Tahawwur Rana in the custody of Indian officials the way to return to India is almost clear भारतीय अधिकारियों की कस्टडी में तहव्वुर राणा, भारत वापसी की राह लगभग साफ, India Hindi News - Hindustan
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भारतीय अधिकारियों की कस्टडी में तहव्वुर राणा, भारत वापसी की राह लगभग साफ

  • अमेरिकी जेल प्रशासन ने पुष्टि की है कि राणा अब भारतीय अधिकारियों की कस्टडी में है। अब उसके भारत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को लेकर रास्ता लगभग साफ हो गया है।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानWed, 9 April 2025 09:27 PM
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भारतीय अधिकारियों की कस्टडी में तहव्वुर राणा, भारत वापसी की राह लगभग साफ

अमेरिका की जेल में बंद 26/11 मुंबई हमलों के आरोपी तहव्वुर राणा को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। अमेरिकी जेल प्रशासन ने पुष्टि की है कि राणा अब भारतीय अधिकारियों की कस्टडी में है, जिससे उसके भारत प्रत्यर्पण की प्रक्रिया को लेकर रास्ता लगभग साफ हो गया है।

वहीं बुधवार को तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण पर पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने कहा, “आप सबको मालूम है कि सुप्रीम कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी है। फिलहाल मेरे पास कोई अपडेट नहीं है, लेकिन समय आने पर जानकारी साझा की जाएगी।”

तहव्वुर हुसैन राणा कौन है?

तहव्वुर राणा पाकिस्तान में जन्मा कनाडाई नागरिक है और 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ ​​दाऊद गिलानी का करीबी सहयोगी है। उसका जन्म पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के साहीवाल जिले के चिचावतनी शहर में हुआ था। पाकिस्तान में चिकित्सा की पढ़ाई करने के बाद उसने पाकिस्तानी सेना की मेडिकल कोर में काम किया।

राणा 1990 के दशक के अंत में पाकिस्तानी सेना छोड़कर कनाडा चला गया और बाद में उसे कनाडा की नागरिकता मिल गई। उसने अपने ‘फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज’ उद्यम के माध्यम से आव्रजन सेवा प्रदाता का अपना व्यवसाय शुरू किया। इसके बाद राणा अमेरिका चला गया और शिकागो में अपना कार्यालय स्थापित किया।

राणा हेडली के संपर्क में कैसे आया?

सुरक्षा एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि हेडली, राणा के बचपन का दोस्त है। उसके जन्म के कुछ समय बाद हेडली का परिवार पाकिस्तान चला गया, जहां अटक जिले के हसन अब्दल शहर के एक स्कूल में उसकी पढ़ाई हुई। वहीं, हेडली की राणा से दोस्ती हुई।

मुंबई आतंकवादी हमले से कैसे जुड़ा राणा

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने 11 नवंबर, 2009 को हेडली, राणा और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, और आतंकवाद रोधी सार्क संधि अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया। शिकागो, इलिनोइस निवासी हेडली और राणा ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) और हरकत-उल जिहादी इस्लामी (एचयूजेआई) के सदस्यों के साथ मिलकर नयी दिल्ली और भारत के अन्य स्थानों पर आतंकवादी हमले की आपराधिक साजिश रची थी।

साल 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में छह अमेरिकियों समेत कुल 166 लोग मारे गए थे। इन हमलों को 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अंजाम दिया था। नवंबर 2012 में, पाकिस्तानी समूह के एकमात्र जीवित आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को पुणे की यरवदा जेल में फांसी दे दी गई थी। जांच एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि राणा ने हेडली को भारत के लिए वीजा दिलाने में मदद की थी।

आरोप है कि राणा को हेडली के आतंकी संबंधों की जानकारी थी और उसने मुंबई में लक्ष्यों की टोह लेने तथा नयी दिल्ली में ‘नेशनल डिफेंस कॉलेज’ और मुंबई में चबाड हाउस पर हमलों की साजिश रचने में भी मदद की थी। अधिकारियों ने बताया कि हेडली जून 2006 में अमेरिका गया था और राणा से मिला था।

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राणा के प्रत्यर्पण के बाद आगे क्या होगा?

जांच एजेंसी के अधिकारियों ने कहा कि 26/11 हमलों के पीछे पाकिस्तानी सरकारी तत्वों की भूमिका का पता लगाने के लिए राणा को आगे की पूछताछ की खातिर उचित कानूनी प्रक्रिया के बाद एनआईए की हिरासत में रखा जा सकता है। उससे पूछताछ से जांच में कुछ नया खुलासा हो सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि अधिकारी उसे तिहाड़ जेल की अत्यधिक सुरक्षित कोठरी में रखने के विकल्प पर भी विचार कर रहे हैं।

भाषा इनपुट के साथ