राज योगिनी के निधन पर गीता पाठशाला में दी गई श्रद्धांजलि
दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक संगठन ब्रह्माकुमारीज की आदि रतन राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी जी 101 वर्ष की आयु में पंचतत्व में विलीन हो गईं। उनकी शिक्षाओं और कार्यों ने अनगिनत लोगों की सोच और जीवन को आकार...

खलारी, निज प्रतिनिधि। 101 साल तक मानवता की सेवा में जुटी रहने वालीं दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक संगठन ब्रह्माकुमारीज की आदि रतन राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी जी गुरुवार को पंचतत्व में विलीन हो गईं। इस मौके पर झारखंड गुमला शाखा के नेतृत्व में संचालित सुभाष नगर, बेंती और बिलारी के प्रजापिता ब्रह्माकुमारी गीता पाठशाला में बड़ी संख्या में भाई-बहनों ने अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि दी। ब्रह्माकुमारी गीता पाठशाला की निमित्त बीके प्रीति बहन ने बताया कि दादी रतन मोहिनी जी ने अपनी शिक्षाओं और कार्यों के माध्यम से अनगिनत लोगों की सोच और जीवन को आकार दिया। अपने पूरे जीवन में सेवा, सद्भाव, शांति और दान का संदेश फैलाया। उनकी विनम्रता, धैर्य, विचारों की स्पष्टता और दयालुता हमेशा सबसे अलग रही। उन्होंने देश ही नहीं दुनिया के कई देशों में भ्रमण कर भारतीय संस्कृति और सभ्यता का बीज बोया है। दादी रतन मोहिनी जी की आध्यात्मिक उपस्थिति बहुत बड़ी थी। उन्हें प्रकाश, ज्ञान और करुणा की किरण के रूप में याद किया जाएगा। उनकी जीवन यात्रा, गहरी आस्था, सादगी और सेवा के प्रति अडिग प्रतिबद्धता में निहित है, उनकी शिक्षाएं लोगों को आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलने और जन कल्याण के लिए काम करने के लिए प्रेरित करती रहेंगी। मौके पर अनेकों बीके भाई-बहन उपस्थित थे।
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