सनस्क्रीन को इस जगह रखने की भूल तो नहीं कर रहीं आप? स्किन को हो सकता है नुकसान
हमारी दुनिया में हम से जुड़ी क्या खबरें हैं? हमारे लिए उपयोगी कौन-सी खबर है? किसने अपनी उपलब्धि से हमारा सिर गर्व से ऊंचा उठा दिया? ऐसी तमाम जानकारियां हर सप्ताह आपसे यहां साझा करेंगी, जयंती रंगनाथन

डेली मेल में प्रकाशित खबर के अनुसार बाथरूम में प्रयोग होने वाले गर्म शॉवर और लगातार पानी के प्रयोग से सनस्क्रीन जैसे क्रीम को नुकसान पहुंच सकता है, उसकी तासीर बदल सकती है और कैंसर से लड़ने की उसकी क्षमता घट सकती है। कैंसर के विशेषज्ञ डॉक्टर एड रॉबिन्सन ने अपने एक अध्ययन में इस बात का खुलासा किया है। इसका अर्थ है कि अगर आप अपने एसपीएफ वाले क्रीम को अपने बाथरूम के कैबिनेट में रखती हैं, तो आप कैंसर जैसी घातक बीमारी को आमंत्रित कर सकती हैं। सूरज की तेज रोशनी के संपर्क में आने पर भी सनस्क्रीन क्रीम का असर कम हो जाता है। इसलिए हमेशा एसपीएफ युक्त क्रीम को ठंडे और बंद दराज में रखें, ताकि इनकी गुणवत्ता लंबे समय तक बनी रहे।
गोआ के कुछ बीच अब आपके नाम
देश भर के पर्यटकों के लिए गोआ एक बेहतरीन पर्यटन स्थल है, खासकर महिलाओं के लिए। कुछ साल पहले तक गोआ के समुद्र तट पर महिलाएं आराम से घूमती थीं, मनचाहे कपड़े पहनती थीं और समंदर में गोते लगाती थीं। पर, पिछले कुछ सालों में स्थिति बदली है। अब गोआ में पर्यटकों की बाढ़-सी आने लगी है और देसी-विदेशी महिलाओं की इन पर्यटकों को लेकर शिकायतें भी बढ़ गई हैं।
समंदर किनारे छुट्टी मनाने आई महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार, बदतमीजी, जबरदस्ती फोटो खींचना और छेड़छाड़ की घटनाएं बढ़ गई हैं। अब गोआ की सरकारी संस्था दृष्टि मेरिन लाइफ गार्ड एजेंसी के प्रयास से कुछ चुनिंदा बीच सिर्फ महिला पर्यटकों के लिए रिजर्व कर दिए गए हैं।
दरअसल गोआ एक पारिवारिक पर्यटन स्थल तो है ही, यहां बड़ी संख्या में महिलाएं भी छुट्टियां मनाने आती हैं। सरकार द्वारा महिला पर्यटकों की सुरक्षा को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। कलंगूट, बाघा, आरंबोली समुद्र तट पर लगभग चालीस इलाकों में अब सिर्फ महिलाएं जा सकेंगी। यहां परिवार के लिए अलग प्वाइंट हैं और अकेले आने वाले पुरुषों के लिए अलग। अगर आप भी अपनी सहेलियों के साथ गोआ जाने का कार्यक्रम बना रही हैं, तो निश्चिंत हो कर वहां कुछ अच्छे पल बिता सकेंगी।
आसान नहीं है इस बीमारी की पहचान
विश्व की हर दस में से एक महिला एंडोमेट्रियोसिस से पीड़ित होती है। पर, इस बीमारी की पहचान होने में चार से 11 साल तक लग जाते हैं। मेडिकल जर्नल मेडसिटी न्यूज में प्रकाशित शोध के अनुसार विश्व की लगभग 70 प्रतिशत महिलाओं काे लंबे समय तक यह पता ही नहीं चलता कि उन्हें पीसीओएस (पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिन्ड्रोम ) है। आज भी ऐसे कई देश हैं, जहां महिलाओं को समय पर चिकित्सा या परामर्श नहीं मिलता।
इस शोध में शामिल बार्बरा लेवी मानती हैं कि एंडोमेट्रियोसिस ऐसी बीमारी है, जिससे दुनिया की सर्वाधिक महिलाएं पीड़ित हैं, लेकिन समय पर पता ना चलने की वजह से उन्हें बहुत नुकसान झेलना पड़ता है। इस बीमारी पर अभी बहुत काम करना है। महिलाओं को पीरियड से जुड़ी किसी भी समस्या को अनदेखा नहीं करना चाहिए। समय पर जांच से ही उन्हें सही इलाज मिल सकता है और पीरियड और मेनोपॉज शांति से बीत सकता है।
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