Strict action against Bangladeshi intruders Home Ministry to Maharashtra govt amid attack on Saif बांग्लादेशी घुसपैठियों पर सख्त ऐक्शन लें, सैफ पर हमले के बीच महाराष्ट्र सरकार को गृह मंत्रालय का आदेश, Maharashtra Hindi News - Hindustan
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बांग्लादेशी घुसपैठियों पर सख्त ऐक्शन लें, सैफ पर हमले के बीच महाराष्ट्र सरकार को गृह मंत्रालय का आदेश

  • महाराष्ट्र सरकार को गृह मंत्रालय का यह निर्देश ऐसे समय में आया है जब बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान पर हमले के आरोप में एक बांग्लादेशी घुसपैठिए को पकड़ा गया है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, मुंबईWed, 22 Jan 2025 05:03 PM
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बांग्लादेशी घुसपैठियों पर सख्त ऐक्शन लें, सैफ पर हमले के बीच महाराष्ट्र सरकार को गृह मंत्रालय का आदेश

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने महाराष्ट्र सरकार को अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा महाराष्ट्र के गृह विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखा गया है। मंत्रालय ने यह पत्र शिवसेना के पूर्व सांसद राहुल शेवाले द्वारा अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ एक ज्ञापन दिए जाने के बाद लिखा है। राहुल शेवाले ने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट के आधार पर इस विषय को उठाया था।

सैफ अली खान पर हमला और अवैध प्रवासियों की भूमिका

महाराष्ट्र सरकार को गृह मंत्रालय का यह निर्देश ऐसे समय में आया है जब बॉलीवुड अभिनेता सैफ अली खान पर हमले के आरोप में एक बांग्लादेशी घुसपैठिए को पकड़ा गया है। मुंबई पुलिस के अनुसार, 30 वर्षीय बांग्लादेशी घुसपैठिया शरिफुल इस्लाम (उर्फ विजय दास) ने सैफ अली खान के घर में चोरी के इरादे से घुसपैठ की थी। इस दौरान हुई हिंसक झड़प में उसने अभिनेता को चाकू मार दिया। पुलिस ने हमलावर को कई स्थानों पर मारे गए छापों के बाद गिरफ्तार कर लिया।

बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर क्या कहती है TISS की रिपोर्ट?

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) ने बांग्लादेशी घुसपैठियों को लेकर पिछले साल नवंबर में एक रिपोर्ट जारी की थी। इस रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश और म्यांमार से आने वाले अवैध प्रवासियों ने मुंबई के राजनीतिक और सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। रिपोर्ट का शीर्षक 'मुंबई में अवैध प्रवासी: सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव का विश्लेषण' है। इसमें कहा गया है कि इन प्रवासियों का श्रम स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान करता है, लेकिन यह स्थानीय मजदूरों के लिए वेतन कम करने और रोजगार के अवसरों की कमी का कारण बनता है। रिपोर्ट के अनुसार, मुस्लिम प्रवासी आबादी में वृद्धि से जनसांख्यिकीय बदलाव हो रहे हैं, जिससे सांस्कृतिक असुरक्षा और सामाजिक विभाजन बढ़ रहे हैं। 1961 में मुंबई में हिंदू आबादी 88% थी, जो 2011 तक घटकर 66% रह गई। वहीं मुस्लिम आबादी 8% से बढ़कर 21% हो गई।

स्थानीय संसाधनों पर बढ़ता दबाव

TISS रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अवैध प्रवासियों के कारण मुंबई के पहले से ही सीमित संसाधनों पर दबाव बढ़ गया है। स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छता जैसी सार्वजनिक सेवाओं पर बोझ बढ़ने से स्थानीय निवासियों की सुविधा बाधित हो रही है। रिपोर्ट के निष्कर्षों में कहा गया है कि इन प्रवासियों का आर्थिक योगदान महत्वपूर्ण होते हुए भी सामाजिक तनाव और स्थानीय समुदायों के भीतर असुरक्षा की भावना को बढ़ा रहा है। राजनीतिक दल इस स्थिति का उपयोग वोट बैंक राजनीति के लिए कर रहे हैं।

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राष्ट्रीय सुरक्षा और चुनावी प्रक्रिया पर खतरा

रिपोर्ट में यह भी चिंता जताई गई है कि इन प्रवासियों में से कुछ के आतंकी संगठनों से जुड़े होने की संभावना है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है। इसके अलावा, फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से इन्हें चुनावों में शामिल किया जा रहा है, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की निष्पक्षता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए महाराष्ट्र सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अवैध प्रवासियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए और इस समस्या को जड़ से समाप्त किया जाए।