प्रभावी शिक्षा के लिए पंचपदी अधिगम पद्धति का महत्व बताया
गाजियाबाद के दुर्गावती हेमराज टाह सरस्वती विद्या मंदिर में पंचपदी अधिगम पद्धति पर कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। इसमें 60 प्रशिक्षकों को इस पद्धति का प्रशिक्षण दिया जाएगा। विद्या भारती के उपाध्यक्ष राम...

गाजियाबाद। नेहरू नगर स्थित दुर्गावती हेमराज टाह सरस्वती विद्या मंदिर में गुरुवार को विद्या भारती पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र की कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। कार्यशाला में प्रशिक्षकों को पंचपदी अधिगम पद्धति का महत्व बताकर इसका उपयोग करने के लिए प्रेरित किया। कार्यशाला का शुभारंभ विद्या भारती के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राम कृष्ण राव तथा अवनीश भटनागर ने किया। विद्या भारती के क्षेत्रीय संगठन मंत्री डोमेश्वर साहू ने बताया कि कार्यशाला का उद्देश्य 60 प्रशिक्षकों को पंचपदी शिक्षण पद्धति का प्रशिक्षण देना है, ताकि ये सभी अपने-अपने क्षेत्र में पंचपदी शिक्षण पद्धति को विस्तार दे सकें। वहीं राम कृष्ण राव ने नई शिक्षा नीति से देश भर की शिक्षा में होने वाले बदलावों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने भी नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क में फाइव स्टेज ऑफ लर्निंग अर्थात पंचपदी शिक्षण पद्धति को अपनाया है। अवनीश भटनागर ने अधिगम प्रक्रिया में इंद्रियों के महत्व को बताते हुए कहा कि संपूर्ण अधिगम प्रक्रिया अधिति, बोध, अभ्यास प्रयोग व प्रसार कुल पांच सोपानों से संचालित होती है, जिसमें इंद्रियों का बहुत अधिक महत्व है। इस दौरान विद्या भारती प्रांतीय संगठन मंत्री प्रदीप, विद्यालय प्रबंधक दीपांशु पाल और प्राचार्य विपिन राठी ने भी विचार रखे।
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