झारखंड में कभी भी बंद हो सकता है आयुष्मान योजना के तहत इलाज, क्या है वजह
अस्पतालों के प्रबंधकों और एएचपीआई के अनुसार वे आयुष्मान योजना के तहत आने वाले मरीजों का इलाज करने में सक्षम नहीं हैं। भुगतान नहीं होने की स्थिति में धीरे-धीरे एक सप्ताह से दस दिनों के अंदर रांची सहित राज्य के सभी अस्पताल आयुष्मान योजना से इलाज बंद कर देंगे।

झारखंड के मरीजों के लिए सबसे भरोसेमंद योजना का लाभ मरीजों को मिलना कभी भी बंद हो सकता है। झारखंड के करीब 750 अस्पतालों को पिछले साढ़े तीन महीने से आयुष्मान योजना के तहत हुए इलाज के पैसे का भुगतान नहीं किया गया है।
एसोसिएशन ऑफ हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया झारखंड चैप्टर और आईएमए ने संयुक्त तौर पर प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि पिछले साढ़े तीन महीने से अस्पतालों के करीब 450 करोड़ रुपये बकाया है, जिसका भुगतान नहीं किया जा रहा है। भुगतान नहीं होने से अब अस्पतालों के पास संसाधनों के लिए खर्च करने के पैसे खत्म हो रहे हैं।
इसके अलावा वहां कार्यरत कर्मियों को भी वेतन का भुगतान नहीं कर पा रहे हैं। अधिकतर अस्पतालों में सत्तर फीसदी से अधिक मरीज आयुष्मान योजना के ही होते हैं, ऐसे में भुगतान रुक जाने से अस्पतालों को भारी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि वे इलाज करने में सक्षम नहीं हो पा रहे हैं। साथ ही अस्पतालों के बंद होने तक की स्थिति आ गई है।
अस्पतालों के प्रबंधकों और एएचपीआई के अनुसार वे आयुष्मान योजना के तहत आने वाले मरीजों का इलाज करने में सक्षम नहीं हैं। भुगतान नहीं होने की स्थिति में धीरे-धीरे एक सप्ताह से दस दिनों के अंदर रांची सहित राज्य के सभी अस्पताल आयुष्मान योजना से इलाज बंद कर देंगे। प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पदाधिकारियों ने बताया कि पहले हॉस्पिटल इंपैनल्ड मॉड्यूल (एचईएम) से वेतन का भुगतान किया जाता था। जिससे बिलिंग के दो सप्ताह के अंदर भुगतान कर दिया जा रहा था।
अब एचईएम को एचईएम 2.0 पोर्टल में अपडेट किया गया है, जिसमें तकनीकी खामियों को बताकर भुगतान नहीं किया जा रहा है। आईएमए, एएचपीआई और एचबीआई के पदाधिकारियों ने बताया कि सरकार अगर चाहे तो तुरंत इस समस्या का समाधान हो सकता है, पर लापरवाही के कारण भुगतान लंबित है। उन्होंने बताया कि स्टेट हेल्थ एजेंसी ने अपने स्तर से पोर्टल को मॉडिफाई कराया है, अन्य जरूरी बदलाव भी तुरंत किए जा सकते हैं, पर समस्या को सुलझाने की दिशा में प्रयास नहीं किया जा रहा है।