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सस्पेंस-थ्रिलर: डॉक्टर के चैंबर में फांसी का फंदा, खून से लिखा हॉस्पिटल सेक्स बाजार है, देखें

रिम्स में अर्थोपेडिक्स वार्ड (बेसमेंट) के सामने स्थित चर्म एवं यौन रोग विभाग में प्रो. डॉ धर्मेन्द्र कुमार मिश्र के चेंबर में गुरुवार को पंखा से झूलता हुआ फांसी का फंदा एवं फर्श पर बिखेर पड़े खून...

रांची, हिन्दुस्तान ब्यूरो Thu, 13 Dec 2018 09:57 PM
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सस्पेंस-थ्रिलर: डॉक्टर के चैंबर में फांसी का फंदा, खून से लिखा हॉस्पिटल सेक्स बाजार है, देखें

रिम्स में अर्थोपेडिक्स वार्ड (बेसमेंट) के सामने स्थित चर्म एवं यौन रोग विभाग में प्रो. डॉ धर्मेन्द्र कुमार मिश्र के चेंबर में गुरुवार को पंखा से झूलता हुआ फांसी का फंदा एवं फर्श पर बिखेर पड़े खून मिलने पर अस्पताल में हड़कंप मच गया। निदेशक डॉ डीके सिंह, अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप घटनास्थल पर पहुंचकर रात की ड्यूटी पर तैनात नर्स आशालता मरांडी, सफाईकर्मी एवं वार्ड की व्यवस्था में सहयोग करने वाले वर्षों पुराने मरीज बैकुंठ से पूछताछ की। अविलंब ताला बंद कर प्रबंधन को सूचित किया गया। बरियातू पुलिस को भी सूचना दी गई। 

पुलिस के आलाधिकारियों के साथ साथ फॉरेंसिक साइंस की टीम भी तहकीकात में जुट गई। सीसीटीवी फूटेज खंगाले जाने लगे। शाम चार बजे तक विभाग में अफरा-तफरी मची रही। शाम चार बजे पुलिस ने एक युवक को पेश करते हुए मामले का पटाक्षेप कर दिया। पुलिस ने दावा किया कि इस घटना को अंजाम देने वाला युवक संदीप विक्षिप्त है। पुलिस के समक्ष संदीप ने स्वीकार भी किया है कि वह आत्महत्या के इरादे से चेंबर में घुसा था। पहले उसने पर्दा से फांसी लगाने की कोशिश की, दीवार पर लगी एक तस्वीर के शीशे से अपने गले में प्रहार किया, उसमें भी सफल नहीं होने पर उसने आलमीरा अपने ऊपर गिरा लिया। लेकिन उसके बाद वह वहां से बाथरूम होकर बाहर निकल गया। यहां से वह नामकुम पहुंच गया जहां डॉ आरके शर्मा से फर्स्ट एड भी कराया। पुलिस का कहना है कि इससे पहले भी उसने दो दफा आत्महत्या का प्रयास किया है।

खून से दीवार पर लिखा, बरियातू बूटी मोड़ हॉस्पिटल सेक्स बाजार है

रोज की तरह सफाई के लिए जब सुबह साढ़े सात बजे चेंबर का ताला खोला गया। अंदर का दृष्य देखकर सफाई कर्मी घबरा गई। उसने अविलंब इसकी सूचना सिस्टर को दी। पुलिस की मौजूदगी में जब चेंबर को खोला गया तो अंदर डॉक्टर के टेबल पर दो कुर्सियां लगी थी। नीचे खून और कांच के टुकड़े बिखरे पड़े थे। आलमीरा गिरा हुआ था। बेड पर खून के छींटे पड़े थे। चेंबर से जुड़े बाथरूम के गेट के बगल की दीवार पर खून से लिखा था 'बरियातू बूटी मोड़ हॉस्पिटल सेक्स बाजार है'। दूसरी दिवार पर भी डीएसपी, आतंकवादी आदि कुछ स्पष्ट, अस्पष्ट सब्द लिखे गए थे। बाद में डॉग स्वायड भी बुलाया गया। लेकिन कुत्ता वहां से किचन के बाहर तक जाकर रुक गया। शाम में खून का नमूना भी जांच के लिए भेजा गया है। जिसका आरोपी के खून से मिलान किया जाएगा। फॉरेंसिक टीम ने चेंबर के अंदर व बाहर से हैंड प्रिंट व फुट प्रिंट लिए हैं। साथ ही टीम को चेंबर के बाहरी खिड़की एवं खिड़की के नीचे से नए पुराने कंडोम भी मिले हैं। 

नामकुम से पकड़ा गया आरोपी
पुलिस का दावा है कि बुधवार की रात से गुरुवार की सुबह तक में सीसीटीवी फुटेज में चेंबर के अंदर कोई भी व्यक्ति जाता हुआ नहीं दिखाई दिया है। मुंह पर रुमाल बांधा हुआ एक व्यक्ति पीछे की तरफ से खिड़की के माध्यम से बाथरूम में जाता हुआ और निकलता हुआ दिखा है। वह व्यक्ति अंदर जाते समय और गलियारे में भी काला जैकेट पहने हुए था, लेकिन जब वह खिड़की से बाहर निकला है तो केवल सफेद टी शर्ट पहने हुए था। पुलिस को चेंबर के अंदर भी काला जैकेट मिला है जिसकी जेब में एक मुलाकाती पर्ची भी थी। जिसमें मेडिसिन ए वन वार्ड में डॉ विद्यापति की यूनिट में इलाजरत बरगावां, नामकुम निवासी बिरसा उरांव का नाम लिखा था। उसी के आधार पर पुलिस ने छानबीन शुरू की और मरीज से पूछताछ के बाद उसके पुत्र संदीप उरांव को नामकुम से पकड़कर ले आई। सीआईडी के पदाधिकारी नेहालुद्दीन अहमद ने भी उस युवक को चेशायर होम रोड में देखा था। उसकी गर्दन में जख्म थे। उस समय वह टीशर्ट भी नहीं पहना था। उन्होंने वरीय अधिकारियों को सूचित करके जब पुन: उसे देखने पहुंचे तो वह वहां नहीं मिला। 

आरोपी के बड़े भाई ने कहा लोगों ने घेर कर मारा, पागल नहीं है मेरा भाई 
संदीप के बड़े भाई राजू उरांव ने बताया कि पिछले दो दिनों से वही बाबा (पिता) की देखरेख करता था। यदि वह विक्षिप्त रहता तो उसके भरोसे बाबा को अस्पताल में कैसे छोड़ सकते थे। राजू ने बताया कि गुरुवार को जब वह घर पहुंचा तो दो तीन मिनट के लिए उससे बात हुई। संदीप ने बताया कि बुधवार की रात उसे चार पांच लोगों ने घेर लिया था। उसके साथ मारपीट की। उन लोगों हाथ में लोहा भी था। वह दीवाल फांदकर अपनी जान बचाकर भागा है। राजू ने कहा कि संदीप तो बाबा को भी बुधवार की रात में ही अस्पताल से ले जाना चाहता था, लेकिन नहीं ले जा सका। 
 

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