आजादी के बाद पहली बार उरईकोना तक पहुंचेगी सड़क,आदिम जनजातियों में हर्ष
तीन करोड़ की लागत से बन रही है सड़क, दशकों का इंतजार होगा खत्म तीन करोड़ की लागत से बन रही है सड़क, दशकों का इंतजार होगा खत्मतीन करोड़ की लागत से बन र

जारी प्रतिनिधि । अब हमर गांव में भी गाड़ी आवि साहेब… बहुत दिन तक पैदल चललि। यह खुशी विलुप्त आदिम जनजाति की महिला लालो कोरवाइन,दसमती कोरवाइन और जया कुमारी की जुबान पर साफ झलक रही थी। जारी प्रखंड मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर,घने जंगलों की तलहटी में बसे उरई कोना, गुर्दा कोना और बंध कोना गांव के लिए आजादी के 75 साल बाद पहली बार सड़क बन रही है। इन गांवों में कुल लगभग 250 परिवार रहते हैं। जिन्हें अब तक किसी भी कार्य से प्रखंड मुख्यालय आने के लिए सात किमी पैदल चलकर भीखमपुर तक आना पड़ता था। अब आरईओ द्वारा तीन करोड़ रुपये की लागत से धोबारी से इन तीनों गांवों तक पक्की सड़क का निर्माण तेज़ी से कराया जा रहा है।
ग्रामीणों ने इसे नए जीवन की शुरुआत बताते हुए राधेश्वर कोरवा, भजु कोरवा, नवासाय कोरवा जैसे ग्रामीणों ने कहा कि बरसों से बीमार व्यक्ति को ढोकर बाहर ले जाना मजबूरी थी। सड़क बनने से इलाज,शिक्षा, बाजार और प्रशासनिक पहुंच आसान हो जाएगी।ग्रामीणों ने सरकार से अपील की है कि कार्य में तेजी लाकर सड़क को जल्द से जल्द पूर्ण किया जाए। साथ ही उन्होंने बताया कि झारखंड-छत्तीसगढ़ सीमा पर बसे उनके गांव के पार छत्तीसगढ़ में वर्षों से पक्की सड़कें बनी हैं,और अब उन्हें भी उसी तरह की सुविधा मिलने जा रही है।
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