Microplastics from Disposable Paper Cups Health Risks and Consumer Awareness अध्ययन : पेपर कप में चाय के जरिए निगल रहे माइक्रोप्लास्टिक, Delhi Hindi News - Hindustan
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अध्ययन : पेपर कप में चाय के जरिए निगल रहे माइक्रोप्लास्टिक

आईआईटी खड़गपुर के शोध में ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ, विशेषज्ञों ने उपभोक्ताओं को सतर्क रहने की सलाह दी

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 25 April 2025 07:25 PM
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अध्ययन : पेपर कप में चाय के जरिए निगल रहे माइक्रोप्लास्टिक

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। परंपरागत डिस्पोजेबल पेपर कप की अंदरूनी प्लास्टिक लेयर 80-90°C में रखी चाय के संपर्क में आने पर टूटकर 15 मिनट के भीतर लगभग 25,000 माइक्रोप्लास्टिक कण चाय में घोल देती है। दिल्ली कैंसर संस्थान की क्लिनिकल ऑन्कोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. प्रज्ञा शुक्ला ने एक जागरूकता कार्यक्रम में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आईआईटी खड़गपुर के हालिया अध्ययन में ये चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। डॉ. प्रज्ञा ने उपभोक्ताओं को सतर्क रहने की सलाह दी। ये प्रमुख बिंदु

माइक्रोप्लास्टिक रिसाव: पेपर कप की हाइड्रोफोबिक फिल्म (मुख्यतः पॉलीथीन आधारित) गर्म चाय से संपर्क में आते ही टूटने लगती है और यह 100 मिलीलीटर चाय में करीब 25 हजार सूक्ष्म प्लास्टिक कण छोड़ देती है।

दैनिक खपत का प्रभाव: यदि कोई व्यक्ति दिन में तीन कप चाय या कॉफी प्लास्टिक कप में पीता है तो प्रतिदिन लगभग 75,000 माइक्रोप्लास्टिक कण सीधे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं।

स्वास्थ्य जोखिम: छोटे-से-कणों में बदल चुके ये प्लास्टिक कण रक्तप्रवाह तक पहुंचकर हार्मोनल असंतुलन, प्रतिरक्षा प्रणाली विकार और समय के साथ कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां को भी जन्म दे सकते हैं।

स्वास्थ्य के लिए हानिकारक

डॉ. प्रज्ञा ने कहा कि सूक्ष्म प्लास्टिक कण आंखों से अदृश्य तो होते हैं, लेकिन शरीर में इनके जमा होने से दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्या जैसे कैंसर भी हो सकता है। उन्होंने पारंपरिक कांच, सिरेमिक या स्टील के मग्स के उपयोग पर जोर देते हुए कहा कि यह न केवल स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित है, बल्कि पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी बेहतर विकल्प है।

मधुमेह से लेकर बांझपन की वजह

एम्स की प्रोफेसर रीमा दादा ने कहा कि छोटे आकार के प्लास्टिक कण जब हमारे शरीर में जाते हैं तो हमारी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर करने से लेकर मधुमेह और यहां तक कि बांझपन की वजह भी बनते हैं। इससे न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, थाइराइड और कैंसर जैसी बीमारियां होने की संभावना भी है।

पानी में सबसे अधिक प्लास्टिक

प्रो. थावा के एक अध्ययन के मुताबिक, सबसे अधिक प्लास्टिक कण नल के पानी और बोतल बंद पानी में पाए गए हैं। इसमें भी बोतल बंद पानी में सबसे अधिक प्लास्टिक कण पाए गए। इसके अलावा शहद, नमक, चीनी और बीयर के जरिए भी लोग प्लास्टिक कण निगलते हैं।

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