ट्रंप के टैरिफ ऐक्शन के बाद भारत की चीन पर नजर, निर्यात में खुराफात करने की न करे कोशिश
- Trump tariff: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ ऐक्शन के बाद भारतीय एजेंसियां चीन से आने वाले व्यापार पर निगाहें गढ़ाए हुए हैं। अधिकारियों के मुताबिक चीन या आसियान देशों से आने वाले किसी भी आयात पर निगरानी तेज है।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लगभग सभी देशों पर टैरिफ लगा देने के बाद वैश्विक व्यापार में नई उथल-पुथल शुरू हो गई है। ऐसे में सभी देशों को अपने उत्पादों के लिए नए बाजार या कम मुनाफा में से एक विकल्प चुनना पड़ रहा है। इसी दौड़ में भारत और चीन भी शामिल हैं। इस टैरिफ वॉर के बाद भारतियों एजेंसियाँ चीन की तरफ से आने वाले आयात को लेकर चौकस हो गई हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि कहीं अमेरिका द्वारा 34 फीसदी टैरिफ लगाने के बाद चीन अपने अधिशेष उत्पाद को भारत की तरफ न भेज दे।
भारतीय अधिकारियों के मुताबिक एजेंसियां इस वक्त चीन और आसियान देशों से आने वाले किसी भी आयात में असामान्य वृद्धि को नोटिस कर रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि अमेरिका के टैरिफ वॉर शुरू कर देने के बाद सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं चिंतित हैं। कई देश इस समय पर अपने अधिशेष को सीधे तौर पर या किसी अन्य देश (जिसके साथ मुक्त व्यापार समझौता हो) के जरिए भेज सकते हैं।
अधिकारियों ने बताया इस समस्या से निपटने के लिए हमारे कस्टम ऑफिसर्स लगातार निगरानी कर रहे हैं और ऐसी किसी भी डंपिंग का पता लगाने के लिए हाई अलर्ट पर हैं। इसके अलावा हमारे पास अपने घरेलू उद्योगों को इस तरह की गड़बड़ियों से बचाने के लिए कई तरह के कानूनी साधन भी हैं।
वित्त मंत्रालय के एक अन्य अधिकाकरी ने बताया कि नरेंद्र मोदी सरकार आसियान देशों के संगठन पर लगातार हमारे समझौते की खामियों को दूर करने का दबाव बना रही है। हमें उम्मीद है कि इस साल के अंत तक संशोधित समझौता लागू हो जाएगा। अधिकारी के मुताबिक साल 2009 में यूपीए सरकार के तहत किया गया समझौता एक जल्दबाजी में किया गया समझौता था। भारत की वर्तमान सरकार इस सौदे को फिर से बातचीत के जरिए सुलझाना चाहती है। क्योंकि कहीं न कहीं इस बात के सबूत मिले हैं कि आसियान देशों के रास्ते चीन और अन्य गैर आसियान देशों का माल भारत में पहुंच रहा है।
आपको बता दें कि आसियान देशों के इस संगठन में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।
भारत सरकार के अलावा भारतीय उद्योगों ने भी इस मार्ग से होने वाले आयात पर अपनी चिंता व्यक्त की थी। क्योंकि अमेरिका द्वारा टैरिफ लागू किए जाने के बाद इस मार्ग पर माल की आवाजाही में बढ्ढोत्तरी हो सकती है।