राज्य के आधे उपभोक्ता फोरम में छह माह से अध्यक्ष नहीं
राज्य उपभोक्ता आयोग में भी अध्यक्ष नहीं, राज्य के 16 जिलों में हैं उपभोक्ता फोरम, 12 जिलों के फोरम में पूरे सदस्य नहीं

रांची। विशेष संवाददाता राज्य में उपभोक्ता न्याय व्यवस्था गंभीर संकट से गुजर रही है। जिला उपभोक्ता फोरम और राज्य उपभोक्ता आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों के पद लंबे समय से रिक्त पड़े हैं, जिससे उपभोक्ताओं की शिकायतों पर सुनवाई ठप हो गई है। हालात यह है कि राज्य के 16 जिलों के उपभोक्ता फोरम में से आठ जिलों में अध्यक्ष के पद रिक्त हैं, जबकि 12 जिलों में फोरम सदस्यों की कमी से जूझ रहे हैं।
राज्य उपभोक्ता आयोग की स्थिति भी कुछ बेहतर नहीं है। आयोग में अध्यक्ष का पद पिछले छह माह से खाली है और यहां केवल एक सदस्य ही कार्यरत है। इससे आयोग में अपीलों पर सुनवाई ठप पड़ी है। आयोग में अध्यक्ष और अन्य सदस्यों की अनुपस्थिति के चलते लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे उपभोक्ताओं को न्याय मिलने में देरी हो रही है।
इस गंभीर स्थिति को देखते हुए झारखंड बार कौंसिल ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जिला उपभोक्ता फोरम में दो अधिवक्ता सदस्यों को शीघ्र नामित करने की मांग की है। कौंसिल का कहना है कि लंबे समय से खाली पदों के कारण उपभोक्ताओं को न्याय नहीं मिल पा रहा, जो उपभोक्ता अधिकारों का सीधा उल्लंघन है। यदि जल्द ही आयोग और फोरम में रिक्त पदों को नहीं भरा गया तो उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का मकसद ही विफल हो जाएगा।
उपभोक्ता आयोग और फोरम उपभोक्ताओं को समयबद्ध और सस्ता न्याय देने के लिए गठित किए गए हैं। लेकिन वर्तमान में पद रिक्त होने के चलते न तो समयबद्ध न्याय संभव हो पा रहा है, न ही उपभोक्ताओं का विश्वास प्रणाली पर कायम रह पा रहा है।
बार कौंसिल के पत्र में क्या
झारखंड राज्य बार कौंसिल के उपाध्यक्ष राजेश कुमार शुक्ल ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री को पत्र लिख कहा है कि राज्य उपभोक्ता आयोग छह माह से ठप पड़ा है। जिलों के फोरमों में भी अध्यक्ष और सदस्यों के पद रिक्त हैं। उपभोक्ता आयोग में सदस्य नहीं रहने से लोग अपील भी नहीं कर पा रहे हैं। कौंसिल ने दो-दो प्रमुख अधिवक्ताओं को फोरमों में शामिल करने का आग्रह किया है, ताकि इन्हें गति मिल सके।
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