अंतिम कार्य दिवस पर जस्टिस ओका ने सुनाए 11 फैसले
जस्टिस अभय एस. ओका ने अपनी मां के निधन के अगले दिन सुप्रीम कोर्ट में 11 मामलों में फैसले दिए। उन्होंने संवैधानिक स्वतंत्रता को बनाए रखने की प्रतिबद्धता जताई। सीजेआई बी.आर. गवई ने उनके प्रति सम्मान...

अपनी मां के निधन के अगले दिन सुप्रीम कोर्ट पहुंचे जस्टिस अभय एस. ओका ने परंपराओं को तोड़ते हुए अपने सेवा के अंतिम कार्य दिवस पर 11 मामलों में फैसले दिए। 24 मई को सेवानिवृत्त हो रहे जस्टिस ओका ने भावुक होते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट एक ऐसा न्यायालय है जो संवैधानिक स्वतंत्रता को कायम रख सकता है और उन्होंने ईमानदारी से उस स्वतंत्रता को बरकरार रखने का प्रयास किया है। देश के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की सामारोहिक पीठ का आयोजन किया गया। इस पीठ की अध्यक्षता कर रहे सीजेआई गवई ने अपने कॉलेज के दिनों के मित्र जस्टिस ओका के साथ अपनी यात्रा को याद किया और न्याय के प्रति उनकी अटूट प्रतिबद्धता के लिए उनकी सराहना की।
वकीलों, बार नेताओं, सीजेआई और जस्टिस एजी मसीह द्वारा दिए गए विदाई पर बोलते हुए कहा कि मैंने बार के सदस्यों द्वारा मेरे लिए इतना प्यार और स्नेह देखा है कि मैं अचंभित रह गया। जस्टिस ओका ने अपने भविष्य के बारे में अटकलें लगाने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि मैंने यहां केवल तीन साल 9 माह काम किया, लेकिन मैं हमेशा इन यादों को अपने दिल में संजो कर रखूंगा। न्यायमूर्ति ओका के ऐतिहासिक निर्णयों पर प्रकाश डालते हुए, सीजेआई गवई ने कहा कि बस दो दिन पहले ही उन्होंने अपनी मां को खो दिया। वह उनकी अंत्येष्टि में शामिल होने के बाद रात में यात्रा करके वापस लौटे और फिर भी अगले दिन 11 फैसले सुनाने में कामयाब रहे। जस्टिस मसीह ने जस्टिस ओका के साथ अपने गहरे पेशेवर और व्यक्तिगत संबंधों के बारे में बात की। इस मौके पर अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने कहा कि जस्टिस ओका के फैसलों ने स्वतंत्रता और जवाबदेही के मूल्यों को हमारे संवैधानिक विमर्श की नींव में स्थापित किया। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी इसी भावना को दोहराया। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने विदाई देते हुए कहा कि स्वतंत्रता वह धागा है जो हमारे संविधान को बांधता है और न्यायमूर्ति ओका को उस धागे को मजबूती से थामे रखने के लिए याद किया जाएगा। आप विरासत का हिस्सा हैं। गुरुवार को मां का अंतिम संस्कार में शामिल हुए जस्टिस अभय ओका गुरुवार को महाराष्ट्र के ठाणे जिले में अपनी मां वसंती ओका के अंतिम संस्कार में शामिल हुए और इसके कुछ ही घंटों बाद वह शुक्रवार को दिल्ली वापस लौटे। सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने 11 मामलों में फैसले सुनाए, जबकि अंतिम कार्य दिवस पर जज फैसला या मामले की सुनवाई नहीं करते हैं। इनमें एक मामला किशोरों के गोपनीयता से जुड़े अधिकार भी मामला है। सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद नहीं लेंगे जस्टिस ओका सीजेआई बी.आर. गवई ने खुलासा किया कि उनकी तरह जस्टिस ओका भी सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद नहीं लेंगे, जिससे उन्हें एक-दूसरे से जुड़ने के लिए अधिक समय मिलेगा। सीजेआई ने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद वह और जस्टिस ओका एकसाथ काम करेंगे। सीजेआई ने मैं और जस्टिस ओका गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में एक साथ पढ़ाई की और दोनों 40 साल से मित्र हैं। उन्होंने कहा कि हम दोनों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में एकसाथ वकालत की और बाद में जज भी बने।
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