डेढ़ घंटे तक कोई नहीं आया, मदद नहीं मिली; विनय नरवाल की बहन बोलीं- बच सकता था मेरा भाई
नायब सिंह सैनी से बातचीत करते हुए विनय की बहन ने आपा खो दिया। उन्होंने रोते हुए कहा, ‘कोई नहीं आया डेढ़ घंटा तक। वहां कोई भी नहीं आया, वह जिंदा था और कोई आता तो वह बच सकता था। वहां आर्मी होती तो वह बच सकता था। इसके आगे वह रोते-चिल्लाते हुए कहती हैं कि मुझे वह मरा हुआ चाहिए, जिसने मेरे भाई को मारा।'

पहलगाम में क्रूर आतंकी हमले में मारे गए नेवी के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल का बुधवार को करनाल में अंतिम संस्कार हो गया। विनय नरवाल की बहन ने ही उनका अंतिम संस्कार किया। पूरा परिवार और इलाका इससे सदमे में था और हजारों लोगों की भीड़ इस मौके पर पहुंची थी। हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी भी जब करनाल में उनके घर पहुंचे तो विनय नरवाल की छोटी बहन ने आपा खो दिया। भाई को खोने से बदहवास बहन ने रोते-रोते आरोप लगाया कि आतंकी हमले में गोलियां लगने के बाद भी विनय नरवाल काफी देर तक जिंदा थे, लेकिन कोई मदद के लिए नहीं पहुंचा।
नायब सिंह सैनी से बातचीत करते हुए विनय की बहन ने आपा खो दिया। उन्होंने रोते हुए कहा, ‘कोई नहीं आया डेढ़ घंटा तक। वहां कोई भी नहीं आया, वह जिंदा था और कोई आता तो वह बच सकता था। वहां आर्मी होती तो वह बच सकता था। इसके आगे वह रोते-चिल्लाते हुए कहती हैं कि मुझे वह मरा हुआ चाहिए, जिसने मेरे भाई को मारा। इस पर मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा कि वह मरेगा, जिसने विनय नरवाल को मारा।’
विनय नरवाल की बहन का बयान यह बयान सोशल मीडिया पर चल रहे उन दावों के विपरीत है, जिनमें कहा गया कि वहां स्थानीय लोगों ने तुरंत ही पीड़ितों की मदद की थी। इसके अलावा स्थानीय प्रशासन के भी कुछ मिनटों में वहां पहुंचने के दावे किए जा रहे हैं, लेकिन विनय नरवाल की बहन ने उन्हें गलत बताया। उन्होंने साफ कहा कि मेरा भाई डेढ़ घंटे तक जिंदा था और कोई मदद के लिए होता तो उसकी जान बच सकती थी।
पत्नी हिमांशी बोलीं- भेलपुरी खा रहे थे, तभी धर्म पूछकर मार डाला
वहीं उनकी पत्नी हिमांशी को भी एक वीडियो में सुना जा सकता है कि कैसे आतंकियों ने उनके लेफ्टिनेंट पति को धर्म पूछकर मार डाला। हिमांशी ने कहा, 'मैं भेलपुरी खा रही थी और मेरे पति भी वहीं थे। एक व्यक्ति आया और पूछा कि क्या वह मुस्लिम है और जब उसने इनकार किया तो उस व्यक्ति ने उन्हें गोली मार दी।' लेफ्टिनेंट विनय नरवाल को उनके सहकर्मियों ने एक हंसमुख और समर्पित अधिकारी बताया। नौसेना के एक अधिकारी ने बताया, 'लेफ्टिनेंट नरवाल हमेशा हंसमुख और अपने कर्तव्यों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध रहते थे।'