Is it caste census or census of hatred or conspiracy to spread unrest Union minister HD Kumaraswamy slams Karnataka govt जाति जनगणना है या नफरत की जनगणना, अशांति फैलाने की साजिश तो नहीं; हमलावर हुए केंद्रीय मंत्री, India Hindi News - Hindustan
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जाति जनगणना है या नफरत की जनगणना, अशांति फैलाने की साजिश तो नहीं; हमलावर हुए केंद्रीय मंत्री

इस्पात और भारी उद्योग मंत्री कुमारस्वामी ने एक बयान जारी कर पूछा कि कर्नाटक में प्रमुख कृषक समुदाय वोक्कालिगा की वास्तविक आबादी कितनी है। कुमारस्वामी खुद इस समुदाय से आते हैं।

Pramod Praveen भाषा, बेंगलुरुTue, 15 April 2025 06:52 PM
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जाति जनगणना है या नफरत की जनगणना, अशांति फैलाने की साजिश तो नहीं; हमलावर हुए केंद्रीय मंत्री

केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कर्नाटक मंत्रिमंडल के समक्ष पेश सामाजिक-आर्थिक और शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट (जाति जनगणना) की आलोचना करते हुए मंगलवार को सवाल किया कि यह जाति जनगणना है या नफरत की जनगणना? उन्होंने राज्य सरकार से कर्नाटक में वोक्कालिगा समुदाय की वास्तविक आबादी बताने की मांग भी की।

वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया पर आरोप लगाया कि वह ‘जाति जनगणना’ के जरिये समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। विजयेंद्र ने दावा किया कि ‘जाति जनगणना’ का उद्देश्य सिद्धरमैया के “राजनीतिक हितों” की रक्षा करना है और अब समय आ गया है कि वह मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दें।

वोक्कालिगा की वास्तविक आबादी कितनी?

इस्पात और भारी उद्योग मंत्री कुमारस्वामी ने एक बयान जारी कर पूछा कि कर्नाटक में प्रमुख कृषक समुदाय वोक्कालिगा की वास्तविक आबादी कितनी है। कुमारस्वामी खुद इस समुदाय से आते हैं। उन्होंने कहा, “यह वास्तव में क्या है, जाति जनगणना या नफरत की जनगणना? क्या यह तथाकथित जनगणना राज्य में जानबूझकर अशांति भड़काने के लिए रची गई साजिश है? या यह केवल लगातार बढ़ती महंगाई और घोटालों से होने वाली शर्मिंदगी से ध्यान भटकाने की एक चाल है?”

कुमारस्वामी ने कहा, “इससे पूरा राज्य जातिगत विभाजन की आग में न झुलसने लगे। क्या कर्नाटक में कांग्रेस सरकार का यह कदम कुछ समुदायों को राजनीतिक और सामाजिक रूप से हाशिये पर धकेलने का एक पूर्व नियोजित प्रयास है?” लीक हुई सामाजिक-आर्थिक और शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट पर चिंता जताते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस रिपोर्ट के “तथाकथित आंकड़ों” पर अब हर जगह चर्चा हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि किसी अज्ञात स्रोत ने इन आंकड़ों को नियोजित तरीके से सार्वजनिक मंच पर लीक किया है।

शिवकुमार की भी आलोचना

कुमारस्वामी ने पुराने मैसूर क्षेत्र जैसे मांड्या, कोलार, चिक्काबल्लापुर, रामनगर, बेंगलुरु ग्रामीण, तुमकुरु और चित्रदुर्ग में रहने वाले वोक्कालिगा समुदाय की वास्तविक आबादी बताने की मांग की। उन्होंने जाति जनगणना पर अपना रुख बदलने के लिए कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की आलोचना भी की और दावा किया कि शिवकुमार ने पहले इस कवायद का विरोध किया था।

कुमारस्वामी ने कहा, “मुख्यमंत्री की कुर्सी की चाह में रातों की नींद गंवाने वाले शिवकुमार ने एक बार समुदाय से विनती की थी कि ‘मुझे बस एक बार कलम और कागज दे दो!’ और अब क्या वही व्यक्ति सिर झुकाकर सिद्ध षड्यंत्र रिपोर्ट का समर्थन कर रहा है?” सिद्ध से उनका इशारा मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की ओर था। कुमारस्वामी ने कहा, “मैं इस रिपोर्ट का समर्थन नहीं करता। मैं इस अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हूं।”

‘जाति जनगणना’ के जरिये समाज को बांटने की कोशिश: भाजपा

वहीं, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विजयेंद्र ने सिद्धरमैया पर ‘जाति जनगणना’ के जरिये समाज को बांटने की कोशिश करने का आरोप लगाया। उन्होंने बेलगावी में संवाददाताओं से बातचीत में दावा किया कि सामाजिक-आर्थिक एवं शिक्षा सर्वेक्षण रिपोर्ट पहले लागू नहीं की जा सकी और मौजूदा सरकार इस पर आगे नहीं बढ़ेगी, क्योंकि यह अब पुरानी हो चुकी है। विजयेंद्र ने कहा, “भाजपा पिछड़े और वंचित वर्गों के आर्थिक, शैक्षणिक एवं सामाजिक उत्थान तथा उन्हें न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है। इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन सिद्धरमैया ने इस मुद्दे (जाति जनगणना) का इस्तेमाल करके अपनी राजनीतिक जड़ें मजबूत करने की साजिश रची है। अगर सिद्धरमैया को न्याय की सच्ची चिंता थी, तो उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में अपने पिछले कार्यकाल के दौरान इस सर्वेक्षण को लागू क्यों नहीं किया?”

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उन्होंने कहा, “बाद में जब कांग्रेस-जनता दल (सेक्युलर) गठबंधन की सरकार बनी, तो सिद्धरमैया समन्वय समिति के प्रमुख थे। उन्होंने उस समय जाति जनगणना क्यों नहीं करवाई? यही नहीं, मौजूदा सरकार को भी सत्ता में आए बीस महीने बीत चुके हैं।”विजयेंद्र ने आरोप लगाया, “सिद्धरमैया को यह मुद्दा अब याद आ रहा है, क्योंकि उनके इस्तीफे का समय नजदीक आ रहा है। उन्हें किसी और के लिए मुख्यमंत्री पद खाली करना पड़ सकता है। इसलिए, चीजों को भड़काने के लिए, वह इसका दुरुपयोग कर रहे हैं। किसी को भी यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि मुख्यमंत्री को इस मामले में वाकई चिंता है।”

17 अप्रैल को कैबिनेट में चर्चा

कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट 11 अप्रैल को मंत्रिमंडल के समक्ष रखी गई थी। 17 अप्रैल को होने वाली विशेष कैबिनेट बैठक में इस पर चर्चा की जाएगी। सिद्धरमैया के नेतृत्व वाली पिछली कांग्रेस सरकार (2013-2018) ने 2015 में यह सर्वेक्षण कराया था। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग को उसके तत्कालीन अध्यक्ष एच कंथाराजू के नेतृत्व में यह रिपोर्ट तैयार करने का काम सौंपा गया था।

सर्वेक्षण का काम 2018 में पूरा हुआ था, जब मुख्यमंत्री के रूप में सिद्धरमैया का पहला कार्यकाल समाप्त हो रहा था। राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष के रूप में कंथाराजू की जगह लेने वाले जयप्रकाश हेगड़े ने फरवरी 2024 में रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया। विजयेंद्र ने दावा किया कि इस जाति जनगणना रिपोर्ट को लागू करना संभव नहीं है और यह सरकार ऐसा नहीं करेगी। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट पुरानी हो चुकी है, क्योंकि सर्वेक्षण को हुए 10 साल बीते चुके हैं।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कांग्रेस सरकार पर जाति जनगणना के मुद्दे पर “पाखंड” करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि सिद्धरमैया सरकार के खिलाफ भाजपा की ‘जनाक्रोश यात्रा’ सफल हो रही है और मुख्यमंत्री इससे ध्यान भटकाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं।कर्नाटक भाजपा ने सात अप्रैल को 16 दिवसीय ‘जनाक्रोश यात्रा’ शुरू की, जो आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, कथित मुस्लिम तुष्टीकरण और दलित कल्याण के लिए निर्धारित धन के कथित दुरुपयोग के लिए कांग्रेस सरकार के खिलाफ एक राज्यव्यापी अभियान है।