अगर किसी ने मुस्लिम भाई-बहनों को धमकाया तो... नागपुर हिंसा के बीच अजित पवार की चेतावनी
- राकांपा नेता ने विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ सांप्रदायिक सद्भाव और एकता के महत्व पर जोर दिया और कहा कि होली, गुड़ी पड़वा और ईद जैसे त्योहार एकजुटता को बढ़ावा देते हैं।

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता अजित पवार ने नागपुर में हुई हिंसा के बाद मुस्लिम समुदाय के खिलाफ किसी भी तरह की धमकी या भेदभाव को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। एक इफ्तार पार्टी के दौरान बोलते हुए उन्होंने कहा कि जो कोई भी मुस्लिम भाइयों और बहनों को डराने या सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करेगा, उसे किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मुस्लिम समुदाय को अपने समर्थन का आश्वासन देते हुए उन्होंने कहा, "आपका भाई अजित पवार आपके साथ हैं। अगर कोई हमारे मुस्लिम भाइयों और बहनों को डराने-धमकाने या सांप्रदायिक विवाद पैदा करने की कोशिश करेगा, तो उसे बख्शा नहीं जाएगा।" अजित पवार ने इस मौके पर भारत की विविध संस्कृति पर जोर देते हुए कहा कि हमारा देश विभिन्न धर्मों और समुदायों का संगम है। उनकी यह टिप्पणी राज्य में औरंगजेब को लेकर चल रहे विवाद और नागपुर में हुई हिंसक घटनाओं के संदर्भ में आई है।
मैं आपके साथ हूं- मुस्लिम समुदाय को डिप्टी सीएम का अश्वासन
राकांपा नेता ने विभाजनकारी ताकतों के खिलाफ सांप्रदायिक सद्भाव और एकता के महत्व पर जोर दिया और कहा कि होली, गुड़ी पड़वा और ईद जैसे त्योहार एकजुटता को बढ़ावा देते हैं और इन्हें सामूहिक रूप से मनाया जाना चाहिए, क्योंकि एकता ही राष्ट्र की असली ताकत है। पवार ने कहा, "छत्रपति शिवाजी महाराज, डॉ. बीआर अंबेडकर, ज्योतिबा फुले और अन्य कई महान नेताओं ने सभी धर्मों और जातियों को साथ लेकर सामाजिक प्रगति का मार्ग दिखाया है। हमें इस विरासत को आगे बढ़ाना है। भारत एकता और विविधता का प्रतीक है। हमने अभी होली मनाई है और अब गुड़ी पड़वा और ईद आ रही है। ये त्योहार हमें मिलजुल कर रहना सिखाते हैं। हमारी असली ताकत एकता में है।" उन्होंने कहा, "मैं आपके साथ हूं। हम सबको मिलकर शांति और एकता बनाए रखनी है।" इस दौरान उन्होंने सिर पर टोपी पहनकर इफ्तार में हिस्सा लिया, जिसे समुदाय के प्रति उनके समर्थन के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है।
औरंगजेब की कब्र पर घनासान
नागपुर हिंसा की घटना 17 मार्च को शुरू हुई, जब औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग को लेकर दक्षिणपंथी हिंदू संगठनों, जैसे विश्व हिंदू परिषद (VHP) और बजरंग दल, ने प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के दौरान औरंगजेब का पुतला जलाया गया और नारे लगाए गए। हालात तब बिगड़ गए, जब एक अफवाह फैली कि प्रदर्शन में कुरान की आयतों वाली चादर जलाई गई। हालांकि, पुलिस और कई रिपोर्ट्स ने इसे महज अफवाह बताया, लेकिन इसने सांप्रदायिक तनाव को हवा दे दी।
इसके बाद हुई हिंसा में उपद्रवियों ने 60 से अधिक वाहनों को नुकसान पहुंचाया, जिसमें 36 कारें, 22 दोपहिया वाहन और एक क्रेन शामिल थे। कई घरों और दुकानों पर हमले हुए। हिंसा में 33 पुलिसकर्मी घायल हुए, जिनमें तीन डीसीपी और एक एसीपी शामिल थे। पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए 18 मार्च को शहर के 11 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा दिया गया, जिसमें कोतवाली, गणेशपेठ, और इमामवाड़ा जैसे इलाके शामिल थे।
हिंसा का मास्टरमाइंड फहीम शमीम खान
पुलिस ने हिंसा के कथित मास्टरमाइंड फहीम शमीम खान को 19 मार्च को गिरफ्तार किया। वह माइनॉरिटी डेमोक्रेटिक पार्टी (MDP) का स्थानीय नेता है और पहले नितिन गडकरी के खिलाफ चुनाव लड़ चुका है। पुलिस का दावा है कि उसके सोशल मीडिया पोस्ट्स ने हिंसा को भड़काया। अब तक 60 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है, और पांच FIR दर्ज की गई हैं। जांच में यह भी सामने आया कि हिंसा सुनियोजित थी, जिसमें पत्थरों से भरी ट्रॉलियां पहले से तैयार की गई थीं। वहीं महाराष्ट्र विधानसभा में सीएम फडणवीस ने इसे "सुनियोजित हमला" बताया और कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने शांति की अपील की। शिंदे ने कहा कि औरंगजेब का समर्थन करने वालों को इतिहास पढ़ना चाहिए और यह घटना छत्रपति संभाजी महाराज के सम्मान से जुड़ी है।