चुरी कॉलोनी में लाल पानी की सप्लाई से मजदूर परेशान
खलारी की चुरी कॉलोनी में कोयला कामगारों को लाल पानी की सप्लाई से कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। बारिश के कारण सपही नदी का पानी दूषित हो गया है, जिससे पीने का पानी खरीदना पड़ रहा है। मजदूरों का...

खलारी, निज प्रतिनिधि। सीसीएल एनके एरिया की चुरी कॉलोनी में इन दिनों नदी के लाल पानी की सप्लाई होने से कोयला कामगारों और उनके परिजनों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। पिछले दिनों हुई बारिश के कारण सपही नदी में पानी का बहाव बढ़ जाने के कारण उसका पानी लाल हो गया है और वहीं पानी कॉलोनी में सप्लाई की जा रही है। यह लाल पानी मजदूरों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। अचानक लाल पानी सप्लाई होने के कारण आवासों के पानी टंकी दूषित हो गया है। पहले से मौजूद पानी भी खराब हो गया। अब पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए मजदूरों को पानी खरीदना पड़ रहा है।
लाल पानी न तो पीने के काम आ रहा है न ही कपड़ा और घर साफ करने में ही उपयोग हो पा रहा है। कामगारों का कहना है कि लाल पानी के सप्लाई के कारण पानी की टंकी भी पूरी तरह से दूषित हो जाती है। उस पानी के इस्लेमाल से शरीर में खुजली भी हो रही है। आपको बता दें कि कोयला खदानों के राष्ट्रीयकरण के बाद से ही चुरी खदान चल रही है, तब से यहां के कॉलोनी में नदी से डायरेक्ट पानी की सप्लाई की जा रही है। नदी से डायरेक्ट पानी मजदूरों के आवास में हो रहा है सप्लाई: मजदूरों के आवास में भी लाल पानी की डायरेक्ट सप्लाई की जा रही है। मजबूरन कोयला कामगारों को इसी पानी से घर के सारे काम काज करने पड़ रहे हैं। पीने के लिए या तो उन्हें खरीद कर पानी लाना पड़ रहा है या फिर आवास से दूर किसी कुएं या चापाकल से पानी का जुगाड़ कर रहे हैं। यह परेशानी कामगारों को पूरे चार महीने तक हर साल उठानी पड़ती है। परियोजना के अंतर्गत आने वाली चुरी, मानकी और सुभाष नगर कॉलोनी में रहने वाले कोयला कामगार पानी की समस्या झेलते रहते हैं। परियोजना में काम करने वाले कर्मचारी लगातार इन समस्याओं को लेकर परियोजना के अधिकारियों को सूचित करते रहते हैं, इसके बावजूद भी उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलता है। मजदूरों को शुद्ध पानी मुहैया कराये प्रबंधन: सोनू पांडे इस संबंध में आरसीएमएस के चुरी शाखा सचिव सोनू पांडे ने परियोजना प्रबंधन से कोयला कामगारों को शुद्ध पानी उपलब्ध कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यह बात पूरी तरह सच है कि पिछले 40 वर्षों से परियोजना के कामगारों को शुद्ध पानी नसीब नहीं हो रहा है। बरसात में नदी का लाल पानी मिलना तय है। यह पानी किसी भी उपयोग में नहीं आता है। क्षेत्रीय प्रबंधन को इस दिशा में पहल करने की जरूरत है।
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