नावा बाजार प्रखंड के सभी आठ पंचायतों में जल-संकट गहराया
विश्रामपुर के नावाबाजार प्रखंड में गर्मी के कारण भूमिगत पानी की गहराई में कमी आई है, जिससे जल संकट बढ़ गया है। 47 गांवों के लगभग 9200 परिवार प्रभावित हैं। 776 जलस्रोतों में से 147 चापाकल खराब हैं।...

विश्रामपुर, प्रतिनिधि। नेशनल हाइवे 39 और 139 के दोनों तरफ फैला नावाबाजार प्रखंड के गांव में भूमिगत पानी का गर्मी के कारण गहराई में चला गया है। इसके कारण जलसंकट गहरा गया है। इसके कारण नावाबाजार प्रखंड के 47 गांव में निवास करने वाले करीब 9200 परिवारों के 50 हजार से अधिक परिवार जल संकट से जूझ रहे हैं। नावाबाजार प्रखंड में जलापूर्ति के लिए कुल 776 जलस्रोत विकिसित किए गए हैं। इसमें 740 चापकल हैं। शेष जलमीनार व अन्य हैं। वर्तमान में 147 चापाकल खराब पड़े हुए हैं। प्रखंड के राजहरा गांव में 22 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण कराया गया, बहुग्राम पेयजलापूर्ति योजना को अधूरा ही छोड़ दिया गया है।
दो साल बाद भी ग्रामीणों को नहीं मिला एक बूंद पानी आपूर्ति नहीं की गई है। राजहरा बहुग्राम जलापूर्ति योजना से राजहरा और बसना पंचायत के सात गांवों को शुद्ध पेयजल की आपूर्ति करनी थी। केंद्र सरकार की नल जल मिशन योजना के ठेकेदार व विभागीय पदाधिकारी की लापरवाही से संबंधित योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। नावाबाजार की बीडीओ रेणु बाला ने बताया कि भीषण गर्मी के कारण भूमिगत जलस्तर नीचे खिसक रहा है। प्रखंड के सभी आठ पंचायतों में उत्पन्न जल-संकट की समस्या का निदान निकालने के लिए विमर्श किया जा रहा है। चापाकल मरम्मति कार्य शुरू कराया गया है। शनिवार को सभी पंचायत प्रतिनिधियों व जल सहिया के साथ बैठक कर निदान की दिशा में पहल शुरू की जा रही है। बैठक में जनप्रतिनिधियों को जल संकट के मसले को गंभीरता से उठाया है। मुखिया संघ ने कहा कि शिकायत के बावजूद नहीं हुई कार्रवाई नावा बाजार के सभी आठ पंचायतों के मुखिया ने मुखिया संघ के प्रखंड अध्यक्ष विनोद विश्वकर्मा के नेतृत्व में उपायुक्त को आवेदन देकर नल जल योजना में कई गयी अनियमितता की जांच कर दोषी के विरुद्ध कार्रवाई की गुहार लगाई थी। विनोद विश्वकर्मा ने अपने पंचायत तुकबेरा की समस्याओं को भी गंभीरता से उठाया था परंतु अबतक निदान नहीं निकल सका है। उन्होंने कहा कि शिकायत के बावजूद कार्रवाई नहीं होने से पेयजलापूर्ति योजनाएं बेकार पड़ी हुई है और आम लोग जलसंकट से जूझ रहे है। हाल में कराए गए सर्वे के अनुसार प्रखंड के 50 फीसदी अधिक चापाकल से पानी नहीं निकल रहा है जबकि 80 फीसदी लघु जलमीनार बेकार पड़े हुए हैं।
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