सूख रहा है गला दिलाए पानी : मांडू प्रखंड क्षेत्र में खराब है 75 फीसदी चापानल
- पानी का जलस्तर से गिरने से बढ़ी प्रखंड वासियों की परेशानी, नदी का दूषित पानी पीने को मजबूर हुआ संथाली समाज

मांडू, निज प्रतिनिधि। दो दिनों पूर्व बारिश पूरी तरह से थम चुकी है। ऐसे में मौसम का पारा तेजी से लगातार बढ़ने लगा है। इसका असर पानी के जलस्तर पर भी पड़ा है। खासकर रामगढ़ जिला के बड़े पंचायतों में शुमार मांडू प्रखंड की हालत सबसे खराब है। यहां मांडू प्रखंड क्षेत्र के 36 पंचायतों में करीब 2000 चापानल लगे हैं। इसमें 70 फीसदी से अधिक हैंड पंप निष्क्रिय पड़ा हुआ है। इस कारण आमलोगों की परेशानी काफी बढ़ गई है। गर्मी का पारा चढ़ने और भू-जल स्तर के नीचे खिसकने से चापानलों का जवाब देना जारी है। प्रखंड के कई पंचायतों में चापानलों के हलक सूख गए हैं।
ग्रामीण अपने रोजमर्रा में उपयोग होने वाले पानी की व्यवस्था के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। प्रखंड के हेसागढ़ा और मांडू चट्टी पंचायत के ग्रामीणों को पेयजल के लिए कई किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है। तब जाकर लोगों क़ो पीने का पानी उपलब्ध हो पा रहा है। नोनियाबेड़ा के ग्रामीणों के लिए एकल जल योजना के तहत आठ हजार लीटर का जलमीनार स्थापित किया गया था। लेकिन संवेदक के लापरवाही के कारण यहां के संथाली समाज के लोगों क़ो बोकारो नदी के दूषित पानी का उपयोग करना पड़ रहा है। इसे लेकर संबंधित विभाग से कई बार शिकायत की गई है। इसके बावजूद सरकरी योजना से पंचायत में लगे कई हैंड पंप निष्क्रिय होने के बावजूद विभागीय बाबू कुंभकर्णी निंद्रा में सो रहे हैं। इस कारण आमलोगों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। इस ओर ध्यान देने वाला कोई पदाधिकारी नहीं है। नतीजा आम जनता का भुगतना पड़ रहा है।
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