सिंधिया ने राहुल को दी नसीहत, कांग्रेस ने भी किया पलटवार
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राहुल गांधी के राजघरानों पर टिप्पणी की आलोचना की, कहा कि उन्हें इतिहास पढ़ना चाहिए। कांग्रेस ने जवाब में झांसी की रानी का उदाहरण देते हुए पलटवार किया। सिंधिया...

नई दिल्ली, एजेंसी। केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की एक टिप्पणी को लेकर उन पर निशाना साधा। सिंधिया ने कहा कि पहले राहुल गांधी को इतिहास पढ़ना चाहिए, फिर राजघरानों के बारे में बयानबाजी करनी चाहिए। इस पर कांग्रेस ने भी झांसी की रानी की वीरता से संबंधित एक मशहूर कविता के एक अंश का उल्लेख करते हुए सिंधिया पर पलटवार किया। दरअसल, राहुल गांधी ने सोमवार को मध्य प्रदेश के महू में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि आजादी से पहले दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को कोई अधिकार नहीं था। उस समय केवल महाराजाओं और राजाओं को ही अधिकार प्राप्त थे। राहुल के बयान का हवाला देते हुए सिंधिया ने एक्स पर पोस्ट किया, राहुल गांधी का यह बयान उनकी संकीर्ण सोच और समझ को उजागर करता है। वह भूल गए हैं कि इन राजपरिवारों ने वर्षों पहले भारत में समानता और समावेशी विकास की नींव रखी थी। उन्होंने कहा, बड़ौदा महाराज सयाजीराव गायकवाड़ ने हमारे संविधान निर्माता बाबा साहेब आंबेडकर को शिक्षा प्राप्त करने के लिए आर्थिक सहायता दी थी। छत्रपति साहूजी महाराज ने 1902 में पहली बार देश के बहुजनों को अपनी शासन व्यवस्था में 50 प्रतिशत आरक्षण देकर सामाजिक न्याय की बुनियाद रखी थी। पिछड़े वर्गों को शैक्षणिक रूप से सशक्त बनाने के लिए ग्वालियर के माधव महाराज प्रथम ने पूरे ग्वालियर-चंबल में शिक्षा और रोजगार के केंद्र खुलवाये थे।
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने सिंधिया पर पलटवार करते हुए एक्स पर पोस्ट किया, इतिहास आपकी ओर अंगुली उठाकर रोता है योर हाइनेस। अगर संविधान का 26वां संशोधन न हुआ होता तो आज भी भारत सरकार की तरफ से ग्वालियर राजघराने को करोड़ों रुपये कर मुक्त दिए जा रहे होते (सन 1950 में 25,00,000)। उन्होंने दावा किया, भारत में विलय की यह कीमत लेते रहे आप, सन 71 तक। उन्होंने कहा, इतिहास गवाह हैं कि एक राजघराने की पिस्तौल का इस्तेमाल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की हत्या में हुआ था।
खेड़ा ने कहा, नेहरू और पटेल द्वारा राजे-रजवाड़ों पर दबाव बना कर लोकतंत्र की लगाम आम नागरिकों को सौंपे जाने की टीस अब तक कुछ राजपरिवारों में बाकी है। उन्होंने कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की रचना का उल्लेख करते हुए सिंधिया पर तंज कसा। ‘अंग्रेजों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी, बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी। खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।
लेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।