आर्थिक तूफान आने वाला है, टैरिफ विवाद पर राहुल गांधी का पीएम मोदी पर साधा निशाना
- राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि टैरिफ की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ने वाला है, लेकिन सरकार लोगों का ध्यान भटकाने के लिए संसद को आधी रात तक चलवा रही है।

अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ को लेकर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने दावा किया कि इन टैरिफ का असर आने वाले दिनों में भारत की अर्थव्यवस्था पर आर्थिक तूफान की तरह पड़ेगा, लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस पर मौन साधे हुए हैं।
अपने ट्वीट में राहुल गांधी ने लिखा, "कहां चली गई 56 इंच की छाती? अमेरिका का राष्ट्रपति टैरिफ थोपता है, मोदी जी चूं तक नहीं करते। आर्थिक तूफान आने वाला है, करोड़ों लोगों को नुक़सान होगा, वे छुप कर बैठे हैं। बांग्लादेश का प्रधानमंत्री भारत के खिलाफ उल्टा बोलता है, उनके मुंह से एक शब्द नहीं निकलता।"
टैरिफ को लेकर मोदी सरकार पर राहुल का हमला
इससे पहले कांग्रेस अधिवेशन उन्होंने आरोप लगाया कि टैरिफ की वजह से देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ने वाला है, लेकिन सरकार लोगों का ध्यान भटकाने के लिए संसद को आधी रात तक चलवा रही है। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री की पहले की रणनीतियों पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा, "कोरोना के समय जब देश में हालात बिगड़ रहे थे, तब मोदी जी ने लोगों से ताली-थाली बजवाई। अब फिर एक बड़ा संकट सामने है, मगर प्रधानमंत्री नदारद हैं।"
बांग्लादेश का जिक्र करते हुए राहुल ने किया तीखा प्रहार
बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की ओर से भारत के खिलाफ दिए गए कथित बयान का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने सवाल उठाया, "जब यूनुस भारत के खिलाफ बोल रहे थे, तब मोदी जी उनके सामने चुपचाप बैठे थे। कहां गई 56 इंच की छाती?"
अधिवेशन में पास किए गए प्रस्ताव में भी कांग्रेस ने अमेरिका द्वारा लगाए गए 27% टैरिफ पर गंभीर चिंता जताई। पार्टी का कहना है कि इससे भारत का निर्यात गहरे संकट में आ जाएगा और अमेरिकी दबाव में आकर सरकार अगर अपने आयात शुल्क कम करती है, तो खेती, ऑटो उद्योग और दवा क्षेत्र को भारी नुकसान होगा।
भाजपा की विदेश नीति में विविशता
कांग्रेस ने साफ कहा कि किसी भी व्यापार समझौते में सरकार को देश के हित, खासकर किसानों और घरेलू उद्योगों की सुरक्षा को सर्वोपरि रखना चाहिए। पार्टी ने मांग की कि इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों और व्यापार समूहों को भरोसे में लिया जाए। साथ ही आरोप लगाया कि भाजपा की विदेश नीति अब राष्ट्रीय स्वाभिमान की नहीं, बल्कि विवशता की नीति बन चुकी है, जहां दबाव के आगे चुप्पी ही एकमात्र जवाब है।