बोले जमशेदपुर : मानगो में महीनों से स्ट्रीट लाइटें खराब, हर पल हादसे का खतरा
मानगो नगर निगम क्षेत्र की गलियां अंधेरे में डूबी हुई हैं, जिससे निवासियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। स्ट्रीट लाइटों के खराब होने से महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों के लिए रात में बाहर...

मानगो नगर निगम क्षेत्र की गलियां अंधेरे में डूबी हुई हैं, जिससे यहां के निवासियों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। मुख्य सड़कों से लेकर दर्जनों गलियों में स्ट्रीट लाइटें खराब हैं। इसके कारण लोगों, खासकर महिलाओं, बुजुर्गों और स्कूली बच्चों के लिए रात के समय आवाजाही करना जोखिम भरा हो गया है। अंधेरे का फायदा उठाकर असामाजिक तत्व अपराध को अंजाम देने के लिए सक्रिय रहते हैं। इससे लोगों में भय का माहौल है। मानगो में रहने वाले लोगों ने हिन्दुस्तान को अपनी समस्याएं बताईं। मानगो में रहने वाले लोगों ने इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए नगर निगम और बिजली विभाग से कई बार शिकायतें की हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों से भी गुहार लगाई गई, लेकिन अफसोस की बात यह है कि आजतक इसका स्थायी समाधान नहीं निकल पाया। कुछ स्थानों पर लाइट ठीक भी की जाती हैं, तो वे कुछ ही दिनों में फिर से खराब हो जाती हैं, जिससे लोगों में निराशा और आक्रोश बढ़ता जा रहा है। मानगो लंबे समय से बुनियादी सुविधाओं की अनदेखी का शिकार रहा है। वर्तमान में यहां की सबसे बड़ी और विकराल समस्या सड़कों पर स्ट्रीट लाइटों का बंद होना है। खासकर, बड़ा हनुमान मंदिर से लेकर मानगो चौक तक मेन रोड, दाईगुट्टू, मानगो चौक, आजादनगर, न्यू पुरुलिया रोड, उलीडीह, जवाहरनगर और जाकिर नगर हिलव्यू कॉलोनी जैसे घनी आबादी वाले इलाकों में दर्जनों गलियों में शाम होते ही कई महीनों से अंधेरा पसर जाता है। इन इलाकों में रात के समय चलना-फिरना तो दूर, घरों से बाहर निकलने में भी डर लगता है। मुख्य सड़कों की स्थिति भी बेहतर नहीं है। कहीं लाइट टिमटिमाती हुई नजर आती है तो कहीं पूरी तरह से अंधेरा छाया रहता है। इससे राहगीरों और वाहन चालकों दोनों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
प्रशासन से शिकायतें, फिर भी नहीं हुआ समाधान
स्थानीय निवासियों ने पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने नगर निगम के अधिकारियों से लेकर बिजली विभाग के कर्मचारियों और संबंधित स्थानीय जनप्रतिनिधियों तक शिकायतें दर्ज करवाई हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, नगर निगम के हेल्पलाइन नंबर और यहां तक कि जनसुनवाई कैंप में भी इस महत्वपूर्ण मुद्दे को प्रमुखता से उठाया, लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ खोखले आश्वासन ही मिले। समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस और स्थायी कदम नहीं उठाया गया, जिससे लोगों में यह भावना घर कर गई कि उनकी शिकायतों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। रात आठ बजते ही मानगो की अधिकांश गलियां अंधेरे के आगोश में समा जाती हैं। यह भयावह स्थिति खासकर उन कामकाजी महिलाओं के लिए अत्यंत खतरनाक है, जो रात में घर लौटती हैं। स्कूली बच्चों को सुबह अंधेरे में ट्यूशन या स्कूल जाने में डर लगता है। अंधेरे के कारण सड़कों पर जानवर झुंड में घूमते रहते हैं। इससे राहगीरों और दोपहिया वाहन चालकों के लिए दुर्घटनाओं का खतरा और भी बढ़ जाता है।
अपराधियों की अंधेरे में चांदी
सबसे चिंताजनक यह है कि इस घोर अंधेरे की आड़ में असामाजिक तत्वों की सक्रियता भी बढ़ गई है। स्थानीय निवासियों ने बताया कि कई इलाकों में मोबाइल छिनतई की घटनाएं आम हो गई हैं, महिलाओं के साथ छेड़खानी की घटनाएं बढ़ गई हैं और घरों में चोरी की आशंका भी हमेशा बनी रहती है।
ट्रस्ट और सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया
पैगाम-ए-इस्लाम एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट के चेयरमैन सैयद सैफुद्दीन ने कहा कि शहर का नाम देश के गिने-चुने विकसित शहरों में शुमार होता है। मानगो अब इस शहर का एक अभिन्न अंग बन चुका है। मानगो से लेकर पारडीह तक जो स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं, उनकी देखरेख सही ढंग से नहीं हो रही है। आम जनता को तकलीफ का सामना करना पड़ रहा है। बाहर के शहरों से आने वाले लोग भी जब मानगो की इस दुर्दशा को देखते हैं तो इससे शहर की छवि भी धूमिल होती है।
टोल फ्री नंबर भी बना मजाक
लोगों ने यह भी बताया कि मानगो में स्ट्रीट लाइट की शिकायतों के निवारण के लिए एक टोल फ्री नंबर भी जारी किया गया था, लेकिन उस पर शिकायत दर्ज कराने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती। अब तो स्थिति यह है कि वह टोल फ्री नंबर भी काम नहीं करता है, जिससे लोगों को समस्याओं को बताने का कोई जरिया ही नहीं बचा है। इससे लोगों में नगर निगम और प्रशासन के प्रति और भी अधिक निराशा और नाराजगी है।
4.4 किमी में 180 लाइट लगीं, ज्यादातर हो गईं खराब
वर्ष 2015 में मानगो से पारडीह चौक तक कुल 4.4 किलोमीटर की दूरी में 180 स्ट्रीट लाइटें लगी थीं। इस परियोजना के लिए एक करोड़ 18 लाख 44 हजार का टेंडर भी जारी किया गया था। लाइटें लगने के कुछ महीने तक तो सब कुछ ठीक-ठाक चला, लेकिन धीरे-धीरे ये लाइटें खराब होने लगीं। कई बार इन लाइटों की मरम्मत भी कराई गई, लेकिन आज भी अधिकांश लाइटें खराब पड़ी हैं। मुख्य सड़क पर भी कई जगह अंधेरा छाया रहता है, जिससे न केवल दुर्घटना का डर बना रहता है, बल्कि इन अंधेरे इलाकों में छिनतई जैसी आपराधिक घटनाओं की आशंका भी हमेशा मंडराती रहती है।
समाधान की राह कबतक
मानगो के लोगों का सवाल है कि आखिर कब उनकी इस बुनियादी समस्या का समाधान होगा? कब उन्हें अंधेरी गलियों से मुक्ति मिलेगी और वे सुरक्षित महसूस कर सकेंगे? नगर निगम और स्थानीय प्रशासन को गंभीरता से ध्यान देना होगा और एक ठोस कार्य योजना बनाकर महीनों से खराब पड़ी स्ट्रीट लाइट को तुरंत ठीक कराना होगा, ताकि मानगो के नागरिकों को राहत मिल सके और क्षेत्र में सुरक्षा का माहौल कायम हो सके। यह न केवल नागरिकों का अधिकार है, बल्कि एक विकसित शहर के अभिन्न अंग मानगो की छवि को बनाए रखने के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।
समस्याएं
1. मानगो की गलियों और मुख्य सड़कों पर लंबे समय से स्ट्रीट लाइटें खराब हैं।
2. अंधेरे के कारण महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों को रात में बाहर निकलने में डर लगता है।
3. अंधेरे का फायदा उठाकर मोबाइल छिनतई, छेड़खानी और चोरी की घटनाएं बढ़ गई हैं।
4. लोगों की बार-बार की गई शिकायतों पर भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
5. शिकायत के लिए जारी टोल फ्री नंबर काम नहीं कर रहा है।
सुझाव
1. हर वार्ड में स्ट्रीट लाइट की निगरानी और मरम्मत के लिए एक अलग टीम गठित की जाए।
2. सेंसर आधारित स्मार्ट लाइटें लगाई जाएं, जो खराब होने पर अलर्ट भेज सके।
3. नागरिकों के लिए शिकायत दर्ज करने और ट्रैक करने के लिए मोबाइल एप और वेब डैशबोर्ड शुरू किया जाए।
4. अंधेरी गलियों में विशेष गश्त दल की तैनाती हो, ताकि अपराधियों पर लगाम लग सके।
5. खर्च और कार्यप्रगति की सार्वजनिक रिपोर्ट जारी की जाए, जिससे जवाबदेही तय हो।
पहले से लगी स्ट्रीट लाइटें खराब हो गई हैं। एजेंसी से कांट्रैक्ट भी खत्म हो गया है। अब विधायक निधि से सोलर लाइट लगवाएंगे। जिन इलाकों में स्ट्रीट लाइटें खराब हैं, उन इलाकों में सोलर लाइट की व्यवस्था की जाएगी। इसकी तैयारी कर ली गई है।
-सरयू राय, विधायक, जमशेदपुर पश्चिमी
स्ट्रीट लाइट की समस्या काफी गंभीर है। ऐसे में चालकों को दिक्कत होती है। दुर्घटना की आशंका बढ़ गई है। कई जगह लाइट के पोल भी झुक गए हैं।
- गौहर रजा
खराब स्ट्रीट लाइट सड़क दुर्घटना का मुख्य कारण हैं। नए सिरे से पूरी लाइट लगनी चाहिए।
- सनी मिर्जा
पीस कमेटी की मीटिंग में यह बात उठाई गई थी। लाइट बनाने वाली गाड़ी आई, पर सिर्फ एक लाइट ही बनी। बाकी लाइटें आज भी वैसे ही हैं।
- राजी नौशाद
मानगो से लेकर पारडीह तक जो स्ट्रीट लाइटें लगाई गई हैं। इसकी देखरेख सही से नहीं हो रही है। इससे जनता को तकलीफ हो रही है। प्रशासन जो खर्च कर रहा है, उसकी भी बर्बादी हो रही है।
- सैयद सैफुद्दीन
स्ट्रीट लाइटें खराब होने के कारण सड़कों पर अंधेरा छा जाता है, जिससे अपराध को बढ़ावा मिलता है।
- नसीक अंसार
गलियों में लाइट नहीं होने से कई बार जानवर सामने आ जाते हैं। अंधेरे में जानवर कई बार लोगों को नुकसान पहुंचा चुके है।
- विकास सिंह
हाल ही में सड़क पर अंधेरा होने पर एक कार डिवाइडर से टकरा गई थी। स्ट्रीट लाइट होती तो यह समस्या नहीं होती।
- विशाल दास
हमने कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। हर बार सिर्फ आश्वासन ही मिलता है।
- कैलाश कुमार
यह प्रशासन की नाकामी है। करोड़ों की लाइटें लगीं, लेकिन रखरखाव शून्य है। यह जनता के पैसे की बर्बादी है।
- मनोज साह
ओल्ड पुरुलिया रोड में कई जगह लाइटें खराब हैं। त्योहारी सीजन में प्रशासन ने इसे बनाने की बात कही थी, पर अबतक नहीं बनी।
- कुंदन यादव
मानगो जवाहरनगर रोड नंबर 16 के पास एक स्ट्रीट लाइट झुकी हुई है, जो दुर्घटना का कारण बन सकती है। इसे जल्द ठीक किया जाना चाहिए।
- सन्नी सिंह
चेपापुल से लेकर पारडीह चौक के बीच काफी अंधेरा रहता है। रात 11 बजे के बाद यह सड़क भी सुनसान हो जाती है।
- चंदन श्रीवास्तव
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