कोल्हान में सात साल बाद भी 400 करोड़ की बिजली योजना अधूरी
कोल्हान में बिजली व्यवस्था खराब हो गई है। मौसम बदलते ही बिजली कट जाती है और हालिया आंधी में शहर के कई इलाकों में घंटों तक बिजली गुल रही। 400 करोड़ की योजना के बावजूद अंडरग्राउंड केबलिंग परियोजना अधूरी...

कोल्हान में बिजली व्यवस्था इस कदर चरमरा गई है कि जैसे ही मौसम करवट बदलता है, बिजली गुल हो जाती है। हवा चलते ही पूरे शहर की बिजली कट जाती है। आंधी-पानी की हल्की सी आहट पर भी बिजली सप्लाई ठप हो जाती है। हाल में आए आंधी ने बिजली व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी थी। शहर के लगभग हर इलाके में घंटों बिजली गुल रही। जब उपभोक्ताओं ने शिकायत की तो जवाब मिला कि रिस्टोर करने में समय लगता है। इस व्यवस्था को सुधारने के लिए सात पहले 400 करोड़ की योजना बनी थी। बिजली व्यवस्था सुधारने के लिए कई बड़ी योजनाएं शुरू की गईं। सबसे बड़ा वादा था अंडरग्राउंड केबलिंग का, जिससे बिजली व्यवस्था आंधी-पानी के असर से बेअसर रहे। यह परियोजना 2018 में शुरू हुई थी और इसकी लागत करीब 400 करोड़ रुपये तय थी। अबतक इसपर 350 करोड़ रुपये खर्च भी हो चुके हैं, लेकिन परियोजना आज भी अधूरी है। शहर के कई महत्वपूर्ण इलाकों में अब भी जर्जर ओवरहेड तारों के सहारे बिजली सप्लाई की जा रही है। सिर्फ परियोजना ही नहीं, मेंटेनेंस के नाम पर भी मोटा खर्च होता है। झारखंड बिजली वितरण निगम हर साल मेंटेनेंस पर करीब 250 करोड़ रुपये खर्च करता है। इसके बावजूद बिजली विभाग अक्सर मेंटेनेंस के बहाने दो से तीन घंटे तक बिजली काट देता है। इसके अलावा बिजली सुधार योजनाओं में भारी भरकम राशि खर्च हो रही है। आईटी हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर अपग्रेडेशन के नाम पर 69.55 करोड़, आईटी प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में एक करोड़, एनर्जी एकाउंटिंग पर 63 करोड़, पावर इंप्रूवमेंट पर 5.50 करोड़ और आरडीएसएस स्कीम के तहत 200 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं।
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