इस्तीफा दें तो अच्छा रहेगा; कैश कांड में जस्टिस यशवंत वर्मा पर सख्त CJI, अब क्या होगा
रिपोर्ट चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के पास है तो उन्होंने जस्टिस यशवंत वर्मा का इस्तीफा ही मांग लिया है। न्यायपालिका से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उन्हें विकल्प दिया गया है कि वे इस्तीफा दे दें। यदि ऐसा नहीं करेंगे तो फिर महाभियोग के लिए रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजी जाएगी।

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर बड़े पैमाने पर कैश मिलने के आरोपों में गठित तीन सदस्यीय समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट चीफ जस्टिस को सौंप दी है। इस बीच 13 मई को अपने रिटायरमेंट से पहले चीफ जस्टिस संजीव खन्ना कड़ा फैसला लेने के मूड में हैं। रिपोर्ट में जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर बड़े पैमाने पर कैश का भंडार मिलने की बात को सही पाया गया है। इस तरह जस्टिस यशवंत वर्मा की भूमिका इस केस में संदिग्ध नजर आई है। अब रिपोर्ट चीफ जस्टिस संजीव खन्ना के पास है तो उन्होंने जस्टिस यशवंत वर्मा का इस्तीफा ही मांग लिया है। न्यायपालिका से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उन्हें विकल्प दिया गया है कि वे इस्तीफा दे दें। यदि ऐसा नहीं करेंगे तो फिर महाभियोग के लिए रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजी जाएगी।
जस्टिस यशवंत वर्मा केस की जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया, 'रिपोर्ट में उनकी भूमिका गलत पाई गई है। प्रक्रिया के अनुसार चीफ जस्टिस ने उन्हें बुलाया था। उन्हें पहला विकल्प दिया गया है कि वे इस्तीफा दे दें। यदि वे अपना पद छोड़ते हैं तो अच्छी बात होगी। ऐसा नहीं किया तो फिर उनके खिलाफ आई जांच रिपोर्ट को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। फिर राष्ट्रपति से महाभियोग को मंजूरी मिलेगी तो उन्हें प्रस्ताव लाकर हटाया जाएगा।' खबर है कि जस्टिस यशवंत वर्मा को 9 मई तक का ही वक्त मिला है। इतने में उन्हें इस्तीफे का विकल्प चुनना होगा। यदि ऐसा नहीं किया तो फिर फाइल राष्ट्रपति के पास जाएगी। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना का 13 मई को रिटायरमेंट है। वह इससे पहले ही जस्टिस यशवंत वर्मा पर फैसला ले लेना चाहते हैं।
कैश कांड की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन चीफ जस्टिस ने ही किया था। इस टीम में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल के चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और कर्नाटक के जस्टिस अनु शिवरमन शामिल थे। इस पैनल ने 25 मार्च को जांच शुरू की थी और 4 तारीख को उसकी ओर से रिपोर्ट चीफ जस्टिस खन्ना को सौंप दी गई।
दरअसल यह पूरा मामला 14 मार्च का है। उस दिन जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास के एक हिस्से में आग लग गई थी। घर पर उनकी बेटी और बुजुर्ग मां ही मौजूद थे। आग लगने पर बेटी और घरेलू स्टाफ ने फायर ब्रिगेड को कॉल कर दिया। मौके पर पहुंचे अग्निशमन कर्मियों ने उनके एक कमरे में बड़े पैमाने पर नोट बिखरे देखे। यह नोटों का जखीरा इतना ज्यादा था कि कुछ तो आग के हवाले भी हो गए थे। इसका वीडियो भी वायरल हुआ था। फिर इस मामले में अग्निशमन विभाग और पुलिस की भी रिपोर्ट ली गई। इसी आधार पर जांच टीम ने जस्टिस यशवंत वर्मा को दोषी माना है।