दोस्त दोस्त न रहा; अनुच्छेद 370 पर पूर्व रॉ चीफ के दावे पर छलका फारूक अब्दुल्ला का दर्द, कहा-सस्ता हथकंडा
फारूक अब्दुल्ला ने पूर्व रॉ प्रमुख के इस दावे को खारिज कर दिया कि उन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाने का निजी तौर पर समर्थन किया था। उन्होंने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह मुझे दोस्त कहते हैं, एक दोस्त ऐसा नहीं लिख सकता।

देश की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) के पूर्व प्रमुख ए.एस. दुलत ने अपनी नई किताब में दावा किया है कि जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के संरक्षक फारूक अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 हटाने का निजी तौर पर समर्थन किया था और भरोसे में लिए जाने पर मदद की पेशकश भी की थी। इस दावे के बाद राजनीतिक जगत में खलबली है। दुलत ने अपनी किताब ‘द चीफ मिनिस्टर एंड द स्पाई’ में अब्दुल्ला के हवाले से लिखा है, ''हम (प्रस्ताव पारित कराने में) मदद करते। हमें विश्वास में क्यों नहीं लिया गया।''
गौरतलब है कि 5 अगस्त 2019 को मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 निरस्त कर दिया था और इससे कुछ घंटे पहले फारूक अब्दुल्ला सहित कई बड़े कश्मीरी नेताओं को नजरबंद कर दिया गया था, जो कई महीनों तक जारी रहा। दिलचस्प बात यह है कि अनुच्छेद 370 हटाए जाने से कुछ दिन पहले,अब्दुल्ला और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की थी। दुलत की किताब में इस मुलाकात का जिक्र है। उन्होंने लिखा है, “असल में क्या हुआ, कोई कभी नहीं जान पाएगा। इस खुलासे पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के विरोधियों ने तीखी प्रतिक्रिया दी और फारूक अब्दुल्ला पर ‘विश्वासघात’ का आरोप लगाया है।
दुलत के दावों को किया खारिज
वहीं फारूक अब्दुल्ला ने पूर्व रॉ प्रमुख दुलत के इस दावे को खारिज कर दिया कि उन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाने का "निजी तौर पर समर्थन" किया था। अब्दुल्ला ने इसे दुलत द्वारा अपनी आगामी आत्मकथा की बिक्री बढ़ाने का एक "सस्ता हथकंडा" बताया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि 18 अप्रैल को रिलीज होने वाली किताब - 'द चीफ मिनिस्टर एंड द स्पाई' को लिखने के पीछे दुलत का मकसद सत्ता के गलियारों तक पहुंच बनाने और बहुत सारा पैसा कमाने का प्रयास हो सकता है। अब्दुल्ला ने पीटीआई से कहा, "यह संभव है कि वह कोई नया रिश्ता बनाना चाहते हों। और उनके नाम का इस्तेमाल करना चाह रहे हों।
दुलत के इस दावे पर नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा कि यह लेखक की "कल्पना" है। अब्दुल्ला ने बताया कि 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के समय उन्हें और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला को कई महीनों तक हिरासत में रखा गया था। उन्होंने कहा, "हमें हिरासत में लिया गया क्योंकि विशेष दर्जे को खत्म करने के खिलाफ हमारा रुख जगजाहिर था।"
एक दोस्त ऐसा नहीं लिख सकता: फारूक अब्दुल्ला
अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि वह इस किताब में कई गलत प्रसंगों से दु:खी हैं। उन्होंने कहा कि कोई दोस्त इस तरह नहीं लिखता। उन्होंने रानी एलिजाबेथ के शब्दों का हवाला दिया कि यादें अलग-अलग हो सकती हैं। श्रीनगर में अब्दुल्ला ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वह मुझे दोस्त कहते हैं, एक दोस्त ऐसा नहीं लिख सकता... उन्होंने ऐसी बातें लिखी हैं जो सच नहीं हैं... इंग्लैंड के शाही परिवार के बारे में उनके परिवार के एक सदस्य ने एक किताब लिखी थी। रानी एलिज़ाबेथ ने केवल एक शब्द का इस्तेमाल किया था- 'यादें अलग-अलग हो सकती हैं।”
फारूक अब्दुल्ला बोले- मैं उनसे क्यों पूछूं?
अब्दुल्ला ने कहा कि दुलत ने लिखा है कि उन्होंने (अब्दुल्ला ने) उनसे पूछा था कि 1996 के चुनाव जीतने के बाद किसे मंत्री बनाया जाए। अब्दुल्ला ने कहा, "वह कहते हैं कि मैंने (दुलत ने) उनसे एक छोटा मंत्रिमंडल बनाने के लिए कहा था। मेरे मंत्रिमंडल में 25 मंत्री थे; मैं उनसे क्यों पूछूं?" इसके आगे अब्दुल्ला ने कहा, "उन्होंने लिखा है कि हम (एनसी) भाजपा से हाथ मिलाने के लिए तैयार थे। यह गलत है... अगर हमें (अनुच्छेद) 370 को तोड़ना होता, तो फारूक अब्दुल्ला विधानसभा में दो-तिहाई बहुमत से (स्वायत्तता पर प्रस्ताव पारित) क्यों करते?" अब्दुल्ला ने कहा कि दुलत ने उन्हें 1996 के चुनाव लड़ने के लिए मनाने का श्रेय लिया है। उन्होंने कहा, "यह भी पूरी तरह से गलत है।" उन्होंने कहा कि भारत में तत्कालीन अमेरिकी राजदूत फ्रैंक विस्नर ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया था।