DTC Faces Huge Losses Due to Poor Planning and Bus Operations in Delhi कैग रिपोर्ट : आधी दिल्ली में नहीं चलीं डीटीसी की बसें, Delhi Hindi News - Hindustan
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कैग रिपोर्ट : आधी दिल्ली में नहीं चलीं डीटीसी की बसें

दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) को 2015-2022 के बीच खराब योजना के चलते भारी घाटा हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, 814 रूटों में से बसें केवल 468 पर चलीं, जिससे 346 रूटों पर सेवा नहीं मिली। डीटीसी का सालाना घाटा...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 24 March 2025 08:58 PM
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कैग रिपोर्ट : आधी दिल्ली में नहीं चलीं डीटीसी की बसें

नई दिल्ली, वरिष्ठ संवाददाता। बेहतर योजना न होने की वजह से न सिर्फ दिल्ली परिवहन निगम को घाटा झेलना पड़ा, बल्कि आधी दिल्ली में लोगों को बस सेवाओं की सुविधा भी नहीं मिली। सीएजी (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की डीटीसी पर वर्ष 2015 से 2022 तक के आंकड़ों पर पेश रिपोर्ट में इसका जिक्र किया गया है। विधानसभा में सोमवार को पेश की गई रिपोर्ट के मुताबिक डीटीसी की ओर से तय 814 रूटों में से बसों का परिचालन सिर्फ 468 रूटों पर ही किया गया। यानी दिल्ली के 346 (43 प्रतिशत) रूटों पर बसों का संचालन ही नहीं किया गया। इससे राजस्व में कमी आई। इसके अलावा लो-फ्लोर बसों का माइलेज निर्धारित मानकों से कम रहने, बसों में आग लगने की घटनाओं से और बिना काम किए भुगतान किए जाने से भी डीटीसी का घाटा साल दर साल बढ़ता गया।

डीटीसी का सालाना घाटा 2015-16 में 3411 करोड़ से बढ़कर 2022 में 8498 करोड़ तक पहुंच गया। सीएजी की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक डीटीसी की बसों ने रोजाना उनके लिए तय किए गए निर्धारित किलोमीटर पूरे नहीं किए। निगम की बसें औसतन 7.06 से 16.59 प्रतिशत तक कम चलीं, इसकी वजह से भी परिचालन लागत में बढ़ोतरी हुई। ओवर एज बसों की संख्या ज्यादा होने की वजह से उनमें बार-बार खराबी आई और प्रति 10,000 किलोमीटर संचालन में बसों की खराबी के मामले 2.90 से 4.57 फीसदी रहे। बसों की खराबी और किलोमीटर पूरे न होने के कारण वर्ष 2015-22 के दौरान परिवहन निगम को 668.60 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा।

घटती चली गई बसों की संख्या

निगम के बेड़े में बसों की कमी हुई है। साल 2015-16 में डीटीसी की बसों की संख्या 4,344 थी, जबकि 2022-23 में घटकर 3,937 बसें रह गईं। परिवहन निगम इस अवधि में सिर्फ नई 300 इलेक्ट्रिक बसें खरीद सका, जबकि दिल्ली सरकार की ओर से अन्य बसें खरीदने के लिए फंड उपलब्ध था। इलेक्ट्रिक बसों को बेड़े में शामिल करने में देरी हुई, देरी से आपूर्ति के लिए भी ऑपरेटरों पर ₹29.86 करोड़ का जुर्माना नहीं लगाया गया।

एएफसीएस शुरू न होने के बावजूद कर दिया 52.45 करोड़ का भुगतान

रिपोर्ट के मुताबिक बसों में किराया वसूली के लिए ऑटोमेटिक फेयर कलेक्शन सिस्टम (एएफसीएस) परियोजना का पहला चरण दिसंबर 2017 में चालू किया गया था, लेकिन सिस्टम इंटीग्रेटर न होने की वजह से यह क्रियाशील नहीं हुआ। इसके साथ ही 3,697 बसों में सीसीटीवी सिस्टम लगाया गया और मार्च 2021 में ठेकेदार को 52.45 करोड़ का भुगतान कर दिया गया। इस सिस्टम का परीक्षण कर स्वीकृति नहीं ली गई, जिसकी वजह से इसे गो लाइव घोषित नहीं किया गया। मई 2023 तक भी यह प्रणाली बसों में चालू नहीं हुई थी।

2009 के बाद नहीं किराया संशोधित नहीं किया

सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि परिवहन निगम को किराया निर्धारित करने की स्वायत्तता नहीं है। इसकी वजह से परिचालन लागत की पूरी वसूली नहीं कर पाया। परिवहन निगम की बसों का किराया आखिरी बार 3 नवंबर 2009 को संशोधित किया गया था। इस नुकसान की भरपाई के लिए दिल्ली सरकार वार्षिक राजस्व अनुदान, रियायती पास की प्रतिपूर्ति और महिलाओं की निशुल्क यात्रा के लिए सब्सिडी देती है। परिवहन विभाग से डीटीसी को 225.31 करोड़ की वसूली करनी थी, लेकिन नहीं की। इसमें किराए की रकम के साथ-साथ, सेवा कर और क्लस्टर बसों के परिचालन व पार्किंग स्थान के हस्तांतरण के लिए शुल्क शामिल था। इसके अलावा 6.26 करोड़ का संपत्तिकर और ग्राउंड रेंट व₹ 4.62 करोड़ की रकम परिवहन विभाग को वाहनों की आपूर्ति की एवज में बकाया थी।

लापरवाही के कारण भी हुआ नुकसान

रिपोर्ट के मुताबिक परिवहन निगम ने राजस्व अर्जित करने के मौकों को गंवाकर भी आर्थिक नुकसान किया है। विज्ञापन के लिए अनुबंध आवंटन में देरी की गई और डिपो में उपलब्ध स्थान का व्यावसायिक उपयोग करने की योजना भी नहीं बनाई गई। इसकी वजह से करोड़ों का नुकसान हुआ है। डीटीसी को जीएसटी में छूट प्राप्त सेवाओं पर इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का गलत लाभ लेने के कारण ₹63.10 करोड़ का ब्याज और जुर्माना भरना पड़ा। ऑडिट में पाया गया कि नई बसों की खरीद के टेंडरों को अंतिम रूप देने में निर्णय लेने में देरी हुई, संचालन पर नियंत्रण कमजोर था और विभिन्न विभागों के बीच समन्वय की कमी थी। इससे भी परिवहन निगम को नुकसान उठाना पड़ा।

सीएजी की ओर से आमदनी बढ़ाने के लिए सुझाव भी दिए गए

- परिवहन निगम की ओर से बसों के बेहतर संचालन और आमदनी बढ़ाने के लिए अल्प कालीन और दीर्घ कालीन योजनाएं तैयार की जाए।

- गैर-यातायात राजस्व बढ़ाने, नई संभावनाओं की तलाश करने और व्यावसायिक उपयोग की लंबित परियोजनाएं बनाकर लागू की जाए।

- सड़कों पर बसों की संख्या को जल्द से जल्द बढ़ाया जाए।

- लोड फैक्टर की समय-समय पर समीक्षा कर बसों के रूटों को दोबारा व्यवस्थित किया जाए।

- परिवहन निगम और डिम्ट्स के प्रदर्शन का विश्लेषण कर सुधार लाने के लिए कदम उठाने चाहिए।

- स्वचलित किराया वसूली प्रणाली (एएफसीएस) प्रणाली को लागू किया जाए।

वर्ष - घाटे की रकम

2015-16 - 3411.10

2016-17 - 3843.62

2017-18 - 4329.42

2018-19 - 5280.55

2019-20 - 6147.05

2020-21 - 7342.15

2021-22 - 8498.35

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