इन 5 कामों में भूलकर भी ना दें बच्चे का साथ, वरना अंधेरे में डूब जाएगा उसका भविष्य parents should never support their children in these 5 things as it can spoil their future, पेरेंटिंग टिप्स - Hindustan
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इन 5 कामों में भूलकर भी ना दें बच्चे का साथ, वरना अंधेरे में डूब जाएगा उसका भविष्य

मां-बाप का फर्ज सिर्फ बच्चे को प्यार और सपोर्ट देना ही नहीं है बल्कि गलत चीजों में उसे रोकना भी है। अगर आप प्यार में अंधे हो कर गलत चीजों में भी बच्चे का सपोर्ट कर रहे हैं, तो याद रखें भविष्य में आपको पछताना भी पड़ सकता है।

Anmol Chauhan लाइव हिन्दुस्तानMon, 19 May 2025 12:21 PM
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इन 5 कामों में भूलकर भी ना दें बच्चे का साथ, वरना अंधेरे में डूब जाएगा उसका भविष्य

बच्चों का भविष्य काफी हद तक उनके बचपन पर भी निर्भर होता है। क्योंकि बचपन में ही उनकी कई आदतों की नींव रखी जा चुकी होती हैं और इन आदतों को गढ़ने में सबसे अहम भूमिका होती है मां-बाप की। मां-बाप का ही यह फर्ज होता है और जिम्मेदारी भी कि वो बच्चों को सही-गलत का फर्क सिखाएं। बच्चों को जब जरूरत हो तो उनका सपोर्ट भी करें और उनकी गलती पर उन्हें रोकें भी। कुल मिलाकर कहें तो पैरेंट्स को पता होना चाहिए कि कहां बच्चों को प्यार और सपोर्ट देना है और कहा नहीं। एक बाउंड्री का तय होना बहुत जरूरी है, ताकि बच्चों को सही रास्ता दिखाया जा सके। वरना बचपन में शायद ये आदतें उतना नुकसान ना करें लेकिन बच्चों के भविष्य पर ये नकारात्मक असर डाल सकती हैं। यहां हम ऐसी ही कुछ आदतों के बारे में बात कर रहें हैं,जिनमें आपको बच्चे का सपोर्ट बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।

बच्चे की हर जिद को ना कहें 'हां'

अक्सर बच्चे छोटी-छोटी चीजों को ले कर जिद करने लगते हैं और कई बार पैरेंट्स उन्हें चुप कराने के लिए मान भी जाते हैं। अब कुछ मामलों में तो ये ठीक है लेकिन हर बार अगर आप बच्चे की जिद मान लेते हैं, तो यकीन मानें ये आदत उसे भविष्य में बड़ा परेशान करने वाली है। दरअसल जब आप बच्चे की हर जिद पर हामी भर देते हैं, तो उसे सिर्फ 'हां' सुनने की आदत हो जाती है। उसे लगता है कि रो-धो कर या थोड़ा ड्रामा कर के वो अपनी मनपसंद चीज पा सकता है। ऐसे बच्चे आगे चलकर इमोशनली वीक और जिद्दी स्वभाव के बनते हैं।

हर बात में बच्चे का पक्ष लेना

अपने बच्चे का सपोर्ट करना जरूरी है। लेकिन हर बार आंख मूंदकर, बिना यह जाने कि गलती किस की है, बच्चे का पक्ष लेना कहीं से भी समझदारी नहीं। बच्चा कहीं से लड़ कर आया है, कोई उसकी शिकायत आप से कहे, तो तुरंत अपने बच्चे की साइड लेने ना लग जाएं। पहले दोनों की बात सही से सुनें और जो सही हो उसका पक्ष लें। उस वक्त शायद ये आपके बच्चे को बुरा लगे लेकिन आगे चलकर वो अपनी गलती मानना सीख जाएगा और एक बेहतर इंसान बन पाएगा।

अपनी गलतियों को दूसरों पर डालना

बच्चे अक्सर डर के मारे अपनी गलतियां छुपाते हैं। कई बार तो उन्हें दूसरों पर थोप देते हैं। अब पैरेंट्स अगर इसे नजरंदाज करें या यूं ही हंसी में उड़ा दें, तो भविष्य में भी बच्चा ठीक यही करेगा। आगे भी बच्चा कोई गलती करेगा तो उसके लिए वो खुद को नहीं बल्कि किसी और को ही जिम्मेदार ठहराएगा। इसलिए पैरेंट्स का फर्ज बनता है कि वो बचपन से ही बच्चे को अपनी गलतियों की जिम्मेदारी लेना सिखाएं और गलतियों से कैसे सीखना है, ये भी।

बच्चे के स्क्रीन टाइम पर बिल्कुल ध्यान ना देना

बच्चों को शांत बैठाने के लिए अक्सर पैरेंट्स उनके हाथ में टीवी का रिमोट या स्मार्ट फोन थमा देते हैं। उन्हें लगता है कि कम से कम बच्चा इसी बहाने घर में शांति से तो बैठा है। इस चक्कर में कुछ बच्चे तो दिन भर फोन या टीवी में ही लगे रहते हैं और पैरेंट्स खास ध्यान भी नहीं देते। जबकि ये आदत बच्चे की मेंटल और फिजिकल ग्रोथ दोनों पर नेगेटिव असर डालती है। कम उम्र से ही वो लोगों से कटने लगते हैं और कई बार उल्टी-सीधी चीजों की लत भी उन्हें फोन से ही लग जाती है।

बच्चे का गैर जिम्मेदार होना

कुछ मां-बाप बच्चे को कोई काम करने ही नहीं देना चाहते। उनके लिए बच्चे से प्यार करने का मतलब ही यह होता है कि वो बच्चे का सारा काम कर दें। उसे कुछ ज्यादा सोचना या करना ही ना पड़े। लेकिन अब सारा जीवन तो आप उसके लिए सब कुछ नहीं करते रहेंगे। इसलिए बेहतर है कि बचपन से ही उसमें जिम्मेदारी की भावना डालें। बच्चों को कुछ काम सौंपे ताकि उनमें एक जिम्मेदारी की भावना आए और वो आत्मनिर्भर भी बन सकें।

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