बीपी की दवा आंखों के लिए बन सकती है वरदान
एक अध्ययन में पाया गया है कि पुरानी दवा 'रेसरपाइन' आंखों की बीमारी रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा के इलाज में मदद कर सकती है। यह दवा आंखों की रोशनी पहचानने वाली कोशिकाओं को मरने से रोकती है। रेसरपाइन का लाभ यह...

वॉशिंगटन। एक पुरानी और अब कम इस्तेमाल होने वाली बीपी की दवा ‘रेसरपाइन आंखों की रोशनी बचाने में मददगार साबित हो सकती है। अमेरिका की प्रतिष्ठित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अध्ययन में यह दावा किया गया है।
शोध में पता चला है कि यह दवा रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा नामक आंखों की बीमारी में असरदार हो सकती है। यह बीमारी बचपन से ही नजर पर असर डालती है और धीरे-धीरे आंखों की रोशनी चली जाती है। अब तक इस बीमारी का कोई ठोस इलाज नहीं है। वैज्ञानिकों ने प्रयोग में पाया कि रेसरपाइन आंखों की रेटिना में मौजूद रोशनी पहचानने वाली कोशिकाओं को मरने से रोक सकती है। अध्ययन में उन कोशिकाओं की रक्षा हुई जो रात या कम रोशनी में देखने में मदद करती हैं और साथ ही दिन में रंग पहचानने वाली कोशिकाओं को भी बचाया जा सका।
राहत की उम्मीद
अभी तक रेटिनाइटिस पिगमेंटोसा जैसी बीमारियों के लिए जेनेटिक थेरेपी विकसित की जा रही है, जो लंबा वक्त लेती है और बेहद महंगी होती है। रेसरपाइन का फायदा यह है कि यह दवा किसी खास जीन पर आधारित नहीं है, यानी यह कई तरह के जेनेटिक दोषों में असरदार हो सकती है।
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