BJP का एक तीर से दो निशाना, AIADMK से दोस्ती के मायने क्या; कितना हिट गेमप्लान?
- केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पूर्व मुख्यमंत्री ई. पलानीस्वामी की मौजूदगी में बीजेपी और AIADMK की दोस्ती का ऐलान हुआ। आखिर इस दोस्ती के क्या मायने हैं?

बीजेपी और अन्नाद्रमुक (AIADMK) के बीच तमिलनाडु में ताजा हुआ गठबंधन पार्टी के लिए सिर्फ सियासी मजबूती नहीं, बल्कि संसद के ऊपरी सदन यानी राज्यसभा में भी स्पष्ट बढ़त का जरिया बनता जा रहा है। शुक्रवार शाम केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पूर्व मुख्यमंत्री ई. पलानीस्वामी की मौजूदगी में इस गठबंधन का ऐलान हुआ। यह गठबंधन 2026 में होने वाले तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को वहां की जमीनी राजनीति में मंच तैयार करने में मदद करेगा।
हालांकि, यह देखना बाकी है कि यह गठबंधन कितना असरदार होगा, क्योंकि राज्य में सत्तारूढ़ डीएमके-कांग्रेस गठबंधन ने 2021 के विधानसभा और 2024 के लोकसभा चुनावों में जबरदस्त जीत दर्ज की थी। साथ ही तमिलनाडु की राजनीति में बीजेपी अपनी राष्ट्रवाद की राजनीतिक छवि को लेकर अब तक जनस्वीकृति नहीं पा सकी है।
असली गेमचेंजर राज्यसभा में सख्या
अन्नाद्रमुक के तीन राज्यसभा सांसदों, सीवी शनमुगम, एम थंबीदुरई और एन चंद्रशेखरन के समर्थन से बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए अब 245 सदस्यों वाले उच्च सदन में 122 सांसदों के आंकड़े तक पहुंच गया है। ये आंकड़ा 123 तक जा सकता है, क्योंकि जुलाई में पीएमके के सांसद का कार्यकाल खत्म हो रहा है और मौजूदा विधानसभा गणित के हिसाब से अन्नाद्रमुक उस सीट पर भी दावा कर सकती है।
वहीं, छह नामित और एक निर्दलीय सांसद पहले से ही बीजेपी के पक्ष में खड़े हैं, जिससे एनडीए की कुल ताकत 130 हो गई है। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और नामित कोटे की खाली सीटें भी भविष्य में एनडीए के पक्ष में जा सकती हैं। यानी भाजपा पहली बार राज्यसभा में भी स्पष्ट बहुमत की ओर बढ़ रही है।
एक देश एक चुनाव बिल को मिलेगा रास्ता?
राज्यसभा में बढ़ी यह ताकत अब बीजेपी को अपने बड़े और विवादित विधेयकों को पास कराने का रास्ता आसान बना सकती है। वक्फ संशोधन कानून के बाद अब एक देश एक चुनाव को संसद से पास कराने की तैयारियां तेज हो गई हैं। ऐसा बताया जा रहा है कि अगला संसद सत्र इसी बिल को प्राथमिकता देने वाला है।
बीजेपी को ओडिशा की बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस जैसी गैर-संरेखित पार्टियों से भी मुद्दा-आधारित समर्थन मिल रहा है, जो कि राज्यसभा में उसकी स्थिति को और मजबूत करता है। कुल मिलाकर अन्नाद्रमुक के साथ बना यह गठबंधन बीजेपी को न सिर्फ तमिलनाडु में राजनीतिक जमीन देता है, बल्कि दिल्ली की सत्ता के गलियारों में उसकी ताकत को और पुख्ता कर देता है।