56 सलाहाकर होने के बाद भी बदहाल है शहर, नहीं है कोई बड़ी योजना
गुरुग्राम नगर निगम में 56 सलाहकार और विशेषज्ञ होने के बावजूद शहर की समस्याओं में सुधार नहीं हो रहा है। आरोप है कि निगम लाखों रुपये वेतन पर खर्च कर रहा है, लेकिन कोई बड़ी योजना नहीं बनी। टूटी सड़कों,...

गुरुग्राम, कार्यालय संवाददाता। नगर निगम गुरुग्राम में 56 सलाहाकार और विशेषज्ञ होने के बाद भी शहर के हालातों में सुधार नहीं हो रहा है। आरोप है कि निगम ने 60 से अधिक उम्र वाले इन सलाहाकारों और विशेषज्ञों पर हर माह वेतन के नाम पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। अब निगम पार्षदों ने इनकी जांच करने की मांग की है। आरोप है कि लाखों रुपये हर माह खर्च के बाद भी निगम के पास कोई भी बड़ी योजना नहीं है। शहर में लोग टूटी सड़कों, कचरे के ढेरों, जाम, अतिक्रमण, सीवर जाम जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इतने सलाहाकार और विशेषज्ञ होने के बाद भी निगम के पास बीते दो साल से कोई भी बड़ी योजना नहीं है। निगमायुक्त द्वारा बीते दो माह पहले शहर सेक्टर-1 से लेकर सेक्टर-56 तक की सभी सीवर लाइनों और पानी की लाइनों को बदलने का एस्टीमेट तैयार करने के आदेश दिए थे। इस एस्टीमेट को बनाने के लिए भी निगम के सलाहाकार और विशेषज्ञ कोई काम नहीं आए। इसके लिए भी निगम को निजी एजेंसियों का सहारा लेना पड़ रहा है। इनमें से 50 फीसदी तो ऐसे सलाहकार और विशेषज्ञ लगे हुए हैं जो निगम में कभी नजर तक नहीं आते हैं। आरोप है कि कुछ सलाहाकारों और विशेषज्ञ को तो निगम में बड़े-बड़े पद भी दे रखे हैं।
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- गाड़ी समेत मिलता है मोटा वेतन
नगर निगम में लगे सलाहाकार और विशेषज्ञों को निगम की तरफ से पूरी सुविधाएं उपलब्ध करवाई हुई है। आरोप है कि 56 में से 20 से अधिक सलाहाकार और विशेषज्ञ तो किसी को यही नहीं पता है कि वह लगे कहां है। निगम की तरफ से इनको 20 हजार रुपये से लेकर 70 हजार रुपये तक का वेतन दिया जाता है। इनको गाड़ी और ड्राइवर भी दिए हुए हैं। कुछ तो ऐसे भी लगे हुए हैं जिनकी उम्र 70 साल से अधिक हो चुकी है। इसके बाद भी निगम अधिकारी उन पर मेहरबान बने हुए हैं।
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- निजी संस्था चलाने का भी निगम दे रहा वेतन
नगर निगम द्वारा सेक्टर-29 स्थित ओपन एयर थिएटर का संचालन निगम ने एक निजी संस्था को दिया हुआ है। आरोप है कि निगम द्वारा इस संस्था की संचालिका को 55 हजार रुपये वेतन, बैठने के लिए कार्यालय और दो सेवादार भी सौंपे हुए हैं। आरोप है कि संस्था का निगम से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बाद भी निगम अधिकारी बिना किसी कारण ही संस्था संचालिका को मोटा वेतन देने के साथ उसको सेवादार भी दिए हुए हैं।
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- दो साल से नहीं बनी है कोई योजना
नगर निगम में बीते दो साल से कोई भी बड़ी योजना नहीं बनी है। जिसका फायदा शहर के लोगों को मिल सके। 2016-17 में पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा की घोषणाओं पर ही निगम अधिकारी काम कर रहे हैं, लेकिन इनमें से भी कोई भी योजना सिरे नहीं चढ़ रही है। इतनी बड़ी संख्या में सलाहाकार और विशेषज्ञ होने के बाद भी शहर के सड़कों के सौंदर्यीकरण, चौक-चौराहों के सौंदर्यीकरण, अतिक्रमण मुक्त करने को लेकर, शहर में सीवर की समस्या का स्थायी समाधान, पानी की किल्लत को दूर करने के समाधान, सड़कों को आवारा मवेशी मुक्त बनाने, जलभराव की समस्या का स्थायी समाधान को लेकर कोई भी योजना निगम के पास नहीं है।
: कोट
सलाहाकरों और विशेषज्ञों को उनके अनुभव के आधार पर निगम में लगाया हुआ है। उसी हिसाब से उनसे काम करवाया जा रहा है।
- अशोक कुमार गर्ग, निगमायुक्त, नगर निगम, गुरुग्राम।
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