बोले रांची: शहीदों के वंशज तकलीफ में सरकार से मदद की आस
झारखंड में स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों ने सरकार से मूलभूत सुविधाओं और रोजगार की मांग की है। वे अपने पूर्वजों के योगदान को मान्यता दिलाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन सरकारी उपेक्षा के कारण उनकी...

रांची, वरीय संवाददाता। देश की आजादी के बाद से हम लगातार आगे बढ़त जा रहे हैं। स्वतंत्रता सेनानियों से आज भी हम प्रेरणा लेते हैं। देश की आजादी में झारखंड के स्वतंत्रता सेनानियों का भी बड़ा योगदान रहा है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान झारखंड के कई वीर सपूतों ने अंग्रेजों से लोहा लेते हुए अपना स्वोच्च न्योच्छावर किया। इन स्वतंत्रता सेनानियों के वंशज राजधानी रांची समेत झारखंड के विभिन्न जिलों में रह रहे हैं। हिन्दुस्तान का बोले रांची कार्यक्रम में वर्तमान में इनकी स्थिति पर केंद्रीत हुआ। इसमें इनके वंशजों ने कहा कि कई पीढ़ियों के गुजरने के बाद भी उनके परिजन गरीबी और पिछड़ेपन की जिंदगी जी रहे हैं। सरकार की उपेक्षा के कारण गांव-घर के हाल बेहाल हैं। पेयजल से लेकर शौचालय तक नहीं है। हालांकि, उन्हें आज भी उम्मीद है कि सरकार शहीद और उनके परिवार का एक-न-एक दिन मान रखेगी। गांव-घर का चहुमुखी विकास होगा। शहीद के गांव को मूलभूत सुविधाएं मिलेंगी।
शहीद स्वतंत्रता सेनानियों के वंशज गांव-परिवार में मूलभूत सुविधाओं की बाट जोह रहे हैं। अपने पूर्वजों को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। वे अपने पूर्वजों के योगदान को मान्यता दिलाने और उन्हें उचित सम्मान देने के लिए आवाज उठा रहे हैं। वृद्ध जनों के लिए पेंशन और युवाओं के लिए नौकरी और सरकार की ओर से आरंक्षण की मांग कर रहे हैं। वर्षों से यह मांग की जा रही है, लेकिन उनकी मांगें आज तक पूरी नहीं हुईं। कई शहीद और उनके परिजन आज तक चिन्हित नहीं हुए हैं।
सरकारी उपेक्षाओं और व्यवस्था से वंशज असंतुष्ट
हिन्दुस्तान के 'बोले रांची' कार्यक्रम में शहीद परिवार के वंशजों ने कहा कि शहर से लेकर गांव तक सरकारी उपेक्षाओं के कारण सेनानियों के वंशज व्यवस्था से असंतुष्ट हैं। राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत तो हैं, लेकिन गरीबी, बेरोजगारी और अशिक्षा में जीवन यापन कर रहे हैं। आजादी के बाद से लेकर अब तक वंशज और उनके परिजनों को सरकार की ओर से मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराई गई है। कई वंशजों के घर जर्जर हैं, तो कई घरों में शौचालय नहीं है। शौच जाने के लिए उन्हें दूर दराज जंगलों में जाना पड़ता है।
पैतृक आवास की स्थिति जर्जर
अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के शहादत और जन्म दिवस के अवसर पर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के शहीद स्वतंत्रता सेनानियों को झारखंड के संदर्भ में उचित सम्मान देने की मांग लगातार की जाती रही है। शहीद परिजनों के कल्याण के लिए भी कई मांगें की जाती रही हैं। आर्थिक रूप से कमजोर परिवार में बेरोजगार युवक-युवतियों को सीधे तौर पर सरकारी नौकरी में नियुक्ति की मांग की जाती रही है। शहीदों के परिजनों ने बताया कि उनके अपने आवास के साथ पैतृक आवास की स्थिति जर्जर है। इनकी मरम्मत कराने तक के उनके पास पैसे नहीं हैं। स्वतंत्रता सेनानियों के जीवन से जुड़े धरोहर के रूप में पैतृक आवास आज भी मौजूद हैं। लेकिन, समुचित देखभाल की कमी और परिजनों की खराब वित्तीय स्थिति के कारण ये धरोहर भी खत्म होने के कगार पर हैं।
अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति राज्य में उदासीनता
राज्य में कई अज्ञात स्वतंत्रता सेनानियों का भी देश की आजादी में अहम योगदान है। लेकिन, सरकार इनका पता लगाने के प्रति अब तक उदासीन ही रही है। इसके पुष्ट प्रमाण सरकार के पास भी उपलब्ध नहीं हैं। शहीद शेख भिखारी और शहीद जग्गू दीवान के परिजनों की वंशावली स्पष्ट नहीं होने से उनके परिजन दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। जबकि, इनके परिजन सरकार से लगातार प्रमाणित वंशावली जारी करने के लिए शोध समिति का गठन करने की मांग करते आ रहे हैं।
घरों में शौचालय नहीं, चुआं का पानी प्यास बुझा रहा
शहीद व स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। वह गरीबी में जीवन यापन कर रहे हैं। आवासा जर्जर हैं। कई वंशज तो झोपड़ी वाले घरों में रहकर जीवनयापन कर रहे हैं। घरों में शौचालय तक नहीं है। सुबह में तो काम चल जाता है लेकिन, रात में परेशानी होती है। गांव में केवल बिजली ही उपलब्ध है। पेयजल भी उपलब्ध नहीं है। चुंआ से पानी निकालकर पीना पड़ता है। गांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी है। सरकारी सुविधाएं और लाभ आसानी से नहीं मिल पाते हैं।
शहीद पर हो प्रतिष्ठान और संस्थान का नामकरण
झारखंड में शहीद सेनानियों की स्मृति में शहीद पर्यटन स्थल की मांग आज भी सेनानियों के वंशज कर रहे हैं। साथ ही सरकारी भवनों, सड़कों, प्रतिष्ठानों व योजनाओं का उनके नाम पर करने की मांग है। जिससे उनका योगदान लोगों की स्मृति में रहे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका है। वहीं, मांग है कि अमर शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनी पाठ्यपुस्तकों में प्रकाशित की जाए। राज्य के हर जिले के अमर शहीदों के परिवार को चिन्हित कर सरकार की योजनाओं लाभ दिया जाए।
शहर के भी शहीद स्थल को सम्मान-संरक्षण की जरूरत
धुर्वा सेक्टर तीन में शहीद ठाकुर विश्नाथ शाहदेव चौक स्थित शहीद स्थल की दशा खराब है। यहां बड़े गोलंबर में आदमकद शहीद की प्रतिमा शहरवासियों का ध्यान आकर्षित करती है। लेकिन, देखभाल के अभाव व अव्यवस्था के कारण स्थल में प्रवेश करनेवाले गेट पूरी तरह टूट गए हैं। रात में असामाजिक लोग और नशापान करने वालों का जमावड़ा रहता है। अंदर गंदगी फैली है। सौंदर्यीकरण कार्य ठप है। दिन में पालतू जानवर प्रवेश कर गंदगी फैलाते हैं। झरने और फव्वारे लंबे समय से बंद हैं।
स्मारक और स्थल बदहाल
शहर के कई चौक-चौराहों पर शहीदों के सम्मान में स्मारक और शहीद स्थल का निर्माण तो कराया गया है, लेकिन उनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं है। मनोरम स्थल के रूप में विकसित किए गए ये शहीद स्थल अव्यवस्था के शिकार हैं। सुरक्षा के अभाव में अतिक्रमण से लेकर गंदगी तक की चपेट में हैं। शहीदों के परिजनों ने बताया कि इसे लेकर संबंधित विभाग के अधिकारियों से कई बार देखरेख की व्यवस्था बहाल करने का आग्रह किया गया। लेकिन, आज भी केवल शहादत दिवस और जयंती के दिन ही उन स्थलों, स्मारकों की साफ-सफाई की जाती है। यहां तक राजधानी के धुर्वा स्थित सेक्टर तीन में बने अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव शहीद स्थल के गेट टूटे गएए है। चारों तरफ गंदगी फैली हुई है। पालतू जानवर बैठे रहते हैं।
समस्याएं
1. शहीद सेनानियों के परिजनों में गरीबी और बेरोजगारी।
2. लगातार खराब होती आर्थिक स्थिति, आवास जर्जर। विशेष सहयोग का अभाव।
3. दूसरे जिलों में रहनेवाले परिजनों के घर पेयजल और शौचालय तक की व्यवस्था नहीं।
4. कई सेनानियों के वंशजों के पास प्रमाणपत्र और शहीद के दस्तावेज और योगदान पर प्रशस्ति पत्र उपलब्ध नहीं।
5. सेनानियों के जीवन, इतिहास और योगदान के संरक्षण को लेकर पहल नहीं।
सुझाव
1. सेनानियों के परिजनों की ओर सरकार ध्यान दे, युवाओं को रोजगार और नौकरी मिले।
2. सरकार की ओर से लागू सभी सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना सुनिश्चित हो।
3. मौलिक सुविधाओं और समस्याओं के समाधान पर लोकल प्रशासन की ओर से ध्यान दिया जाए।
4. शहीद के जीवन से जुड़े दस्तावेज, आवास और धरोहर को संरक्षित किया जाए।
5. सेनानियों के परिजनों और वृद्ध सदस्यों के लिए पेंशन कार्ड हो।
:: बोले लोग ::
शहीद क्रांतिकारी के परिवार के सदस्यों को मदद की जरूरत है। बेरोजगार युवा रोजगार के लिए इधर-उधर भटक रहे हैं। सरकार इनके लिए सरकारी नौकरी में आरक्षण का प्रावधान करे। शहीद का घर धरोहर के रूप में विकसित हो।
-ठाकुर प्रवीन नाथ शाहदेव
हमारे पूर्वजों ने देश को सुरक्षित रखने के लिए लड़ाई लड़ी। मातृभूमि की रक्षा के लिए सर्वस्व न्योछावर कर दिया। लेकिन, आज उनके ही वंशज सुरक्षित नहीं हैं। हमारे घरों में शौचालय तक नहीं हैं। चुआं से पानी लाकर पीने को मजबूर हैं। सरकार का हमारी परेशानियों की ओर ध्यान ही नहीं है।
-निलम जगरानी कुल्लू
झारखंड के शहीद और स्वतंत्रता सेनानियों की जीवनी स्कूलों में पढ़ाई जानेवाली पाठ्यपुस्तकों में शामिल हो। इससे
बच्चे प्रेरित होंगे।
-भरत भूषण सिंह
शहीदों के शहादत या जयंती दिवस पर राज्य सरकार की ओर से उनके सम्मान में एक दिवसीय मेले का आयोजन करना चाहिए।
-डॉ वंदना राय
झारखंड सरकार को स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए बेहतर योजना बनानी चाहिए। सभी लाभ वंशज परिवार को मिले
-महेंद्र प्रसाद सिंह
झारखंड सरकार शहीद स्थल और उनके गांवों का संरक्षण करे। शहीद के मकानों को पर्यटन स्थल व धरोहर के रूप में विकसित करे।
-कोमल खेरवार
योगदान को सम्मान देने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए सरकार शहीद के गांव व आवास के विकास पर विशेष ध्यान दे।
-गीता देवी
हमारे पूर्वजों के साथ कई सेनानियों ने देश की आजादी के लिए जीवन न्योच्छावर कर दिया। उन्हें उचीत सम्मान देने की जरूरत है।
-रवी दत्त
सरकार के साथ शहीद और उनके परिवार का सम्मान हर एक व्यक्ति का कर्तव्य है। शहीद स्थलों की सुरक्षा और देखभाल भी हो।
-अमन शाहदेव
शहर-गांवों में शहीद व स्वतंत्रता सेनानियों के नाम से शहीद पार्क का निर्माण हो। शहीदों की मूर्तियां रहें, अमर गाथा बताई जाए।
-बिनोद नाथ शाहदेव
स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार के सदस्यों को बेहतर जीवन यापन के लिए सरकार की ओर से पेंशन की सुविधा मिले।
-सविता शाहदेव
सेनानियों के परिजनों में अधिकांश की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। बच्चों को भी अच्छी और उच्च शिक्षा नहीं दिला पा रहे।
-सावित्री देवी
वंशजों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। कई लोग तो झोपड़ी और जर्जर आवास में रहते हैं। सरकार इसओर ध्यान दे।
-अमित सिंह
स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को सरकार की ओर से विशेष शहीद कार्ड जारी किया जाए। सभी सरकारी सुविधा का लाभ मिले।
-डॉ राजेश कुमार लाल
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।