संस्कृत का अध्ययन और अभ्यास करें युवा: स्वामी परिपूर्णानंद
रांची में संस्कृत भारती का प्रदेशस्तरीय दो दिवसीय सम्मेलन शुरू हुआ। मुख्य अतिथि स्वामी परिपूर्णानंद ने संस्कृत अध्ययन के महत्व पर जोर दिया। कार्यक्रम में नृत्य, गीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ हुईं।...

रांची, विशेष संवाददाता। संस्कृत भारती झारखंड प्रांत का प्रदेशस्तरीय दो दिवसीय प्रांत सम्मेलन रविवार को नामकुम स्थित आचार्यकुलम् के सभागार में शुरू हुआ। विश्वजीत और समूह ने वैदिक मंगलाचरण व प्रज्ञा और समूह ने भगवती स्तोत्र की प्रस्तुति देकर कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि चिन्मय मिशन रांची के प्रमुख स्वामी परिपूर्णानंद सरस्वती के अलावा स्वामी दिव्यदेव महाराज, अखिल भारतीय सह संपर्क प्रमुख हुलास चंद्र और अध्यक्ष प्रो चंद्रकांत शुक्ल उपस्थित थे। स्वामी परिपूर्णानंद ने कहा कि किसी भी भाष्य या टीका का अध्ययन भाषा ज्ञान के बिना असंभव है। संस्कृत भाषा सनातनी व प्राचीन भाषा है, इसका अध्ययन प्रत्येक भारतीय को करना चाहिए। उन्होंने युवााओं को संस्कृत के अभ्यास व अध्ययन के लिए प्रेरित किया। कहा कि किसी भी व्यक्ति के अभ्युदय का स्रोत स्वधर्म है और यह गीता के अनुसार योग बुद्धि से ही संभव है। योग बुद्धि से अंतःकरण निर्मल हो जाता है, जिससे सत् ज्ञान को धारण करने में सहायता मिलती है।
मुख्य वक्ता हुलास चंद्र ने कहा कि सतयुग में ज्ञान शक्ति, त्रेता में मंत्र शक्ति, द्वापर में युद्ध शक्ति व कलयुग में संघ शक्ति से समाज में परिवर्तन लाया जा सकता है। कोई भी कार्य समाज को सही दिशा प्रदर्शित करने के लिए करना चाहिए। उपदेशों को जानने से अधिक उसे व्यवहार में लाने की आवश्यकता है। वहीं, दिव्यदेव महाराज, ने कहा कि जिस भाषा का अभ्यास मुख से होता है, उसी से संबंधित विचार मस्तिष्क में आते हैं। जो संस्कृत की पढ़ाई करते हैं, उनकी आत्मशक्ति का संवर्धन होता है। संस्कृत भारती का ऐसा आयोजन संस्कृत भाषा के रक्षार्थ है। मानव जीवन की सार्थकता ऐसे कार्य से है, जो समाज व राष्ट्र को समर्पित हो। प्रो चंद्रकांत शुक्ल ने संस्कृत भाषा की उपयोगिता व कार्य क्षेत्र के विषय में विस्तृत जानकारी देते हुए प्रतिभागियों को प्रोत्साहित किया।
मौके पर मेनका और समूह ने शिव तांडव स्तोत्र नृत्य, चंद्रचूड़शिव शंकर नृत्य, नववर्ष गीत और संस्कृत गीत- मनसा सततम्, गीत पर आदिवासी झूमर नृत्य की प्रस्तुति दी। संस्कृत भारती की कार्यपद्धति से सर्वेश मिश्र ने सबको अवगत कराया। नववर्ष के मौके पर सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया गया और सामूहिक हवन व योग किया गया। साथ ही, संस्कृत गीतों पर सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया व संस्कृत पुस्तक, संस्कृत विज्ञान प्रदर्शनी, संस्कृत भाषा क्रीडा व संस्कृत चित्र प्रदर्शनी का स्टॉल भी लगाया गया। संचालन डॉ जगदंबा प्रसाद ने किया। कार्यक्रम में रामनारायण, श्रीप्रकाश पांडेय, रमेश कुमार, गोपाल कृष्ण दूबे, डॉ विनय पांडेय सहित 224 प्रतिनिधियों की भागीदारी रही।
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