इटकी के कुन्दी गांव में बाहर के शवों नहीं दफनाने देने पर ग्रामीण अड़े
इटकी के कुन्दी गांव में ग्रामीणों ने बाहर के शव को दफनाने पर आपत्ति जताई है। प्रशासन की बैठक में ग्रामीणों ने कहा कि यह गांव की परंपरा का उल्लंघन है। ईसाई समाज के लोग शव को दफनाने आए थे, लेकिन...

इटकी, प्रतिनिधि। प्रखंड के कुन्दी गांव में बाहर के शव को किसी भी कीमत पर नहीं दफनाने देने पर ग्रामीण अड़ गए हैं। इस मामले को लेकर सोमवार को स्थानीय प्रशासन ने प्रखंड के सभागार में ग्रामीणों के साथ बैठक की थी। बैठक में सीओ मो अनीश ने बारी-बारी से दोनो पक्षों की बात सुनी। कुन्दी गांव के सरना समाज और ग्रामीणों ने कहा कि दूसरे गांव के मृत व्यक्ति के शव को यहां दफनाना गलत है। इससे गांव की परंपरा और धार्मिक अनुष्ठान में विघ्न होता है। गांव के किसी भी व्यक्ति को कब्र में दफनाने में किसी प्रकार की आपत्ति नहीं है, परंतु बाहर के शव को यहां नहीं दफनाने देंगे।
वहीं दूसरे पक्ष द्वारा भूमि लेने से पहले ग्रामीणों को किसी प्रकार की जानकारी नहीं दी गई। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि एक साजिश के तहत भूमि ली गई है। इस मामले को लेकर नौ जनवरी 2024 में ही सर्वसम्मति से बाहर के शवों को नहीं दफनाने का फैसला लिया गया था। वहीं दूसरे पक्ष के पेन्टाकॉस्टल संस्थान से जुड़े लोगों ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कुन्दी मौजा में कब्र के लिए भूमि ली गई है और शव दफनाए जा रहे हैं, परंतु ग्रामीणों द्वारा इसका विरोध करना सही नहीं है। बैठक में पक्ष-विपक्ष के आरोप प्रत्यारोप के कारण मामले का समाधान नहीं निकल सका। इसके बाद अधिकारियों ने 21 मई को कुन्दी गांव में ग्राम सभा कर मामले का समाधान निकालने के लिए समय निर्धारित किया है। ज्ञात हो कि 17 मई को मांडर थाना के बंझिला पोखरटोली निवासी विनय तिग्गा बीमारी से मौत हो गई थी। 18 मई को ईसाई समाज के लोग शव को लेकर इटकी के कुन्दी गांव के कब्रिस्तान में दफनाने पहुंचे थे। लेकिन ग्रामीणों ने यहां शव दफनाने पर रोक लगा दी। हालांकि थाना प्रभारी मनीष कुमार की मध्यक्षता के बाद गांव से दूर कच्छू दह नदी के किनारे शव को दफनाया गया। इसके बाद ग्रामीणों ने चेतावनी दी थी कि अब भविष्य में दूसरे गांव के शवों को किसी भी कीमत पर नहीं दफनाने देंगे। बैठक में सीओ मो अनीश, थाना प्रभारी मनीष कुमार, प्रमुख किरण उरांव, मुखिया फ्रांसिसका केरकेट्टा, सपना समाज के अध्यक्ष बीरा उरांव, 12 पड़हा राजा अमन उरांव, ऐतो भगत सहित सभी समाज धर्म के दर्जनों लोग मौजूद थे।
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