वक्फ मामला: न तो वक्फ बोर्डों में कोई नियुक्ति होगी और न ही संपत्तियों को गैर-अधिसूचित किया जाएगा- केंद्र
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अगली सुनवाई तक वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा। सॉलिसिटर जनरल ने...

फ्लैग:: संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र एक सप्ताह के भीतर जवाब दे हेडिंग विकल्प:
1.वक्फ बोर्ड में अभी नहीं होगी कोई नई नियुक्ति
2.वक्फ घोषित संपत्ति नहीं होगी गैर अधिसूचित
नंबर गेम
- 05 मई को इस मसले पर होगी अगली सुनवाई
- 60 से अधिक याचिकाओं पर सुप्रीम सुनवाई
केंद्र सरकार का पक्ष
- अगली सुनवाई तक वक्फ बाय-यूजर या विलेख (डीडी) द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं होंगी
- केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी
- एक सप्ताह के भीतर कुछ भी नहीं बदलेगा, भले ही सरकार चाहे
अदालत की टिप्पणी
- जवाब के लिए समय इस शर्त पर की गैर-मुस्लिम सदस्य वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में नामित नहीं होंगे
- सॉलिसिटर जनरल सिर्फ केंद्र की ओर से बयान दे सकते हैं, राज्य की ओर से नहीं
- इस्लाम के 5 साल के अभ्यास जैसे प्रावधान हैं, हम उस पर रोक नहीं लगा रहे हैं
नई दिल्ली, प्रभात कुमार। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि वक्फ पर अगली सुनवाई तक ‘वक्फ बाय-यूजर या विलेख (डीडी) द्वारा वक्फ घोषित संपत्तियों को गैर-अधिसूचित नहीं किया जाएगा। गुरुवार को वक्फ संशोधन कानून-2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र ने शीर्ष अदालत में ये बात कही। केंद्र ने यह भी भरोसा दिया है कि इस दौरान केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी।
वक्फ पर सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह बयान दिया। सॉलिसिटर जनरल मेहता के इस बयान को अपने आदेश में दर्ज करते हुए पीठ ने वक्फ संशोधन कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। सॉलिसिटर जनरल मेहता के इस बयान को आदेश में दर्ज करते हुए मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि ‘यदि किसी वक्फ संपत्ति का पंजीकरण पूर्ववर्ती वक्फ कानून 1995 के तहत हुआ है, तो उन संपत्तियों को 5 मई को होने वाली अगली सुनवाई तक गैर-अधिसूचित नहीं किया जा सकता है। सॉलिसिटजर जनरल मेहता ने न्यायालय को यह भी आश्वासन दिया कि वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की धारा 9 और 14 के तहत केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। साथ ही यह भी कहा है कि सुनवाई की अगली तारीख तक, वक्फ, जिसमें वक्फ बाय यूजर भी शामिल है, जो पहले से पंजीकृत है या अधिसूचना के माध्यम से घोषित है, न तो गैर अधिसूचित किया जाएगा और न ही कलेक्टर बदलेगा। कोर्ट ने कहा हम सॉलिसिटर जनरल के इस बयान को बयान को रिकॉर्ड पर लेते हैं और एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश देते हैं।
कोर्ट के प्रस्ताव का केंद्र ने किया विरोध
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के उस प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया, जिसमें केंद्रीय वक्फ परिषदों और बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने की अनुमति देने वाले प्रावधान पर रोक लगाने के अलावा वक्फ बाय यूजर सहित वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने के खिलाफ अंतरिम आदेश पारित करने का प्रस्ताव दिया गया था। पीठ केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों में गैर-मुसलमानों को शामिल करने पर बुधवार को नाराज जाहिर की थी। साथ ही, केंद्र सरकार से सवाल किया था कि ‘क्या वह हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुसलमानों को शामिल करने के लिए तैयार है?
सिर्फ 5 याचिकाओं पर होगी सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ‘जहां तक रिट याचिकाओं का सवाल है, हम केवल 5 रिट याचिकाओं पर सुनवाई करना चाहते हैं। 100 या 120 से याचिकाओं से निपटना असंभव है, अन्य को निपटाया माना जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि हम पक्षों के नाम नहीं बताने जा रहे। हम इसे वक्फ (संशोधन) अधिनियम के रूप में संदर्भित करेंगे। यानी सुप्रीम कोर्ट में वक्फ संशोधन अधिनियम के नाम से मामला सूचीबद्ध होगा। मुख्य न्यायाधीश ने नोडल वकील नियुक्त करने को कहा है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता के वकीलों द्वारा इस बात पर सहमति व्यक्त की गई है कि वे 5 याचिकाओं को मुख्य के रूप में पहचानेंगे और अन्य को आवेदन के रूप में माना जाएगा।
एक सप्ताह में कुछ नहीं बदलेगा
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की टिप्पणी संसद कानून बनाती है, कार्यपालिका निर्णय लेती है और न्यायपालिका...। इसपर कानून के समर्थन में एक पक्षकार वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने कहा कि लेकिन संसद का अधिकार है। इसपर मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि ‘ठीक है, केंद्रीय वक्फ परिषद या बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं होगी और उपयोगकर्ता द्वारा घोषित वक्फ या पंजीकृत वक्फ में कोई बदलाव नहीं होगा। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ‘प्रावधान के बारे में मेरा मानना है कि एक सप्ताह के भीतर कुछ भी नहीं बदलेगा, भले ही सरकार चाहे। उन्होंने कहा मैं एक बयान दूंगा कि अगर कोई राज्य न्यायालय के समक्ष नहीं है, अगर वह नियुक्ति करता है तो अमान्य होगी।
अदालत आदेश में स्पष्ट करेगी
मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि यहां तक कि वक्फ बाय यूजर, यदि यह 1995 की धारा 36 के तहत पंजीकृत है। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने वक्फ संशोधन अधिनियम 3(सी) प्रावधान का हवाला देते हुए कहा कि सरकार इसे वक्फ नहीं मानेंगी। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि एक बार जब हम कहते हैं कि वक्फ, घोषित या पंजीकृत... वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी ने कहा कि यही समस्या है! उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ पंजीकृत नहीं हो सकता। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मैं इसे आदेश में स्पष्ट कर दूंगा।
मुझे यकीन कानून का विरोध करने वाले हिंदू
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से एक अधिवक्ता ने सुनवाई के दौरान एक मिनट का समय मांगते हुए कहा कि ‘हम कानून का समर्थन कर रहे हैं। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मुझे यकीन है कि कानून का विरोध करने वाले हिंदू हैं।
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अंदर के लिए............
कोर्ट रूम लाइव:: हम नहीं चाहते हालात ऐसे बदलें कि लोगों के अधिकार प्रभावित होने लगें: शीर्ष कोर्ट
नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। वक्फ संसोधन कानून- 2025 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई के दौरान केंद्र और कोर्ट आमने- सामने रहे। दोपहर दो बजे के बाद सुनवाई शुरू हुई तो केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपना पक्ष रखा। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम ये नहीं चाहते की स्थिति इतनी तेजी से बदले की लोगों के अधिकार प्रभावित होने लगें।
केंद्र: वैधानिक प्रावधानों पर रोक लगी तो यह असाधारण होगा
केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि ‘यदि आपका आधिपत्य किसी वैधानिक प्रावधान पर रोक लगाने जा रहा है तो यह कदम अपने आप में दुर्लभ है। भले ही वह प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष, प्रावधानों को केवल अस्थायी रूप से पढ़ने के आधार पर ऐसा नहीं किया जा सकता। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ‘हमें लाखों-लाखों प्रतिवेदन मिले हैं और इनमें से कुछ वक्फ कानून के संशोधनों में भी योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि गांवों को वक्फ के रूप में लिया गया, यहां तक कि लोगों की निजी संपत्तियों को वक्फ के रूप में कब्जा लिया गया। मेहता ने पीठ से कहा कि इससे बड़ी संख्या में निर्दोष लोग प्रभावित होते हैं। उन्होंने पीठ से कहा कि यह अदालत उचित सहायता के बिना प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वैधानिक प्रावधानों पर रोक लगाकर एक गंभीर और कठोर कदम उठा रहा है। उन्होंने कहा कि हम सरकार के रूप में लोगों के प्रति जवाबदेह हैं। यह कानून का एक सुविचारित हिस्सा है और इस कानून को मंजूरी मिलने से पहले ही, इसकी संवैधानिक वैधता को चुनौती देने के लिए ये याचिकाएं दायर की गई थीं। इस पर जस्टिस संजय कुमार ने कहा कि ‘हम अभी इस मामले पर फैसला नहीं कर रहे हैं।
कोर्ट: स्थिति इतनी तेजी से न बदले की लोगों के अधिकार प्रभावित हो जाएं
मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि ‘मिस्टर सॉलिसिटर जनरल, हमारे पास एक विशेष स्थिति है। हमने कुछ कमियों की ओर इशारा किया। हमने यह भी कहा कि कुछ सकारात्मक चीजें हैं। लेकिन हम यह नहीं चाहते हैं कि आज की स्थिति इतनी तेजी से बदले कि इससे लोगों/ पक्षों के अधिकार प्रभावित हों जाएं। उन्होंने कहा कि इस्लाम के 5 साल के अभ्यास जैसे प्रावधान हैं, हम उस पर रोक नहीं लगा रहे हैं। हां, आप यह सही कह रहे हैं कि अदालत आम तौर पर कानूनों पर रोक नहीं लगाती लेकिन एक नियम यह भी है कि जब याचिका न्यायालय के समक्ष लंबित है, तो मौजूदा स्थिति में बदलाव नहीं होना चाहिए ताकि व्यक्तियों के अधिकार प्रभावित न हों।
केंद्र: सॉलिसिटर जनरल ने फिर से जवाब दाखिल करने का वक्त मांगा
कोर्ट: जवाब के लिए शर्त के साथ समय दिया जा सकता है
मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि ‘समय दिया जा सकता है, लेकिन इस शर्त पर कि गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में नामित नहीं किया जाएगा। इसके अलावा वक्फ बाय यूजर या पंजीकृत वक्फों में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
केंद्र: केंद्र ने अदालत को दर्ज कराया अपना बयान
सॉलिसिटर जनरल ने अदालत में अपना बयान दर्ज कराया कि ‘केंद्रीय वक्फ परिषद या बोर्डों में ऐसी कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी।
कोर्ट: सॉलिसिटर जनरल सिर्फ केंद्र की ओर से बयान दे सकते हैं
बयान दर्ज करने के बाद मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि आप (एसजी) केवल केंद्र सरकार की ओर बयान दे सकते हैं और राज्यों (जो बोर्ड में नियुक्तियां करते हैं) की ओर से बयान नहीं दे सकते।
केंद्र: राज्य नियुक्त करता है तो वह अमान्य होगी
अदालत की टिप्पणी पर सॉलिसिटर जरनल मेहता ने कहा कि ‘इस बारे में शीर्ष न्यायालय आदेश दे सकता है कि यदि कोई राज्य ऐसी नियुक्तियां करता है, तो वह शून्य यानी अमान्य मानी जाएगी।
कोर्ट: हम नहीं चाहते की स्थिति बदले
मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि केंद्रीय वक्फ परिषद और बोर्डों की नियुक्ति, उपयोग में आने वाले वक्फ को वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 36 के अनुसार पंजीकृत घोषित किया गया है, न कि 2025 अधिनियम के अनुसार...हम नहीं चाहते कि स्थिति बदले..संसद कानून बनाती है, कार्यपालिका निर्णय लेती है और न्यायपालिका.....।
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