दो लाख नकद लेनदेन की सीमा को लागू करें : सुप्रीम कोर्ट
- कहा, कानून बना है तो उसका पालन भी हो नई

- कहा, कानून बना है तो उसका पालन भी हो
नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को वित्त अधिनियम 2017 के प्रावधानों (जिसमें नकद लेनदेन की सीमा दो लाख रुपये तक सीमित है) के असंतोषजनक कार्यान्वयन पर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि जब कोई कानून बना है, तो उसे लागू किया जाना चाहिए।
इस मसले पर शीर्ष अदालत ने कई निर्देश जारी किए। साथ ही कहा कि कहा कि जब भी ऐसा कोई मुकदमा आता है, तो अदालतों को अधिकार क्षेत्र वाले आयकर प्राधिकरण को इसकी सूचना देनी चाहिए। प्राधिकरण कानून के तहत उचित कदम उठाएगा। सरकार ने वित्त अधिनियम 2017 के जरिये एक अप्रैल, 2017 से दो लाख रुपये या उससे अधिक के नकद लेनदेन पर प्रतिबंध लगा दिया था। न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ एक संपत्ति के स्वामित्व से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें दावा किया गया था कि 10 अप्रैल, 2018 को अग्रिम भुगतान के रूप में 75 लाख रुपये का नकद भुगतान किया गया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि मुकदमेबाजी न केवल लेनदेन के बारे में संदेह पैदा करती है, बल्कि कानून का उल्लंघन भी दर्शाती है। इस पर अदालत ने निर्देश दिया कि जब भी कोई मुकदमा दायर होता है, जिसमें लेनदेन के लिए दो लाख के नकद भुगतान का दावा किया गया है, तो अदालतों को लेनदेन और आयकर अधिनियम की धारा 269एसटी के उल्लंघन की पुष्टि के लिए आयकर विभाग को इसकी सूचना देनी चाहिए।
अधिकारी की विफलता मुख्य सचिव को बताएं
पीठ ने कहा, जब भी किसी आयकर अधिकारी को पता चलता है कि अचल संपत्ति से संबंधित लेनदेन में किसी अन्य स्रोत से या तलाशी या मूल्यांकन कार्यवाही के दौरान दो लाख से अधिक की राशि का भुगतान किया गया है, तो पंजीकरण अधिकारी की विफलता को राज्य के मुख्य सचिव के संज्ञान में लाया जाना चाहिए। इससे लेनदेन की सूचना देने में विफल रहे ऐसे अधिकारी के खिलाफ उचित कार्रवाई शुरू हो सकेगी।
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