NHRC Proposes Formal Status and Benefits for Asha Workers in India आशा कार्यकर्ताओं को एक निश्चित वेतन-भत्ता और पेंशन का लाभ देने का सुझाव, Delhi Hindi News - Hindustan
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आशा कार्यकर्ताओं को एक निश्चित वेतन-भत्ता और पेंशन का लाभ देने का सुझाव

प्रभात कुमार नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने देशभर में प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 31 March 2025 05:35 PM
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आशा कार्यकर्ताओं को एक निश्चित वेतन-भत्ता और पेंशन का लाभ देने का सुझाव

प्रभात कुमार नई दिल्ली।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने देशभर में प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम कर रहे लाखों आशा कार्यकर्ताओं को एक निश्चित वेतन, भत्ता, पेंशन के साथ-साथ औपचारिक कार्यकर्ता का दर्जा देने का सुझाव दिया है। आयोग ने कहा है कि ‘आशा कार्यकर्ताओं ने करीब 20 सालों से उल्लेखनीय कार्य किया है और इसकी वजह से देश में नवजात और शिशु मृत्यु दर में कमी आई है। ऐसे में उनकी कार्य स्थितियों और जीवन स्तर में सुधार के लिए एक ठोस नीति और कार्रवाई योग्य उपायों को अपनाने की जरूरत है।

एनएचआरसी के अध्यक्ष जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन की अध्यक्षता में हाल ही में ‘मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (आशा) को सशक्त बनाना विषय पर हुई कोर ग्रुप की बैठक में सभी हितधारकों के साथ चर्चा के बाद कई सुझाव दिया गया है। आयोग के अध्यक्ष जस्टिस रामसुब्रमण्यन ने कहा कि औपचारिक शिक्षा के बगैर भी लोगों को कुशल कामगार बनने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि देश में जहां शिक्षित लोगों की संख्या बहुत है, वहीं कुशल कामगारों की भारी कमी है, ऐसे में आशा योजना के माध्यम से इस अंतर को दूर किया जा सकता है। बैठक के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि आशा कार्यकर्ताओं का पारिश्रमिक समाज में उनके योगदान के अनुपात में नहीं है। मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस रामसुब्रमण्यन ने कहा कि विडंबना यह है कि जो लोग समाज में सबसे अधिक योगदान देते हैं, उन्हें अक्सर सबसे कम मिलता है और जो लोग हाशिए पर पड़े लोगों की देखभाल करते हैं, वे खुद हाशिए पर चले जाते हैं। एनएचआरसी द्वारा आयोजित इस बैठक में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव के अलावा कई अन्य विभागों व विशेषज्ञों ने भी अपने-अपने ने भी विचार व्यक्त किए। विस्तार से चर्चा के बाद आयोग ने आशा कार्यकर्ताओं एक निश्चित वेतन, भत्ता, पेंशन के साथ-साथ औपचारिक कार्यकर्ता का दर्जा देने का सुझाव दिया। आयोग ने राज्यों में आशा कार्यकर्ताओं के वेतन का मानकीकरण के साथ ही यह भी सुनिश्चित करने का सुझाव दिया है कि मानदेय न्यूनतम वेतन से कम न हो। साथ ही आशा कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य बीमा, मातृत्व लाभ और दुर्घटना कवरेज भी मुहैया कराने को कहा है।

आशा कार्यकर्ताओं के लिए शुरू हो ब्रिज कोर्स

आयोग ने औपचारिक स्वास्थ्य सेवा भूमिकाओं के लिए आशा कार्यकर्ताओं को प्रमाणित करने के लिए मेडिकल कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के सहयोग से ब्रिज कोर्स शुरू करने की सिफारिश की है। इसके अतिरिक्त आशा कार्यकर्ताओं के लिए अच्छे रोजगार के अवसर पैदा करते हुए किफायती समुदाय आधारित देखभाल सेवाओं का विस्तार करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने का भी सुझाव दिया गया है।

कुछ प्रमुख सुझाव

- बच्चों और बुजुर्गों की देखभाल और आशा कार्यकर्ताओं के कल्याण के लिए भवन और अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण उपकर अधिनियम से अप्रयुक्त निधियों का इस्तेमाल करने को कहा गया है। बैठक में बताया गया है कि इस मद में 2022 तक 49 हजार 269 करोड़ रुपये बिना किसी उपयोग के कोष में रखें है।

-• प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और सामुदायिक केंद्रों पर राज्य द्वारा वित्त पोषित क्रेच स्थापित करने का सुझाव दिया है ताकि आशा कार्यकर्ताओं को सहायता मिल सके जो घर पर प्राथमिक देखभालकर्ता भी हैं।

-आशा कार्यकर्ताओं के लिए नर्सिंग, दाई का काम और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रशासन जैसी उच्च-भुगतान वाली स्वास्थ्य सेवा भूमिकाओं में संक्रमण के लिए संरचनात्मक देखभाल मार्ग विकसित करें। • रोग निगरानी, ​​मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और आपातकालीन चिकित्सा प्रतिक्रिया में नियमित कौशल वृद्धि प्रशिक्षण प्रदान दें।

आंकड़े

देशभर में कुल 9 लाख 35 हजार आशा कार्यकर्ता।

मानदेय- सभी राज्यों में आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय अलग-अलग है। कहीं पर तीन हजार तो कहीं 7,500 रुपये तक है। इसके अलावा, उनको कुछ अतिरिक्त भत्ता भी मिलता है।

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