पाकिस्तानी आकाओं से मिला था निर्देश, 30 मिनट चला नरसंहार; पहलगाम हमले की FIR में खुलासा
एफआईआर के मुताबिक, पुलिस स्टेशन को हमले की जानकारी दोपहर 2.30 बजे मिली, और जब तक सुरक्षा बल घटनास्थल पर पहुंचे, तब तक हमलावर भाग चुके थे।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसारन घाटी में हुए आतंकी हमले को लेकर दर्ज की गई एफआईआर में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। एफआईआर के अनुसार यह हमला पूरी तरह से पूर्व नियोजित था और इसे आतंकियों ने सीमा पार मौजूद अपने हैंडलर्स के निर्देश पर अंजाम दिया। आतंकियों ने अवैध रूप से प्राप्त ऑटोमैटिक हथियारों का इस्तेमाल करते हुए करीब 30 मिनट तक अंधाधुंध गोलियां चलाईं, जिसमें 26 पर्यटकों की मौत हो गई। यह हमला मंगलवार (22 अप्रैल) को दोपहर 1.50 बजे से 2.20 बजे के बीच हुआ।
हमलावर फौजी वर्दी में थे और वे अचानक बैसारन घाटी से लगे घने चीड़ के जंगलों से बाहर निकले। उस समय पर्यटक घुड़सवारी, पिकनिक और हरियाली का आनंद ले रहे थे। अचानक गोलियों की आवाज और चीख-पुकार मच गई। कुछ ही मिनटों में कई लोग जमीन पर गिर चुके थे और कई घायल हो गए।
पुलिस को हमले की जानकारी दोपहर 2.30 बजे मिली
न्यूज18 की रिपोर्ट के मुताबिक, एफआईआर में कहा गया है कि पुलिस स्टेशन को हमले की जानकारी दोपहर 2.30 बजे मिली, और जब तक सुरक्षा बल घटनास्थल पर पहुंचे, तब तक हमलावर भाग चुके थे। चूंकि बैसारन तक कोई मोटरेबल रोड नहीं है, इसलिए सुरक्षाबलों को पहुंचने में काफी वक्त लग गया।
एफआईआर में कहा गया है, "पुलिस स्टेशन को विश्वसनीय स्रोतों से सूचना प्राप्त हुई कि बैसारन, पहलगाम में अज्ञात आतंकवादियों ने सीमा पार स्थित अपने आकाओं के निर्देश पर अवैध ऑटोमैटिक हथियारों का इस्तेमाल कर एक पूर्व नियोजित हमला किया है।" एफआईआर में यह भी जिक्र किया गया है कि इस हमले का उद्देश्य केवल हत्या करना नहीं था, बल्कि जनता में भय और दहशत फैलाना भी था।
इस मामले में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की कई सख्त धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है। यह एफआईआर भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 11, 103 और 109, कठोर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम या यूएपीए, और शस्त्र अधिनियम सहित गंभीर प्रावधानों के तहत दर्ज की गई थी। इसके अतिरिक्त, आर्म्स एक्ट की धाराएं 7 और 27, और UAPA (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) की धाराएं 16, 18, और 20 भी लगाई गई हैं।
सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
इस हमले ने स्थानीय सुरक्षा व्यवस्था और पर्यटकों की सुरक्षा को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। बैसारन घाटी को "मिनी स्विट्जरलैंड" कहा जाता है और यह पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय स्थान है। अब यह सवाल उठ रहे हैं कि इतनी संवेदनशील जगह पर सुरक्षा इंतजाम क्यों नाकाफी रहे।
घटना के बाद पूरे क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ा दी गई है और तलाशी अभियान जारी है। सरकार की ओर से मृतकों के परिजनों को मुआवज़ा देने और घायलों को बेहतर इलाज मुहैया कराने का आश्वासन दिया गया है। यह हमला न केवल पहलगाम जैसे शांत पर्यटन स्थल की छवि को धक्का पहुंचाता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आतंकवादी तत्व अब पर्यटकों को भी निशाना बनाने से नहीं हिचक रहे।