विदेश जाने वाली टीम के लिए कांग्रेस से कोई नाम नहीं मांगे थे, सरकार की दो टूक; क्यों छिड़ा विवाद?
कांग्रेस ने चार नाम सुझाए, लेकिन उनमें वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर का नाम शामिल नहीं था। सरकार ने फिर भी थरूर को विदेश भेजने का फैसला किया।

केंद्र सरकार ने कांग्रेस के उस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है जिसमें दावा किया गया था कि सरकार ने विपक्षी पार्टी से विदेशी दौरों के लिए चार सांसदों के नाम मांगे और फिर उनमें से तीन को खारिज कर दिया। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को इस मिशन की जानकारी सिर्फ “शिष्टाचारवश” दी गई थी, न कि औपचारिक प्रक्रिया के तहत।
हमने शिष्टाचार के तहत सूचित किया- रिजिजू
टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में रिजिजू ने कहा, “कभी भी यह प्रथा नहीं रही है कि विपक्षी पार्टियों से उनके नाम मांगे जाएं। हमने उन्हें केवल शिष्टाचार के तहत सूचित किया।” गौरतलब है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने का भारत का संदेश लेकर सात सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल विदेश जाएंगे, जिनमें से चार प्रतिनिधिमंडलों का नेतृत्व सत्तारूढ़ दलों के नेता जबकि तीन की अगुवाई विपक्षी दलों के नेता करेंगे। कांग्रेस के चार सांसद इन टीमों का हिस्सा हैं और केरल के सांसद शशि थरूर एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं।
कांग्रेस द्वारा अपने सुझावों की उपेक्षा को लेकर जताई गई नाराजगी पर जवाब देते हुए रिजिजू ने कहा कि सरकार ने उन्हीं लोगों को चुना जो मिशन के लिए सबसे उपयुक्त थे। उन्होंने कहा, “हमें हैरानी हो रही है कि कांग्रेस शशि थरूर और मनीष तिवारी जैसे नेताओं के नामों पर सवाल उठा रही है। दोनों विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर विपक्ष की तरफ से प्रभावी आवाज रहे हैं और अभी एक साल भी नहीं हुआ जब कांग्रेस ने खुद थरूर को विदेशी मामलों की स्थायी समिति का अध्यक्ष बनाया था।”
योग्यता के आधार पर चयन किया- मंत्री
कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि थरूर और तिवारी को इसलिए चुना गया ताकि पार्टी नेतृत्व को नीचा दिखाया जा सके। इस पर रिजिजू ने कहा, “यह केवल एक झूठा संकेत है। हमने किसी पार्टी की आंतरिक राजनीति, असुरक्षा या ईर्ष्या के आधार पर नहीं, बल्कि योग्यता के आधार पर चयन किया है। हमने सलमान खुर्शीद और अमर सिंह (पंजाब के कांग्रेस सांसद) को भी चुना है, अब इस पर क्या कहेंगे?”
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस चयन प्रक्रिया की आलोचना करते हुए कहा था, “यह मोदी सरकार की पूर्ण असंवेदनशीलता और उसकी वह सस्ती राजनीति दर्शाता है जो वह हमेशा राष्ट्रीय मुद्दों पर खेलती है।” कांग्रेस का मानना है कि थरूर को इसलिए चुना गया क्योंकि उन्होंने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर पार्टी लाइन से हटकर बयान दिया था। जब कांग्रेस इस मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की भूमिका को निशाने पर ले रही थी, तब थरूर ने कहा था कि वे इस ऑपरेशन पर “एक गर्वित भारतीय” के तौर पर बोल रहे हैं। ऐसे में राहुल गांधी ने अपने प्रस्तावित नामों की सूची से थरूर को हटा दिया था। राहुल की सूची में गौरव गोगोई, आनंद शर्मा, राजा वड़िंग और सैयद नसीर हुसैन शामिल थे, जिनमें से केवल आनंद शर्मा के नाम को ही स्वीकार किया गया।
अमित मालवीय के गंभीर आरोप
भाजपा प्रवक्ता अमित मालवीय ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि सैयद नसीर हुसैन के समर्थन में “पाकिस्तान जिंदाबाद” के नारे लगाने के आरोप में तीन लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। उन्होंने कांग्रेस के अन्य नामित गौरव गोगोई पर भी सवाल उठाया कि वे 15 दिन पाकिस्तान में बिता चुके हैं और उनकी पत्नी एक ऐसे NGO से जुड़ी हैं जो पाकिस्तान केंद्रित है।
बता दें कि कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व वाला प्रतिनिधिमंडल अमेरिका, पनामा, गुयाना, ब्राजील और कोलंबिया जाएगा। इसमें भाजपा से तेजस्वी सूर्या, भुवनेश्वर कलिता, शशांक मणि त्रिपाठी, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) से शांभवी, झारखंड मुक्ति मोर्चा से सरफराज अहमद, तेलुगु देशम पार्टी से हरीश बालयोगी, शिवसेना से मिलिंद देवड़ा और राजनयिक तरनजीत सिंह संधू शामिल है।