जातीय जनगणना के बाद कांग्रेस ने आरक्षण की सीमा खत्म करने का दबाव बढ़ाया
जातीय जनगणना के बाद कांग्रेस ने आरक्षण की सीमा खत्म करने का दबाव बढ़ाया, कांग्रेस ने कहा, जातीय जनगणना की मांग

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। केंद्र सरकार के जातीय जनगणना कराने के ऐलान के बाद कांग्रेस ने अब आरक्षण की 50 फीसदी सीमा खत्म करने की मांग शुरू कर दी है। इसके साथ ही पार्टी ने निजी शिक्षण संस्थाओं में आरक्षण लागू करने की भी मांग दोहराई है। जातीय जनगणना के मुद्दे पर शुक्रवार को हुई कांग्रेस कार्यसमिति ने भी प्रस्ताव पारित कर आरक्षण की 50 फीसदी सीमा को खत्म करने की मांग की थी। पार्टी का कहना है कि जातीय जनगणना पहला कदम है। इसके बाद कई निर्णय लिए जाने हैं। कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए ओबीसी विभाग के अध्यक्ष अनिल जयहिंद ने कहा कि यूपीए सरकार ने संविधान में 93वां संशोधन किया था।
इसमें अनुच्छेद 15(5) के तहत दलितों, आदिवासियों और समाज के सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए शिक्षण संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान लागू हुआ। उन्होंने कहा कि उस समय सरकारी शिक्षण संस्थानों में तो आरक्षण लागू हो गया, लेकिन निजी संस्थान इसे अदालत में ले गए, जहां ये मामला आगे बढ़ता चला गया। जयहिंद ने दावा किया कि मोदी सरकार ने पिछले 11 वर्षों में इस बारे में कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू किया जाए। जातीय जनगणना की समय सीमा तय हो सरकार से जातीय जनगणना की समय सीमा तय करने की मांग करते हुए अनुसूचित जनजाति विभाग के अध्यक्ष विक्रांत भूरिया ने कहा कि पहले सरकार कहती थी कि जाति की बात करना पाप है और यह एक अर्बन नक्सल की सोच है। पर अब यू-टर्न ले लिया है क्योंकि पता चल गया है कि यह बहुत बड़ी क्रांति है। आरक्षण में 50 प्रतिशत की सीमा सामाजिक न्याय में सबसे बड़ी रुकावट आरक्षण की 50 फीसदी सीमा को खत्म करने की मांग करते हुए अनुसूचित जाति विभाग के प्रमुख राजेश लिलोठिया ने कहा कि कांग्रेस पार्टी चाहती है कि आरक्षण में 50 प्रतिशत की सीमा खत्म होनी चाहिए, क्योंकि यह सामाजिक न्याय में सबसे बड़ी रुकावट है। इसलिए, इस सीमा को फौरन खत्म किया जाना चाहिए।
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