मुर्शिदाबाद में बाप-बेटे की हत्या मामले में ऐक्शन, बंगाल पुलिस ने 2 भाइयों को किया गिरफ्तार
- भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारी ने बताया कि कालू नादर को बीरभूम जिले के मुरारई से गिरफ्तार किया गया, जबकि उसके भाई दिलदार को मुर्शिदाबाद जिले के सुती में भारत-बांग्लादेश सीमा के पास से गिरफ्तार किया गया।

पश्चिम बंगाल पुलिस ने मुर्शिदाबाद जिले में सांप्रदायिक हिंसा के दौरान पिता-पुत्र की नृशंस हत्या मामले में बड़ा ऐक्शन लिया है। मंगलवार को पुलिस ने इस केस में 2 आरोपी भाइयों को गिरफ्तार कर लिया। इन गिरफ्तारियों के साथ, वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान मुस्लिम बहुल जिले में हाल में हुई हिंसा के संबंध में अब तक कुल 221 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस अधिकारी ने बताया कि दोनों आरोपियों की पहचान कालू नादर और दिलदार नादर के रूप में हुई है। दोनों आरोपी जाफराबाद इलाके के निवासी हैं जहां पिता-पुत्र रहते थे। उन्होंने बताया कि हत्याओं की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है।
भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के अधिकारी ने बताया कि कालू नादर को बीरभूम जिले के मुरारई से गिरफ्तार किया गया, जबकि उसके भाई दिलदार को मुर्शिदाबाद जिले के सुती में भारत-बांग्लादेश सीमा के पास से गिरफ्तार किया गया। उन्होंने कहा, ‘हमने इलाके से सीसीटीवी फुटेज एकत्र की है और घटना में शामिल कई लोगों की पहचान की है। उनमें से हमने 2 लोगों को गिरफ्तार किया है।’ अधिकारी ने कहा कि अब तक जिले में सांप्रदायिक हिंसा के संबंध में कुल 221 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। हरगोविंद दास और चंदन दास के रूप में पहचाने गए पिता-पुत्र के शव हिंसा प्रभावित शमशेरगंज के जाफराबाद इलाके में उनके घर में पाए गए थे। दोनों शवों पर चाकू के कई घाव थे।
झड़प में एक और व्यक्ति को लगी गोली
इन 2 मौतों के अलावा, शुक्रवार को सुति के सजुर मोड़ पर झड़पों के दौरान गोली लगने से घायल 21 वर्षीय एजाज मोमिन ने अगले दिन अस्पताल में दम तोड़ दिया। वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान मुर्शिदाबाद के कई इलाकों में हुई झड़पों में करीब 18 पुलिसकर्मी घायल हो गए। झड़पों के बाद निषेधाज्ञा लागू कर दी गई और इंटरनेट सेवाएं रोक दी गईं। वहीं, मुर्शिदाबाद जिले में भड़की हिंसा मामले की जांच अदालत की निगरानी में कराने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं की गई हैं। वकील शशांक शेखर झा की ओर से दायर याचिकाओं में से एक में एससी की निगरानी में SIT के गठन का आग्रह किया गया है। अधिवक्ता विशाल तिवारी की याचिका में शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय न्यायिक जांच आयोग के गठन की मांग की गई है।
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