एसी की ठंडक आपको कर सकती है बीमार, जानें कितना टेम्परेचर है ठीक
गर्मी से बचने के लिए आप जिस एसी की शरण में कई घंटे रहती हैं, वह चुपके-चुपके आपको बीमार तो नहीं कर रहा? एसी के नकारात्मक असर से खुद को कैसे बचाएं, बता रही हैं स्मिता

गर्मी बढ़ते ही एयर कंडीशनर का लगातार इस्तेमाल भी बढ़ जाता है। घर हो या ऑफिस, शॉपिंग मॉल हो या गाड़ी, एयर कंडीशनर हर जगह मौजूद है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के पूर्वानुमान के अनुसान अगले 25 सालों में भारत में एक अरब से ज्यादा एयर कंडीशनर का इस्तेमाल होगा। पर, क्या आप जानती हैं कि एसी की ठंडी हवा सेहत पर धीरे-धीरे बहुत बुरा प्रभाव डाल रही है? जरूरत से ज्यादा समय तक एसी में रहने से न केवल सुस्ती और थकान आती है, बल्कि यह शरीर में निर्जलीकरण और त्वचा की समस्या भी खूब पैदा कर रहा है।
क्यों ठीक नहीं हमेशा एसी?
एशियन हॉस्पिटल में एसोसिएट डायरेक्टर और इंटरनल मेडिसिन-यूनिट के प्रमुख डॉ. सुनील राणा बताते हैं, ‘हमारा शरीर वातावरण के अनुसार खुद को एडजस्ट करने की क्षमता रखता है, लेकिन लगातार एसी में रहने से यह स्वाभाविक क्षमता कम हो जाती है। इससे बाहर की गर्मी या ठंड को झेलने की शरीर की ताकत घटती है। यह सच है कि अगर सही तरीके और संतुलित रूप से एसी का इस्तेमाल किया जाए, तो नुकसान से जरूर बचा जा सकता है।'
जरूरी है सही साफ-सफाई
अगर एसी की साफ-सफाई ठीक तरीके से नहीं होती है, तो इसमें धूल, बैक्टीरिया और फंगस जमा हो जाते हैं। जब यही हवा बार-बार कमरे में घूमती है, तो लोग एलर्जी, खांसी या सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं का शिकार हो जाते हैं। यहां ध्यान देने वाली बात है कि एसी में रहना गलत नहीं है, लेकिन संतुलन जरूरी है। शरीर को प्राकृतिक गर्मी और बाहरी वातावरण के संपर्क में रहना चाहिए। इससे शरीर स्वस्थ रह सकेगा।
कृत्रिम वातावरण करता है परेशान
डॉक्टर सुनील राणा के अनुसार, ऑफिस में काम करने वाले कई लोगों को दिन भर थकान, सिरदर्द और ध्यान की कमी की शिकायत रहती है, जिसका सीधा संबंध कृत्रिम वातावरण से है। इसके अलावा, जो लोग लंबे समय तक एसी में रहते हैं, उन्हें सांस लेने में परेशानी, बार-बार छींक आना और गले में खुजली जैसी दिक्कतें होती हैं। खासकर जब एसी की सर्विसिंग समय पर नहीं होती। इससे घर की हवा खराब हो सकती है और फेफड़ों पर बुरा असर पड़ता है। इसलिए एसी के साथ-साथ कमरे की साफ-सफाई और वेंटिलेशन पर भी ध्यान देना जरूरी है। एसी में रहते समय ये जरूरी नियम जरूर अपनाएं :
नियमित रूप से पानी पीना
सोने से पहले खासतौर पर एसी का इस्तेमाल करते समय पानी जरूर पीना चाहिए। डॉक्टर हर घंटे एक गिलास पानी पीने की सलाह देते हैं। पानी रात भर शरीर में नमी के स्तर को बनाए रखने में मदद करता है, जो विभिन्न शारीरिक कार्यों के लिए जरूरी है। पर्याप्त हाइड्रेशन शरीर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है, खासकर कोई व्यक्ति अगर गर्म वातावरण में रहता है और ठंडा होने के लिए एसी का प्रयोग करता है।
कमरे में पौधा रखें
कमरे में एक पौधा रखें, जो नमी बनाए रखने में मदद करे। मनी प्लांट, एलोवेरा, स्नेक प्लांट, पोथोस, पीस लिली जैसे पौधे भी एयर-कंडीशनर वाले कमरों में पनप सकते हैं। ये पौधे आमतौर पर कम नमी और ठंडे तापमान के अनुकूल होते हैं, जिससे वे एयर-कंडीशनर वाले वातावरण के लिए उपयुक्त होते हैं। यह ध्यान रखना जरूरी है कि एयर कंडीशनर हवा से नमी चुराती है, इसलिए पौधों को पानी देने और उसके रखने के स्थान का सही चुनाव करना चाहिए।
फिल्टर नियमित रूप से साफ करवाएं
एसी का गंदा फिल्टर धूल, एलर्जी और अन्य हवा में रहने वाले कणों को फंसा सकता है। यह श्वसन संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकता है और फंगस के लिए भी वातारण तैयार कर सकता है। फिल्टर को साफ रखने पर इंडोर वायु गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
हर कुछ घंटों में खिड़की खोलें
एसी चलने के दौरान आमतौर पर खिड़कियां खोलने की सलाह नहीं दी जाती है। इससे एसी अच्छी तरह काम नहीं करता। पर, वेंटिलेशन के लिए थोड़ी देर के लिए खिड़की खोलना फायदेमंद हो सकता है, लेकिन उस समय एसी बंद कर दें। इससे ताजी हवा अंदर आ सकेगी।
तापमान रखें 24-26 के बीच
स्वास्थ्य के लिए आमतौर पर एसी को 24-26°C (75-78°F) के बीच सेट करना चाहिए। यह रेंज शरीर को अपने तापमान को आसानी से नियंत्रित करने में मदद करती है।
प्राकृति के साथ बिताएं वक्त
प्राकृतिक हवा और सूरज की रोशनी सेहत के लिए बहुत जरूरी है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद है। प्राकृतिक रोशनी मूड को बेहतर बना सकती है, उत्पादकता बढ़ा सकती है और प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत कर सकती है। इसी तरह ताजी हवा श्वसन संबंधी समस्याओं के जोखिम को कम करती है और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करती है।
एसी का शरीर पर असर
सुस्ती और थकान: हार्वर्ड हेल्थ की स्टडी बताती है कि एसी का तापमान शरीर के प्राकृतिक तापमान को प्रभावित करता है, जिससे मेटाबॉलिज्म धीमा हो सकता है। मेटाबॉलिज्म धीमा होने पर आलस्य और थकावट अधिक महसूस होती है।
डिहाइड्रेशन: एसी की ठंडी हवा वातावरण से नमी को सोख लेती है। यदि पानी कम पीती हैं, तो शरीर जल्दी डिहाइड्रेट हो सकता है।
त्वचा और आंखों का रूखापन: एयर कंडीशनर की वजह से स्किन और आंखों में रूखापन महसूस होना आम है। इससे एलर्जी, जलन और खुजली की समस्या हो सकती है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट: एयर कंडीशनर में लंबे समय तक रहने से शरीर को तापमान में बदलाव सहन करने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे फ्लू और जुकाम जल्दी पकड़ सकते हैं।
सांस की समस्याएं: पुराने और गंदे फिल्टर्स वाले एयर कंडीशनर खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों के फेफड़ों के लिए हानिकारक साबित हो सकते हैं।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।