Impact of Increased Tariffs on Palamu s Mining Sector and Local Economy बोले पलामू-ट्रंप के टैरिफ से माइनिंग में घटेंगे रोजगार के अवसर, Palamu Hindi News - Hindustan
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बोले पलामू-ट्रंप के टैरिफ से माइनिंग में घटेंगे रोजगार के अवसर

पलामू की अर्थव्यवस्था में खनन क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। हाल के दिनों में अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने से पलामू के माइनिंग सेक्टर में मंदी की आशंका बढ़ गई है। इससे स्थानीय...

Newswrap हिन्दुस्तान, पलामूMon, 7 April 2025 01:58 AM
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बोले पलामू-ट्रंप के टैरिफ से माइनिंग में घटेंगे रोजगार के अवसर

पलामू की अर्थव्यवस्था में माइनिंग सेक्टर का बड़ा योगदान है। पलामू में करीब 200 सालों से कोयले का उत्पादन हो रहा है। करीब 100 साल पहले से ग्रेफाइट, डोलोमाइट आदि का भी उत्पादन होता आ रहा है। हाल के दो दशक से स्टोन माइंस का भी कारोबार पलामू में तेजी से बढ़ा है। पलामू जिले के सभी प्रखंडों में स्टोन माइनिंग और क्रशरिंग का काम चल रहा है। इसके अलावा मिट्टी का खनन व ईंट निर्माण का कारोबार भी पलामू में खूब फलफूल रहा है। परंतु अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सरकार की ओर से भारतीय उत्पादों पर आयात शुल्क 27 प्रतिशत बढ़ा देने से माइनिंग सेक्टर में भी मंदी आने की आशंका बढ़ गई है। हिन्दुस्तान अखबार के बोले पलामू अभियान के दौरान पलामू के क्रशर और माइनिंग व्यवसायियों ने अपनी आशंका को खुलकर व्यक्त किया।

मेदिनीनगर। अमेरिका में आयात शुल्क बढ़ाए जाने के बाद टैरिफ युद्ध की ओर बढ़े वैश्विक अर्थव्यवस्था से पलामू जिला भी अछूता नहीं रहेगा। यद्यपि पलामू जिले से कोई उत्पाद सीधे विदेश में नहीं भेजा जाता है परंतु लाह, शहद, अरहर दाल, तिल, ग्रैफाइट, बालू आदि कई ऐसे उत्पाद है जो प्रंस्सकरण के बाद दूसरे रूप में विदेशों को आपूर्ति किए जाते हैं।

वैश्विक अर्थव्यवस्था के मंदी की ओर जाने पर इसका गहरा प्रभाव भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा जिससे पलामू भी प्रभावित होगा। पलामू जिला सह प्रमंडल देश के पिछड़े क्षेत्रों में शामिल है। इस क्षेत्र को विकास की मुख्य धारा में लाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण तेजी से चल रहा है। वैश्विक मंदी से भारत की अर्थव्यवस्था प्रभावित होने पर विकास कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा जिससे निर्माण उद्योग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। फलत: स्टोन चिप्स, बोल्डर, डस्ट आदि की डिमांड भी बुरी तरह प्रभावित होगी। इससे पलामू का माइनिंग कारोबार पर मंदी आएगी। फिलवक्त माइनिंग सेक्टर पलामू के युवाओं व मजदूरों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध करा रहा है जो प्रभावित हो सकता है। पलामू जिले का छतरपुर अनुमंडल पहले नक्सल गतिविधि के लिए बदनाम था परंतु पिछले डेढ़ दशक से यह क्षेत्र स्टोन कारोबार के क्षेत्र के तेजी से आगे बढ़ा है। छतरपुर, हरिहरगंज, पिपरा, नौडीहा में बड़े पैमाने पर स्टोन की माइनिंग और क्रशिंग कार्य चल रहा है। हुसैनाबाद अनुमंडल में भी खनन कारोबार तेजी से आगे बढ़ा है। इसके अलावा पांकी, सतबरवा, चैनपुर, रामगढ़, विश्रामपुर, पांडू, पाटन, तरहसी आदि अंचल में भी स्टोन खनन कारोबार खूब हो रहा है। सतबरवा में ग्रैफाइट माइनिंग का कार्य होता है। नावाबाजार में चुना पत्थर का माइंस है। मिट्टी खनन और ईंट बनाने का काम पंडवा, पाटन, तरहसी, पांकी, छतरपुर, नावाबाजार, हरिहरगंज, हुसैनाबाद, चैनपुर में बड़े पैमाने पर किया जाता है। मंदी से उत्पन्न होने वाले नुकसान को लेकर सभी संबंधित व्यवसायी सशंकित हैं और सरकार से गंभीरता से विचार करते हुए पलामू जैसे जिले को मंदी के प्रभाव से बचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की दिशा में प्रयास करने की अपेक्षा कर रहे हैं। पलामू का खनन क्षेत्र, जिसमें पत्थर खनन भी शामिल है, मांग और कीमतों में कमी से खनन कंपनियों के राजस्व में कमी आना तय है। इससे रोजगार के अवसर में कमी आएगी। अगर ससमय रक्षात्मक उपाय नहीं किए गए तो पलामू जैसे क्षेत्र में परिस्थिति काफी खराब हो जाएगी।

पलामू की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ेगा तो यहां निवास करने वाले करीब 24 लाख की आबादी संकट में आएगी। राज्य गठन के करीब 25 वर्ष बाद भी पलामू में 70% महिला आबादी खून की कमी से जूझ रही है, 54% बच्चे कुपोषित पैदा हो रहे हैं। ड्रॉपआउट बच्चों की संख्या शून्य करने में सफलता नहीं मिली। एमआरएमसीएच को रेफरल अस्पताल के बदनुमा दाग से बाहर निकालने में मदद नहीं मिली।

स्टोन आधारित कारोबार से पलामू में बढ़े हैं रोजगार

पलामू में स्टोन कारोबार ने पिछले दो दशक में काफी प्रगति की है। इससे रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। सरकार का राजस्व भी बढ़ा है। इसके आधार पर संबंधित क्षेत्र में भी बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। जिले का राजस्व बढ़ने का परिणाम हुआ है कि दोनों नेशनल हाइवे का फोरलेन में अपग्रेडेशन किया जा रहा है। हरिहरगंज से छतरपुर तक के हिस्से का फोरलेन में अपग्रेडेशन हो गया है। इससे माइनिंग प्रोडक्ट को बाजार तक पहुंचाने में आसानी हुई है। छतरपुर से पंडवा मोड़ तक के खंड को फोर लेन में अपग्रेडेशन की दिशा में भी पहल शुरू हुई है।

बंद माइंस खोलने पर लग सकता है विराम

ग्रैफाइट उत्पादन के लिए सतबरवा बड़ा केंद्र था परंतु मुरमा का माइंस मलय डैम की सुरक्षा को लेकर बंद है। इसका असर सतबरवा की अर्थव्यवस्था पर पड़ी है। राजहरा स्थित सीसीएल के कोलियरी में भी उत्पादन करीब दो दशक से ठप है। सोकरा माइंस, दुर्गा माइंस में भी उत्पादन ठप है। सांसद विष्णु दयाल राम के लगातार प्रयास और प्रदेश के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर पलामू से होने के कारण माइनिंग क्षेत्र की अवरोध दूर होने की उम्मीद जगी थी। हालांकि माइनिंग कारोबारियों को डर है कि अगर मंदी की स्थिति बनी तो फिर से पलामू में कारोबार धीमी हो जाएगी।

प्रवासी मजदूर हुए थे वापस

कोरोना काल की मंदी में पलामू जिले के एक लाख से अधिक मजदूर वापस लौटने के लिए विवश हुए थे। इससे पलामू की ग्रामीण क्षेत्र के परिवारों के समक्ष बड़ी स्थिति पैदा हो गई थी। विश्व में टैरिफ वार गहराने व मंदी की स्थिति पैदा होने पर फैक्ट्रियों में शटडाउल ऑवर बढ़ेंगे और मजदूरों के समक्ष रोजगार के संकट पैदा होंगे। इसका असर सीधे पलामू पर पड़ेगा क्योंकि पलामू जिले के बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर महानगरों में जाकर काम करते हैं।

उत्पादन बढ़ाने की जरूरत

वैश्विक मंदी का सामना करने के लिए उत्पादन बढ़ाने और लागत घटाने की जरूरत होती है। माइंस कारोबारियों को माने तो इस कारोबार को शुरू करने व सहजता से संचालन में कई तकनीकी रूकावटें आती है। इसके कारण लागत लगातार बढ़ता जाता है। शासन-प्रशासन अगर सकारात्मक सहयोग की भूमिका में रहे तो बिजली आपूर्ति नियमित हो सकती है। अन्य तकनीकी बाधाएं दूर हो सकती है जिससे उत्पादन में बढ़ोतरी और लागत में कमी आएगी। इससे उत्पाद का मूल्य अपेक्षाकृत सस्ता होगा जिससे वैश्विक मंदी से निबटने में मदद मिलेगी।

समस्याएं

1. मंदी आने से खनन उत्पादों की मांग घटेगी, जिससे उत्पादन घटाने, मैनपावर कम करने आदि का दबाव बढ़ेगा।

2. मांग घटने से प्रभावित होकर उत्पादन घटाने पर उत्पादों की लागत में बढ़ोतरी होगी, जिससे वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा वाले बाजार में टीके रहना मुश्किल होगा।

3. कमाई घटने पर लोन और उसका ब्याज चुकाने में परेशानी आएगी। इससे कारोबारियों को परेशानी होगी।

4. मैनपावर घटाने पर क्षेत्र में कई सामाजिक परेशानी पैदा होगी, जिससे कारोबार को संचालित करने में परेशानी होगी।

सुझाव

1. सरकार कूटनीतिक वार्ता कर अमेरिका में बढ़े आयात शुल्क से उत्पन्न प्रभाव को कम करने के लिए पहल करे।

2. मंदी से निपटने के लिए नए बाजार को ढूंढ निकाले और घरेलू बाजार में खपत बढ़ाने की दिशा में सरकार द्वारा पहल तेज करने की बेहद आवश्यकता है।

3. खनन कारोबार को वित्तीय, नीतिगत स्तर पर सहयोग देकर उत्पादन को घटाने की नौबत नहीं आने देने का प्रयास हो।

4. मजदूरों के लिए रोजगार के वैकल्पिक अवसर तैयार रखने की दिशा में सरकार प्रयास करे ताकि उन्हें परेशानी न हो।

इनकी भी सुनिए

अमेरिका में भारतीय उत्पादों पर बढ़े आयात शुल्क से अर्थ तंत्र निश्चित रूप से प्रभावित होगा। विधायक और राज्य के वित्त मंत्री, पलामू के सांसद और अन्य विधायकों से मिलकर पलामू की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव रोकने का प्रयास किया जाएगा।

आलोक कुमार सिंह, उपाध्यक्ष, पलामू जिला परिषद

अगर भारत पर वैश्विक आर्थिक मंदी का असर पड़ता है तो माइनिंग सेक्टर भी प्रभावित होगा। मंदी को रोकने के लिए सकारात्मक पहल करनी चाहिए। व्यापार को सहज बनाने, उत्पादन में बाधक तत्वों को चिह्नित कर उसे दूर करने आदि की दिशा में पहल करनी चाहिए।

रवि शंकर सिंह, खनन व्यवसायी

माइनिंग सेक्टर, कंस्ट्रक्शन कारोबार पर निर्भर करता है। अगर कंस्ट्रक्शन प्रभावित होगा तो माइनिंग सेक्टर भी प्रभावित होगा। सरकार को पहल करनी होगी। राजीव रंजन

ट्रंप शासन की ओर बढ़ाए गए आयात शुल्क का असर भारत के प्रत्येक सेक्टर पर पड़ेगा। माइंस सेक्टर पर भी प्रभाव पड़ेगा। मंदी रोकने के लिए कदम उठाना होगी।

अली खान

भारत से निर्यात होने वाले पदार्थो पर टैरिफ बढ़ाए जाने से मांग में कमी आएगी। इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा। माइनिंग पर भी इसका असर आएगा। शशांक शेखर शाही

वैश्विक आर्थिक मंदी आने पर भारत पर भी दबाव पड़ता है। ऐसा होने पर माइनिंग सेक्टर भी प्रभावित होगा। इसे रोकने के लिए सरकार को कदम उठानी होगी।

विश्वनाथ प्रसाद

अमेरिका से इंडिया ज्यादा सामाग्री आयात करता है। निर्यात सामग्री कम है। अगर इंडिया भी उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ा देगा तब असर जरूर शुरू हो जाएगा।

अंबुज कुमार

वैश्विक मंदी की स्थिति में माइनिंग भी प्रभावित होगा। बचाव के लिए अभी से उपाय ढूंढे जाने की जरूरत है। इस दिशा में सरकार स्तर पर ही प्रयास संभव है।

अक्षय प्रताप सिंह

माइनिंग सेक्टर रोजगार का बड़ा अवसर पैदा करता है। मंदी से इस सेक्टर को बचाने के लिए सरकार को प्रयास करना चाहिए। इससे लोगों को परेशानी नहीं होगी।

रोहित सिंह

खनन क्षेत्र पलामू में तेजी से विकसित हो रहा है। इसे मंदी से बचाए रखने में प्रशासन की भी बड़ी भूमिका होगी। इस दिशा में सरकार व प्रशासन को प्रयास करना चाहिए। शशि रंजन सिंह

स्टोन कारोबार कंस्ट्रक्शन से सीधा जुड़ा हुआ है। वैश्विक मंदी आने पर कंस्ट्रक्शन का काम धीमा हो जाता है। टैरिफ वार से अगर मंदी आई तो खनन क्षेत्र भी प्रभावित होगा। अनिल सिंह

खनन कारोबार ब़ढ़ने से पलामू की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण में तेजी आई है। कल्याणकारी योजनाएं भी चल हैं। मंदी से सबकुछ प्रभावित होगा। मनीष कुमार सिंह

टैरिफ वार से वैश्विक मंदी का खतरा मंडरा रहा है। ऐसा होने पर भारत भी प्रभावित होगा। कंस्ट्रक्शन कार्य प्रभावित हुआ तो स्टोन आधारित कारोबार भी प्रभावित होंगे। रामाशीष सिंह

वैश्विक बाजार में टैरिफ वार का शुरू हो गया है। भारत का आंतरिक कारोबार भी इससे प्रभावित होगा। सरकार को कम से कम प्रभाव पड़े इसपर विचार करना चाहिए। नंदन सिंह

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