हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने बसंतराय तालाब में डुबकी लगाया
बसंतराय प्रखंड मुख्यालय के तालाब के किनारे 15 दिनों तक चलने वाले मेले की शुरुआत हो गई है। बड़ी संख्या में आदिवासी और गैर आदिवासी श्रद्धालु स्नान करने आए हैं। तालाब का धार्मिक महत्व है और हर साल 14...

बसंतराय प्रखंड मुख्यालय स्थित तालाब के किनारे लगने वाले मेले का डुबकी लगाने के साथ ही शुरू हो गया। सोमवार को आदिवासी समुदाय के बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। 15 दिनों तक चलने वाले इस मेला का आस्था एवं साम्प्रदायिक सौहार्द का प्रतीक बसंतराय तालाब में सुबह से ही बड़ी संख्या में आदिवासी व गैर आदिवासी श्रद्धालुओं के स्नान करने का सिलसिला शुरू हो गया। मौके पर आकर्षण का केंद्र यह है कि साफा होड़ समुदाय के लोग इस तालाब में डुबकी लगाने के बाद सादे लिबास में कांसा के बर्तन जल ग्रहण कर पूजा-अर्चना किया। बड़ी संख्या में तालाब के चारो ओर एवं प्रखंड मैदान पर आदिवासी गीतों की गूंज से पूरे बसंतराय में माहौल को भक्तिमय हो गया है। हर कोई अपने गुरू के बताएं हुए मार्ग पर चलते हैं । बताया जाता है की पूजा-अर्चना के बाद गुरू से दीक्षा लेते है। जिनमें असत्य नहीं बोलना, मांस मदिरा का सेवन नहीं करना, ऐसे बातों का संकल्प गुरू के द्वारा दिया जाता है।इस तालाब का पौराणिक धार्मिक महत्व भी है। प्रत्येक साल 14 अप्रैल को भव्य बिसुआ मेला का आयोजन होता है। मौके पर हजारों की संख्या में सफा होड़ के अनुयायी तालाब में आस्था की डुबकी लगाते हैं। जानकारी के अनुसार प्रखंड मुख्यालय के 52 बीघा क्षेत्रफल में फैला बसंतराय ऐतिहासिक तालाब की विशेषता यह है कि यह कभी नहीं सूखता है। प्रतिवर्ष चैत संक्रांत के अंतिम दिन व पहली बैसाख को यहां पर भव्य मेला का आयोजन होता है। जहां आदिवासी व गैर आदिवासी इस तालाब में आस्था की डुबकी लगाते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। धार्मिक आस्था को समेटे यह तालाब मुगल काल में ही बसंत राजा ने खोदवाया था और बसंतराय को एक पहचान दिलाई थी।
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