Delhi High Court Slams Ramdev Over Sharbat Jihad Comments on Hamdard s Rooh Afza दूसरों को बदनाम कर अपना माल बेचने वाले रामदेव को फिर फटकार, India Hindi News - Hindustan
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दूसरों को बदनाम कर अपना माल बेचने वाले रामदेव को फिर फटकार

दिल्ली हाई कोर्ट ने रामदेव के 'शरबत जिहाद' टिप्पणी पर कड़ी फटकार लगाई और उन्हें सोशल मीडिया से वीडियो हटाने का आदेश दिया। हमदर्द फाउंडेशन ने इस पर याचिका दायर की थी। कोर्ट ने रामदेव के बयान को अक्षम्य...

डॉयचे वेले दिल्लीTue, 22 April 2025 07:21 PM
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दूसरों को बदनाम कर अपना माल बेचने वाले रामदेव को फिर फटकार

हमदर्द के शरबत रूह अफजा पर रामदेव के "शरबत जिहाद" वाले बयान पर दिल्ली हाई कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है.कोर्ट ने रामदेव को सोशल मीडिया से वीडियो हटाने का आदेश दिया.पंतजलि के सह संस्थापक रामदेव का एक वीडियो कुछ दिन पहले फेसबुक पर साझा किया गया था.उस वीडियो में पतंजलि के गुलाब शरबत का प्रचार किया गया था.रामदेव ने वीडियो में कहा था, "एक कंपनी है जो शरबत तो बेचती है लेकिन उस शरबत से जो पैसा मिलता है उससे मदरसे और मस्जिदें बनाती है, ठीक है यह उनका मजहब है.लेकिन आप यदि वो शरबत पीएंगे तो मस्जिद और मदरसे बनेंगे और पतंजिल का गुलाब शरबत पीते हैं तो गुरुकुल बनेंगे, आचार्यकुलम, पतंजलि विश्वविद्यालय और शिक्षा बोर्ड आगे बढ़ेगा"उन्होंने आगे कहा, "जैसे लव जिहाद, वोट जिहाद चल रहा है वैसे ही शरबत जिहाद भी चल रहा है" उन्होंने कहा लोगों को इस तरह के जिहाद से खुद को बचाना होगा.वीडियो में रामदेव ने हमदर्द के रूह अफजा का नाम नहीं लिया था लेकिन उनकी "शरबत जिहाद" वाली टिप्पणी को रूह अफजा से जोड़ कर देखा गया.विवाद बढ़ने के बाद रामदेव ने अपनी सफाई में कहा था उन्होंने किसी ब्रांड या समुदाय का नाम नहीं लिया था.

दिल्ली हाई कोर्ट कैसे पहुंचा मामला हमदर्द फाउंडेशन ने रामदेव के "शरबत जिहाद" वाली टिप्पणी के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी.मंगलवार को दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की और रामदेव को कड़ी फटकार लगाई.जस्टिस अमित बंसल ने याचिका की सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से कहा कि रामदेव के शरबत जिहाद वाले बयान ने कोर्ट की अंतरात्मा को झकझोर दिया और यह टिप्पणी किसी तरह से उचित नहीं ठहराई जा सकती.हाई कोर्ट ने रामदेव की टिप्पणी को अक्षम्य और अदालत की चेतना को झकझोरने वाला करार दिया.दिल्ली हाई कोर्ट ने रामदेव को हमदर्द के शरबत के खिलाफ अपने सभी विज्ञापन हटाने का आदेश दिया, जिस पर रामदेव के वकील ने हाई कोर्ट को भरोसा दिया कि वह अपने कथित "शरबत जिहाद" से संबंधित वीडियो और सोशल मीडिया पोस्ट तुरंत हटा लेंगे.अदालत ने रामदेव के वकील राजीव नायर के बयान को रिकॉर्ड पर लिया और रामदेव से पांच दिनों के भीतर एक हलफनामा दायर करने को कहा, जिसमें वह शपथ लें कि वह "भविष्य में प्रतिस्पर्धियों के उत्पादों के बारे में ऐसे कोई बयान, विज्ञापन या सोशल मीडिया पोस्ट जारी करने से परहेज करेंगे"हमदर्द की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने अदालत से कहा, "यह एक ऐसा मामला है जो चौंकाने वाला है, जो अपमान से भी आगे जाता है.यह सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने का मामला है, जो हेट स्पीच के बराबर है.

इसे मानहानि कानून द्वारा संरक्षित नहीं किया जा सकता है" रोहतगी ने कहा कि रामदेव ने धर्म के आधार पर हमदर्द पर हमला किया, जब उन्होंने इस शरबत जिहाद कहा.उत्तराखंड: पतंजलि के 14 उत्पादों पर लगा बैनरामदेव और उनके विवादित बयान कोर्ट में सुनवाई के दौरान रोहतगी ने कहा कि पतंजलि एक प्रसिद्ध ब्रांड है जो किसी अन्य उत्पाद का अपमान किए बिना अपने प्रोडक्ट्स बेच सकता है.रोहतगी ने भ्रामक विज्ञापन मामले में रामदेव और उनके सहयोगी बालकृष्ण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही का भी हवाला दिया.यह मामला कोविड के समय का है, जब पतंजलि ने 2021 में कोरोनिल नाम की दवा बाजार में उतारी थी और रामदेव ने इसे "कोविड-19 के लिए पहली साक्ष्य-आधारित दवा" बताया था.पतंजलि ने यह भी दावा किया कि कोरोनिल को विश्व स्वास्थ्य संगठन से सर्टिफिकेट मिला है, लेकिन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन इसे "सरासर झूठ" बताया था.इसके बाद साल 2022 में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने पतंजलि के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जब उसने अखबारों में एलोपैथिक दवाओं के खिलाफ विज्ञापन दिए थे.विज्ञापन में दावा किया गया था कि पतंजलि की दवाओं ने लोगों को डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, थायरॉयड, लिवर सिरोसिस, गठिया और अस्थमा से ठीक किया है.

मामला अदालत में जाने के बाद पंतजलि के संस्थापकों को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी थी और सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई थी.नवंबर 2023 में अदालत ने बीमारियों का समूचा इलाज करने वाली दवाओं के झूठे दावों की शिकायत पर पतंजलि के ऊपर एक करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने की चेतावनी दी थी.यह भी आदेश दिया था कि कंपनी भविष्य में झूठे विज्ञापन ना निकाले.इस आदेश के बावजूद पतंजलि ने फिर से ऐसे विज्ञापन निकाले, जिसके बाद अदालत ने ऐसे विज्ञापनों पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगा दिया.साथ ही, पतंजलि और बालकृष्ण के नाम अवमानना के नोटिस जारी कर दिए.आधुनिक चिकित्सा पद्धति पर सवाल क्यों उठाते हैं रामदेवअवमानना के मामले में जब कंपनी ने अपना जवाब अदालत में दाखिल नहीं किया, तो 19 मार्च 2023 को कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को अगली सुनवाई में मौजूद रहने का आदेश दिया.इसके बाद 21 मार्च को बालकृष्ण ने इन विज्ञापनों के लिए अदालत में हलफनामा दाखिल कर बिना शर्त माफी मांगी.