टैरिफ की गिरेगी दीवार! भारत और अमेरिका के बीच 5 साल में 42 ट्रिलियन का कारोबार, रिश्तों का नया दौर
- फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच इस समझौते को लेकर सहमति बनी थी। लक्ष्य है कि 2030 तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को 42 ट्रिलियन तक पहुंचाया जाए।

भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक रिश्ते एक नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं। भारत ने व्यापार उदारीकरण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अमेरिका के साथ एक बड़े व्यापार समझौते पर काम शुरू किया है। भारत की रणनीति इस तरह है कि अप्रैल में वर्चुअल मीटिंग और मई में आमने-सामने की मुलाकातें। भारत के वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने यह जानकारी दी। दोनों देशों ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण के लिए "टर्म्स ऑफ रेफरेंस" पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
दरअसल, फरवरी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान भारत और अमेरिका के बीच इस समझौते को लेकर सहमति बनी थी। लक्ष्य है कि 2030 तक दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार को $500 अरब यानी 42 ट्रिलियन तक पहुंचाया जाए। अतिरिक्त सचिव राजेश अग्रवाल के अनुसार, इस महीने से वर्चुअल बातचीत शुरू होगी और अगली व्यक्तिगत बैठक मई के मध्य में आयोजित की जाएगी।
व्यापार में नई शुरुआत: टैरिफ में कटौती
भारत और अमेरिका के बीच होने वाली व्यापारिक डील में टैरिफ में महत्वपूर्ण कटौती की संभावना जताई जा रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत अमेरिका से होने वाले $23 अरब के आयात पर 50% से अधिक टैरिफ घटाने के लिए तैयार है, जो इतिहास में सबसे बड़ी कटौती होगी।
ट्रंप के कदम से भारत को राहत
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत सहित अपने प्रमुख व्यापार साझेदारों के लिए 90 दिनों की टैरिफ राहत का ऐलान किया है, जिससे भारतीय निर्यातकों को लाभ हो सकता है। यह कदम भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते व्यापारिक रिश्तों के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
भारत की रणनीति: रक्षा और ऊर्जा आयात बढ़ाना
भारत ने अमेरिका से रक्षा उत्पादों और ऊर्जा आयात बढ़ाने का वादा किया है, जो दोनों देशों के सामरिक और आर्थिक रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
2030 तक 42 ट्रिलियन का लक्ष्य
भारत और अमेरिका के बीच व्यापार को $500 अरब (42 ट्रिलियन) तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है, जो कि दोनों देशों के लिए एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है। यह व्यापारिक डील आने वाले वर्षों में भारत और अमेरिका के रिश्तों को नई ऊंचाइयों तक ले जा सकती है।