घर-घर मना लोकपर्व सतूआन, मिथिलावासियों का जुड़ शीतल
धनबाद में वैशाखी पर पारंपरिक पर्व सतुआन मनाया गया। मिथिलावासियों ने इसे जुड़ शीतल के रूप में मनाया। सतुआन खरमास की समाप्ति का प्रतीक है और इस दिन सूर्य उत्तरायण की आधी परिक्रमा पूरी करता है। लोग अपने...

धनबाद वैशाखी पर पारंपरिक पर्व सतुआन घर-घर अपनी-अपनी परंपरा के अनुसार मनाया गया। पर्व सतुआन यूपी-बिहार के साथ-साथ झारखंड के लिए कुछ भागों में मनाया जाता है। धनबाद में रहनेवाले मिथिलावासियों ने इस पर्व को जुड़ शीतल के रूप में मनाया। सतुआन का यह लोकपर्व टटका बासी, सतुआ संक्रांति, बिसुआ सहित कई नामों से प्रचलित है।
सतुआन अर्थात संक्रांति खरमास की समाप्ति का भी द्योतक है। इस दिन सूर्य उत्तरायण की आधी परिक्रमा पूरी करते हैं और इसके साथ ही खरमास की समाप्ति हो जाती है। सभी तरह के शुभ कार्य प्रारंभ हो जाते हैं। सतुआन की शुरुआत सोमवार को सत्तू को अपने इष्ट देवता को अर्पित करके किया गया। लोगों ने मिट्टी के बर्तन में भगवान को पानी, गेहूं, चना और मक्का के सत्तू के साथ आम का टिकोले चढ़ाए। इसके बाद स्वयं इस प्रसाद को ग्रहण किया।
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