छापेमारी के दौरान आरोपियों के पास से 4 मोबाइल फोन व 8 सिमकार्ड बरामद किया गया है। जांच में पता चला कि सभी आरोपियों ने देशभर के लोगों को अपना शिकार बनाया है।
सरकार के प्रतिबिंब पोर्टल पर 3 सिमर्काड के विरुद्ध शिकाय दर्ज है। सभी साइबर आरोपी टीम बनाकर संगठित होकर धंधा कर रहे थे। छापेमारी टीम में साइबर थाना के इंसपेक्टर नागेंद्र प्रसाद सिन्हा, एसआई खुर्शीद आलम, जसीडीह थाना प्रभारी सह इंसपेक्टर इंचार्ज दीपक कुमार सिंह के अलावे जैप-5 के दर्जनों जवान शामिल थे। तकनीकी जांच में खुलासे : पुलिस द्वारा जब्त मोबाइल और सिमकार्ड की जांच में यह सामने आया कि इन नंबरों पर प्रतिबिंब पोर्टल व जीएमएस पोर्टल पर शिकायतें दर्ज हैं। आरोपी पूर्व में भी साइबर ठगी के मामलों में लिप्त रहे हैं। देश के सैकड़ों लोगों से ठगी कर चुका है। जांच टेक्निकल टीम कर रही है। अपराधी फर्जी कस्टमर केयर अधिकारी व सरकारी योजना के प्रतिनिधि बनकर भोले-भाले लोगों को ठगते थे। छापेमारी पुलिस उप-महानिरीक्षक सह पुलिस अधीक्षक अजीत पीटर डुंगडुंग के दिशा-निर्देशन में की गयी। गिरफ्तार अपराधी अत्यधिक संगठित तरीके से साइबर ठगी को अंजाम दे रहे थे। मुख्य शिकार ग्रामीण क्षेत्र के ऐसे लोग थे जो तकनीकी रूप से जागरूक नहीं थे और जिन्हें पीएम किसान सम्मान निधि योजना, फोन-पे, पेटीएम जैसी सेवाओं की जानकारी सीमित रूप से थी। साइबर अपराधियों की ठगी के तरीके : गिरोह सदस्य पीएम किसान योजना के लाभार्थियों को फर्जी लिंक भेजते थे। लिंक पर क्लिक करने के बाद लाभुकों से उनका व्यक्तिगत व बैंक विवरण मांगा जाता था। जानकारी हासिल होते ही उनके खातों से पैसे गायब कर दिए जाते थे।
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