जानवरों का शिकार नहीं होने देगा वन विभाग
दलमा के जंगलों में इस बार पारंपरिक सेंदरा पर्व के दौरान वन विभाग ने सख्त कदम उठाए हैं। 17 नाके बनाए गए हैं और वनकर्मियों को तैनात किया गया है। सेंदरा के दौरान वन्य प्राणियों का शिकार करना कानून का...

दलमा के जंगलों में पारंपरिक सेंदरा पर्व को लेकर इस बार माहौल कुछ अलग है। एक तरफ आदिवासी सेंदरा वीरों की तैयारी जोरों पर है, वहीं दूसरी ओर वन विभाग नियंत्रित करने के लिए पूरी तरह सतर्क है। बाघ की हालिया मौजूदगी और पिछले अनुभवों को ध्यान में रखते हुए विभाग ने इस बार कानूनी और प्रशासनिक कदमों को तेज कर दिया है। दलमा की तलहटी में प्रवेश रोकने के लिए 17 नाके बनाए गए हैं। इन बिंदुओं पर वनकर्मियों की तैनाती की गई है, ताकि किसी भी प्रकार की अवांछित गतिविधियों को रोका जा सके। साथ ही, गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें लोगों को वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की जानकारी दी जा रही है।
वन विभाग द्वारा जारी पर्चे में स्पष्ट किया गया है कि सेंदरा के दौरान यदि किसी वन्य प्राणी का शिकार हुआ तो यह कानून का उल्लंघन माना जाएगा और कड़ी सजा का प्रावधान लागू होगा। पर्चे में स्वीकार किया गया है कि पारंपरिक सेंदरा में कभी-कभी कानून तोड़ा जाता रहा है, जिससे आदिवासी समाज पर आरोप भी लगते रहे हैं। वन विभाग ने अपील की कि सेंदरा को सांस्कृतिक और धार्मिक महापर्व के रूप में मनाएं। पारंपरिक हथियारों (तीर-धनुष, भाला) तक ही सीमित रहें और नशीली दवाओं, देसी कट्टों, बंदूकों या जाल का उपयोग न करें। पिछले वर्ष विभाग ने देसी कट्टा जब्त किया था, जिससे साफ संकेत मिला कि कुछ लोग परंपरा के नाम पर कानून का उल्लंघन कर रहे हैं। इस वर्ष दलमा रेंज को पांच जोन में बांटा गया है। हर जोन में अलग-अलग प्रभारी नियुक्त किए गए हैं, जिनके पास सुरक्षा और निगरानी की पूरी जिम्मेदारी होगी। जोन-1 से लेकर जोन-5 तक का विस्तार काली मंदिर, डिमना चौक, पिंडराबेड़ा, चांडिल, छाड़घर और अन्य ग्रामीण क्षेत्रों तक फैला है।
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