निजी विद्यालयों की फीस समिति होगी, मनोनीत प्रतिनिधि होंगे अध्यक्ष
गिरिडीह में झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 के तहत जिला स्तर की समिति का गठन किया गया। बैठक में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने निजी विद्यालयों की फीस और अभिभावकों की शिकायतों के निवारण के...

गिरिडीह। झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 पर सोमवार को जिला स्तर की समिति के गठन को लेकर एसी बिजय सिंह बिरुआ ने समाहरणालय सभाकक्ष में बैठक की। जिसमें जिला शिक्षा पदाधिकारी ने बताया कि सहायता प्राप्त संबद्ध एवं निजी विद्यालयों के शिक्षकों और ऐसे संस्थानों में अध्ययनरत छात्रों के माता-पिता व अभिभावकों की शिकायतों के निवारण हेतु अपीलीय न्यायाधिकरण के रूप में झारखण्ड शिक्षा न्यायाधिकरण, 2005 अधिनियमित किया गया है। निजी विद्यालयों, जो राज्य सरकार द्वारा सहायता प्राप्त न हो अथवा स्थानीय निकाय, केन्द्र या राज्य सरकार के नियंत्रण में नहीं हो, के शुल्क निर्धारण के लिए निर्धारित मापदंड नहीं होने से झारखंड उच्च न्यायालय रांची में दायर डब्लूपी (पीआईएल) संख्या-3271/2013 में निजी विद्यालयों द्वारा अधिक शुल्क निर्धारण की जांच हेतु कमेटी गठित कर झारखंड सरकार को उचित कानून बनाने के सुझाव में झारखणंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम, 2017 अधिनियमित किया गया है। इसके कंडिका-07(अ)1 के अनुसार:- शुल्क के संग्रह का विनियमन सरकार द्वारा निजी विद्यालयों द्वारा लगाए गये शुल्क विनियमित किये जायेंगे। बैठक में बगोदर विधायक नागेन्द्र महतो, कोडरमा सांसद के प्रतिनिधि दिनेश प्रसाद यादव, गिरिडीह सांसद के प्रतिनिधि गुड्डू यादव, गिरिडीह विधायक के प्रतिनिधि अजीत कुमार पप्पू, गांडेय विधायक के प्रतिनिधि महालाल सोरेन आदि थे।
प्रबंधन से मनोनीत प्रतिनिधि होंगे अध्यक्ष
एसी ने कहा कि प्रत्येक विद्यालय की फीस समिति होगी। निजी विद्यालय में प्रबंधन द्वारा मनोनीत प्रतिनिधि अध्यक्ष होंगे। इसी तरह विद्यालय के प्रधानाचार्य सचिव, प्रबंधन द्वारा मनोनीत तीन शिक्षक सदस्य होंगे। माता-पिता शिक्षक संघ द्वारा नामित चार माता-पिता भी सदस्य होंगे। कहा कि विद्यालय प्रबंधन द्वारा विद्यालय स्तर पर गठित शुल्क समिति के अध्यक्ष एवं सदस्यों को शुल्क निर्धारण का एजेंडा एवं बैठक की सूचना एक सप्ताह पूर्व उपलब्ध कराई जायेगी। इस समिति का कार्यकाल तीन शैक्षणिक वर्षों के लिए होगा और कोई भी अभिभावक सदस्य समिति के रूप में अपने कार्यकाल की समाप्ति के बाद पुनः मनोनयन के लिए पात्र नहीं होंगे। निजी विद्यालयों का प्रबंधन, अधिनियम के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए विद्यालय स्तर पर समिति को फीस का प्रस्ताव देने के लिए सक्षम होगा।
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